50 बोगस फर्मों का खंगाला रिकॉर्ड, 20 करोड़ जीएसटी चोरी मिली, 115 करोड़ का टर्नओवर
मुरादाबाद में राज्यकर विभाग ने 122 फर्मों की जांच में 115 करोड़ का टर्नओवर और 20 करोड़ की जीएसटी चोरी पकड़ी। फर्जी फर्मों के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) में धोखाधड़ी की गई। एक ही व्यक्ति के नाम पर कई फर्में पंजीकृत पाई गईं। विभाग ने प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पुलिस को तहरीर दी है। नकली चालान जारी करने वालों पर जुर्माने और जेल का प्रावधान है।

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। देशभर में फर्जी फर्मों के सहारे इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का खेल हो रहा है। राज्यकर की विशेष अनुसंधान शाखा (वि.अनु. शाखा) की टीम ने 122 फर्मों में 50 फर्जी फर्मों की जांच पूरी कर ली। जिसमें 115 करोड़ का टर्नओवर सामने आया है। जिसमें करीब 20 करोड़ की जीएसटी चोरी सामने आइ है।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, दो से तीन दिन में सभी फर्मों का चिट्ठा जांच में सामने आ जाएगा। जीएसटी में बड़े स्तर पर चोरी का मामला सामने आने से हलचल मची हुई हुई। विभागीय की ओर से इस मामले में मुरादाबाद के सिविल लाइंस थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए तहरीर बुधवार को दी जा चुकी है। पुलिस के अनुसार, जीएसटी चोरी के मामले में निर्देश मिलने के बाद प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
मुरादाबाद में 24 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर ले जाते समय दो ट्रक लोहे का स्क्रैप जीएसटी विभाग ने उमरी चौराहे पर पकड़ा था। जांच में पता कि चला लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी प्रवीण श्रीवास्तव के फर्जी किराएनामे व बिजली के बिल के आधार पर अंकित कुमार नामक शख्स ने एके इंटरप्राइजेज नाम से फर्म दिखाई।
फर्म में दर्ज नंबरों की जांच में मंगलवार को एक मोबाइल नंबर से 60 और अगले दिन दूसरे मोबाइल नंबर से 62 फर्म मिलीं। इस तरह एक ही शख्स के पंजीकरण में दर्ज दो नंबरों से देश भर में 122 फर्जी फर्म सामने आ चुकी हैं। विशेष अनुसंधान शाखा ने गुरुवार को 50 फर्मों का रिकार्ड खंगाला।
50 फर्मों में 115 करोड़ का टर्नओवर देखकर राज्यकर अधिकारी भी हैरान हैं कि इतने बड़े स्तर पर सरकार को चूना लगाया गया है। इसमें करीब 20 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की बात सामने आइ। अभी 72 फर्मों का डाटा निकलना बाकी है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह आंकड़ा 200 करोड़ के पार जा सकता है।
इस केस में भी आइटीसी के नाम पर खेल दिख रहा। इनपुट टैक्स क्रेडिट में फर्जी फर्मों के माध्यम से धोखाधड़ी की गई है। इसमें सामान या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना ही सिर्फ कागजों पर लेनदेन दिखाया जाता है यानी माल किसी से लिया नहीं। लेकिन, कागजों में लेन-देन करके आइटीसी खड़ी कर दी।
इसमें एक तरह से तो अधिक माल दिखाकर आइटीसी को समायोजित कर दिया जाता है। दूसरे पर आइटीसी क्लेम करके विभाग से खाते में ट्रांसफर करा दी जाती है। अपर आयुक्त ग्रेड टू विशेष अनुसंधान शाखा आरए सेठ के अनुसार, इस धोखाधड़ी का उद्देश्य फर्जीवाड़ा कर सरकार से आइटीसी का दावा करना और कर चोरी करना है। वहीं, जीएसटी विभाग की ओर से मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पुलिस को बुधवार को ही तहरीर दी जा चुकी है।
जुर्माना और पांच साल तक की जेल भी
वरिष्ठ कर अधिवक्ता शिशिर गुप्ता के अनुसार, नकली चालान जारी करने या उसका उपयोग करने वालों पर जुर्माना लगाने के साथ पांच साल तक की जेल भी हो सकती है। इसके अलावा बैंक खातों और अन्य संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क करने का भी अधिकार है।

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