त्योहारों में बसों की क्षमता से तीन गुना अधिक यात्रियों की संख्या, मजबूरी का फायदा उठा वसूल रहे सात गुना बढ़ा किराया
त्योहारों के मौसम में बसों में यात्रियों की भीड़ सामान्य से तीन गुना अधिक हो गई है। इस स्थिति का फायदा उठाकर बस संचालक सात गुना तक अधिक किराया वसूल रहे हैं। यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
प्रवेंद्र सिंह सिकरवार, नोएडा। बिहार-पूर्वांचल रूट पर बसों की टिकट सात गुना तक बढ़ गया है। दीपावली और छठ पर घर जाने वाले प्रवासियों की संख्या अधिक है। बसों की संख्या और सीट के मुताबिक तीन गुना तक अधिक यात्री हैं। दो लाख से अधिक यात्री सड़क मार्ग से होकर गौतमबुद्धनगर से बिहार-पूर्वांचल को जाते हैं। निजी कंपनियां बिना किसी नियंत्रण के मनमानी कर रही हैं।
नोएडा में निजी बस कंपनियों की संख्या 80 से अधिक हैं। करीब 500 बसें पूर्वांचल बिहार रूट पर संचालित होती हैं। इनमें 60 प्रतिशत वाल्वो, स्कैनिया जैसी एसी बसें हैं। दो से तीन दिन में इनकी वापसी प्रतिदिन 125 से अधिक बसें बिहार और पूर्वांचल के लिए निकलती हैं। दीपावली और छठ को लेकर निजी बस आपरटेर चांदी काट रहे हैं। 20 अक्टूबर की दीपावली है।
घर जाने के लिए यात्री छह से सात गुना अधिक टिकट का पैसा देकर बुकिंग कर रहे हैं। छह हजार सवारियों को प्रतिदिन ले जाने की क्षमता है। जबकि, त्योहार पर यात्रियों की संख्या तीन गुना अधिक है। टिकट का अधिक पैसा देकर लोग बुकिंग कर रहे हैं। गौतमबुद्धनगर में बिहार और पूर्वांचल के प्रवासियों की संख्या छह लाख से अधिक है। अधिकतम कामगार हैं। एक महीने का वेतन किराये में खर्च कर अपने घरों को जा रहे हैं।
ट्रेन में 50 से 90 दिन की वेटिंग
बिहार और पूर्वांचल जाने के लिए ट्रेन में स्थिति हर बार की तरह ही है। आनंद विहार और नई दिल्ली स्टेशनों से पूर्वांचल-बिहार जाने वाली ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट 50-90 दिनों की चल रही है। राप्ती गंगा एक्सप्रेस में 90 दिन की वेटिंग है, जबकि स्पेशल ट्रेनें (12,000 से ज्यादा) चलने के बावजूद कंफर्म सीट मिलना मुश्किल। भारतीय रेलवे ने 60-दिन की एडवांस बुकिंग नियम लागू किया है, इसमें 20 अक्टूबर के लिए बुकिंग अगस्त से ही शुरू हो गई थी। बिहार-यूपी रूट पर यात्रियों की संख्या अधिक है।
टैक्सी भी बजट से हुई दूर
बस और ट्रेन में भीड़ होने चलते निजी या शेयरिंग टैक्सी पर निर्भरता और ज्यादा परेशान करता है। सेडान टैक्सी का किराया बिहार पूर्वांचल के लिए 11,000-12,000 रुपये है, जबकि एसयूवी के लिए 15,000-18,000 रुपये तक है। नौ रुपये प्रति किलोमीटर से होने वाली टैक्सी की बुकिंग दीपावली और छठ पर घर जाने के लिए 12 रुपये में हो रही है। शेयरिंग टैक्सी में जाने के लिए लोगों को चार से छह हजार रुपये प्रति व्यक्ति देना पड़ रहा है। यह सामान्य से दोगुना है।
दीपावली से दो दिन पहले और बाद में सबसे अधिक मारामारी
दीपावली त्योहार को लेकर 18 से 22 अक्टूबर तक बसों में टिकट के लिए सबसे अधिक मारामारी है। नोएडा डिपो से लखनऊ तक की बसें चलतीं हैं। बिहार और पूर्वांचल के लिए कोई सीधी बसें नहीं हैं। निजी बसों में लखनऊ का टिकट दीपावली के दिनों में 600 से बढ़कर पांच हजार, वाराणसी का किराया 700 की जगह 5500 रुपये, गोरखपुर और प्रयागराज का टिकट निजी बसों में सात हजार रुपये से अधिक है।
"डिपो के पास सीएनजी बसें हैं। ऐसे रूट तय किए जाते हैं कि बसें आसानी से लौट आएं। सबसे लंबी दूरी पर लखनऊ तक की बसें डिपो से चलतीं हैं। कुछ बसों को दुरुस्त कराया जा रहा है। जिन रूट पर अधिक यात्री हैं उन पर इन बसों को चलाया जाएगा।"
-रोहिताश सिंह, एआरएम, नोएडा डिपो
"दीपावली पर घर जाने के लिए ट्रेन में रिजर्वेशन कंफर्म नहीं हो रहा है। 18 अक्टूबर को बिहार जाने के लिए किराया 10 हजार रुपये से अधिक का टिकट निजी बस से मिल रहा है। इतने महंगे टिकट के साथ घर जाना मुश्किल है।"
-विकास राज, सेक्टर-62
"दीपावली से दो दिन पहले जाने के लिए टिकट काफी महंगा मिल रहा था। त्योहार से एक हफ्ते पहले ही घर के लिए निकल आया हूं। परिवार में चार लोग हैं। महंगा टिकट लेने से पहले निकलना ज्यादा बेहतर लगा।"-सौरभ कुमार, सेक्टर-74
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