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    1993 में मनीऑर्डर भेजने के लिए लिया था 1575 रुपये कमीशन, अब 32 साल बाद उप डाकपाल को मिली 3 साल की कैद

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 02:09 PM (IST)

    1993 में मनीऑर्डर पर अवैध रूप से 1575 रुपये कमीशन लेने के मामले में एक उप डाकपाल को तीन दशक बाद तीन साल की जेल हुई। शिकायत के बाद मामले की सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने उप डाकपाल को दोषी पाया। यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा संदेश है, जो दर्शाता है कि दोषी अंततः न्याय के कटघरे में आते हैं।

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    सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। जिला न्यायालय में एसीजेएम-प्रथम मयंक त्रिपाठी द्वितीय की कोर्ट ने मनीऑर्डर गबन के एक मामले में दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई है। दोषी पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने का भुगतान न करने पर एक साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

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    अभियोजन के अनुसार नोएडा के सेक्टर-19 के डाकघर तत्कालीन उप डाकपाल हापुड़ के महेंद्र कुमार ने 12 अक्टूबर 1993 को अरुण मिस्त्री का मनीऑर्डर भेजने के लिए 1575 रुपये कमीशन सहित लिए थे, लेकिन यह राशि सरकारी खाते में जमा नहीं की और बदले में जाली रसीद जारी कर दी।

    जांच में मामला उजागर हुआ और आरोपित ने बाद में राशि जमा कराई। आरोपित के अधिवक्ता ने कम सजा की मांग की थी। वहीं अभियोजन पक्ष ने अधिकतम सजा की मांग की थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने यह सजा सुनाई है।

    अदालत ने दोषी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसे जमा नहीं करने पर एक साल की अतिरिक्त कैद की सजा का प्रावधान है। यह आदेश 31 अक्टूबर को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम-I) मयंक त्रिपाठी ने दिया, जिन्होंने हापुड़ निवासी महेंद्र कुमार को तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत दोषी करार दिया।