जीएसटी चोरी प्रकरण : नामचीन स्क्रैप कंपनियों के इशारे पर बनीं बोगस फर्म, ई-मेल खंगालने पर 22 और मिलीं
जीएसटी चोरी के मामले में, नामचीन स्क्रैप कंपनियों के कहने पर बनाई गई बोगस फर्मों का पर्दाफाश हुआ है। ईमेल की जांच में 22 और फर्में मिली हैं। जीएसटी विभाग मामले की गहराई से जांच कर रहा है और स्क्रैप कंपनियों की भूमिका की भी जांच हो रही है। ईमेल से मिली जानकारी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

मुरादाबाद जीएसटी आफिस में खड़े लोहे के स्क्रैप लदे ट्रक। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : 122 बोगस फर्मों के जरिए 1811 करोड़ का टर्नओवर दिखाकर 341 करोड़ की जीएसटी चोरी प्रकरण की जांच में एक-एक कर परतें खुल रहीं हैं।
राज्य कर विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा (एसआइबी) की जांच में यह पता चला कि पूरे खेल में कई नामचीन स्क्रैप कंपनियां शामिल हैं, जो जीएसटी चोरी के लिए बोगस फर्मों का सहारा ले रहीं हैं। हालांकि, जांच के लिहाज से अभी एसआइबी नाम सार्वजनिक नहीं कर रही है।
वहीं, मोबाइल नंबरों के बाद एके इंटरप्राइजेज नामक बोगस फर्म में दर्ज ई-मेल की जांच में 22 फर्म और मिली हैं। ये फर्म अलग-अलग राज्यों में सेंट्रल जीएसटी से पंजीकृत हैं। अब फर्जी फर्मों की कुल संख्या 144 हो गई है। सबसे ज्यादा टर्नओवर प्रदेश के बाहर यानी अन्य राज्यों की बोगस फर्मों से हुआ है।
इधर, एसपी क्राइम सुभाष चंद्र गंगवार के नेतृत्व में गठित 11 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआइटी) ने रविवार को राज्यकर विभाग से अब तक सामने आई संदिग्ध फर्मों और वाहनों का ब्योरा हासिल किया।
मुरादाबाद राज्यकर सचल दल इकाई ने 24 अक्टूबर को लोहे से भरे दो ट्रक पकड़े थे। कागजों में त्रुटि मिलने पर बिल और अन्य पत्रों की मांग की गई थी। पत्र नहीं दिखाने पर सचल दल टीम ट्रक लेकर राज्यकर कार्यालय पहुंची। जिसके बाद ई-वे बिल और अन्य पत्र जांचने पर जीएसटी चोरी की परत खुलती चली गईं।
अधिकारियों के मुताबिक आयरन, स्क्रैप समेत अन्य मेटल से जुड़ी ज्यादातर फर्म सेंट्रल जीएसटी से जुड़ी हैं, क्योंकि इनका भौतिक सत्यापन नहीं होता है। आनलाइन आवेदन के बाद तीन से सात दिन में फर्म पंजीकृत कर कारोबार दिखाने लगते हैं। जबकि, राज्य जीएसटी से फर्म पंजीकृत कराने की दशा में भौतिक सत्यापन होता है।
प्रकरण में 1,811 करोड़ के अभी तक के लेनदेन में ज्यादातर फर्म केंद्रीय जीएसटी से जुड़ी हैं। राज्य कर एसआइबी को 200 से ज्यादा फर्म से दो हजार करोड़ से अधिक टर्नओवर के साथ 350 करोड़ तक टैक्स चोरी की आशंका है। उधर, गठित एसआइटी अब फर्मों के जारी ई-वे बिल के आइपी एड्रेस से सरगना तक पहुंचेगी।
मुरादाबाद जोन के अपर आयुक्त राज्यकर (ग्रेड-वन) ने बताया कि इस पूरे प्रकरण में वास्तविक लाभार्थी कौन हैं जिसने देनदारी चुकाने के लिए बोगस आइटीसी का प्रयोग किया है। इसमें सभी फर्मों का रिकार्ड खंगाला जा रहा है। पुलिस की गठित एसआइटी ने भी अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है। अब तक की जांच में तेलंगाना और झारखंड का 708 करोड़ रुपये का टर्नओवर मिला है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।