बाढ़ ही नहीं, फसल बुवाई पर भी पड़ रही है इस समस्या का असर, यूपी के इस जिले के किसान परेशान
रबूपुरा में डीएपी खाद की कमी से किसान परेशान हैं, जिससे आलू और सरसों की बुवाई प्रभावित हो रही है। सहकारी समिति में खाद उपलब्ध नहीं होने से कालाबाजारी बढ़ गई है, और किसान निजी दुकानों से महंगे दामों पर खाद खरीदने को मजबूर हैं। किसानों ने प्रशासन से खाद उपलब्ध कराने की मांग की है।
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रबूपुरा में डीएपी खाद की कमी से किसान परेशान हैं, जिससे आलू और सरसों की बुवाई प्रभावित हो रही है।
जागरण संवाददाता, रबूपुरा। डीएपी खाद की कमी से किसान परेशान हैं। आलू और सरसों की फसल की बुवाई प्रभावित हो रही है। किसान डीएपी खाद के लिए सहकारी समिति के चक्कर काट रहे हैं। इस कमी के चलते खाद की कालाबाजारी शुरू हो गई है। समिति के गोदाम पर खाद उपलब्ध न होने से उन्हें मजबूरन निजी दुकानदारों से महंगे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है।
आलू, सरसों और गेहूं की बुवाई के दौरान खेतों में डीएपी खाद का प्रयोग किया जाता है। इस समय सरसों और आलू की बुवाई का सीजन चल रहा है, लेकिन रबूपुरा स्थित साधन सहकारी समिति पर 30 सितंबर से डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है। खाद मिलने की उम्मीद में सैकड़ों किसान रोजाना सहकारी समिति पर आते हैं और शाम को लौट जाते हैं।
किसान गिरीश, चंद्रभान, लेखराज प्रेम सिंह आदि ने बताया कि अभी आलू और सरसों की बुवाई चल रही है और दो सप्ताह में गेहूं की बुवाई शुरू हो जाएगी। इसके लिए काफी मात्रा में डीएपी की जरूरत होती है। इतनी मांग के बावजूद खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। रोजाना सहकारी समिति के गोदाम से खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
किसानों का कहना है कि साधन सहकारी समिति पर डीएपी 100 रुपये किलो मिल रही है। 1350 रुपये प्रति बोरी। निजी दुकानों पर निजी कंपनियों की डीएपी 1600 से 1800 रुपये प्रति बोरी बिक रही है। किसानों ने बताया कि निजी दुकानदारों को पता है कि समिति के गोदाम पर डीएपी उपलब्ध नहीं है।
इसलिए वे इसका फायदा उठाकर इसे ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं। इसमें इसकी प्रामाणिकता की कोई गारंटी नहीं है। सहकारी समिति रबूपुरा के अध्यक्ष कोमल सिंह ने बताया कि प्रशासन की लापरवाही के कारण पिछले दो सप्ताह से सहकारी समिति पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है।
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