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    Nithari Kand: आखिर किसने की 19 बच्चों की हत्या? पंढेर-कोली मासूम तो गुनाहगार कौन?

    नोएडा के निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया गया है। अब सवाल यह है कि 19 बच्चों का हत्यारा कौन था? पीड़ितों को न्याय कैसे मिलेगा? जांच एजेंसियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि असली अपराधी अभी भी पकड़ से बाहर हैं।

    By Munish Kumar Sharma Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Thu, 31 Jul 2025 01:04 PM (IST)
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    निठारी कांड में जांच एजेंसियों की भूमिका पर भी सवालिया निशान। (सुरेंद्र कोली फाइल फोटो- )

    मुनीश शर्मा, नोएडा। निठारी कांड को लेकर लड़ी जा रही कानूनी लड़ाई लगभग-लगभग खत्म हो गई है। बुधवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भले ही मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली दोषमुक्त हो गए, लेकिन फैसले ने लोगों के मन बड़ा सवाल खड़ा दिया है कि आखिर नाले से मिले 19 बच्चों और बच्चियों का हत्यारा कौन था। इन बच्चों और उनके स्वजन को न्याय कैसे मिलेगा। सभी नरकंकालों के पीछे कौन था।

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    2006 में निठारी हत्याकांड जैसे जघंन्य मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। सिलसेवार हत्या, यौन उत्पीड़न और यहां तक नरभक्षण के आरोप भी शामिल थे। जिसने भी हत्याकांड के बारे में सुनता था। वो ही सिहर जाता था।

    सुप्रीम कोर्ट से पंढेर और कोली को मिली राहत

    अपने बच्चों को अकेले बाहर भेजने और अनजान के संपर्क में आने से बचते थे। इसके पीछे मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली का नाम सामने आया था। सीबीआई की अदालत में दोनों को दोषी माना था। 17 अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने दोनों को दोषमुक्त कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट से भी दोनों को राहत मिली है।

    अब लोगों में यह चर्चा आम है कि ऐसा जघंन्य अपराध करने वाला कौन था। पुलिस प्रशासन उन दोषियों तक क्यों नहीं पहुंच पाया। जिन्होंने बच्चे और बच्चियों के साथ इस तरह का अपराध किया था। उनकी निर्मम हत्या कर दी थी। नरकंकाल को नाले में डालकर छिपा दिया था, जबकि पुलिस, जांच एजेंसी भूसे में से सूई तक निकाल लाती हैं।

    फिर इस केस में ऐसा क्या हुआ कि 19 साल तक दो अपराधी पुलिस के शिकंजे में रहे, लेकिन शक की सूई किसी ओर के अपराधी होने की ओर इशारा कर रही है। पुलिस और सीबीआई 19 बच्चों और बच्चियों के अपराधियों के गिरेबान तक पहुंचने में नाकाम है। जांच में कदम-कदम पर लापरवाही बरती गई।

    जांच एजेंसियों की भूमिका पर सवाल

    यालय ने इस मामले में जांच एजेंसियों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। पीड़ित फैसलों को मन ही मन स्वीकार करने को मजबूर है, लेकिन आरोपितों के पकड़े जाने पर भी जांच एजेंसियों की कार्रवाई से निराश ही हैं। खुद ज्योति के पिता झब्बू लाल ने सवाल खड़े किए हैं।