सड़क किनारे पड़ा था बोरा, शक होने पर युवक ने बुला ली पुलिस; खोलकर देखा तो रह गए सन्न
मुरादाबाद में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई जहाँ एक नवजात शिशु को उसकी माँ ने बोरे में बंद करके सड़क किनारे फेंक दिया। राहगीरों ने बच्चे की रोने की आवाज सुनकर पुलिस को सूचना दी जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार बच्ची को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और उसका इलाज चल रहा है।

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। जिसका राखे साइयां, मार सके न कोए। मां... मैंने आज ही तो जन्म लिया था। आखिर तूने मुझे बोरे में बंद करके कुत्तों से नोच खाने के लिए सड़क किनारे क्यों फेंक दिया...? मेरे रोने की आवाज सुनकर फरिश्ते ने मुझे बचा लिया। बोरे में बंद होने से मेरा दम घुटने लगा। मुझे सांस लेने में परेशानी हो रही है। भगवान ने मुझे फरिश्तों के हाथों अस्पताल में पहुंचा दिया। तुम तो मुझे मारने के लिए सड़क किनारे छोड़ गईं थीं। हां मैं ठीक भी हो जाऊंगी। लेकिन, तुम्हारी शक्ल भी नहीं देख सकूंगी। इसका मुझे जिंदगीभर अफसोस रहेगा। बेटी हूं इसलिए तुम मुझे सड़क पर फेंक गई। क्या तुम्हे मालूम नहीं कि आज बेटियां चांद पर भी पहुंच चुकी हैं। सिर्फ बेटे से ही नाम राेशन नहीं होगा। मैं भी नाम रोशन कर सकती हूं। शायद वह इस समय यही सोच रही होगी।
कटघर के लाजपतनगर में शाम के समय सड़क किनारे बोरे से रोने की आवाज आई तो राहगीर सोनू ने सुनी। उसके कदम ठिठक गए। रुके, इधर-उधर देखा सड़क किनारे एक बोरा रखा था। उसमें से तेज रोने की आवाज सुनकर डायल 112 पर सूचना दी। बच्चे के मिलने की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। बोरे को खोला गया तो मासूम तेजी से सांस ले रही थी। पुलिस ने चाइल्ड लाइन को सूचना दी। चाइल्ड लाइन से तबस्सुम और अंजू सागर भी पहुंच गई। महिला पुलिस कर्मी को साथ लेकर उसे महिला अस्पताल के एसएनसीयू में लाया गया। यहां स्टाफ नर्स ने हाथों हाथ गोद में लिया।
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इस बीच बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रतीक गर्ग ने मासूम का परीक्षण किया। सांस तेज लेने की वजह से उसे भर्ती कर लिया गया। चिकित्सक के अनुसार, प्रथम दृष्टया नवजात एक दिन की लग रही है। उसकी सांस ठीक करने के लिए दवाइयां शुरू कर दी गईं। हर कोई मासूम को देखकर उसकी मां को कोस रहा था कि आखिर किसी को ही गोद दे देती। कुत्तों से नुचवाने के लिए नवजात को बोरे में बंद करके सड़क पर फेंक गई। नवजात को देख सबको लक्ष्मी की याद आ गई। गागन तिराहे पर झाड़ियों में मिली लक्ष्मी को कुत्तों ने नोंच खाया था। तीन सर्जरी के बाद वह स्वस्थ हुई थी। वहीं समर को भी मरने के लिए बैग में रखकर समर स्पेशल ट्रेन में छोड़ा गया था। उपचार के बाद यह दोनों बच्चे स्वस्थ हैं।
नोडल अधिकारी डॉ. संजीव बेलवाल ने बताया कि नवजात को सांस लेने में परेशानी थी। बाल रोग विशेषज्ञ ने परीक्षण कर लिया है। उपचार शुरू कर दिया गया है।
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