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    ग्रेटर नोएडा में यमुना के पानी में डूबे 1500 फार्महाउस, सामने आ रहे डायरिया, बुखार और त्वचा रोग के मरीज

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 05:50 PM (IST)

    यमुना नदी में आई बाढ़ से ग्रेटर नोएडा में तबाही मची है जहां 1500 से अधिक फार्म हाउस जलमग्न हो गए हैं। मोमनाथल गांव के कई परिवार बांधों पर शरण लेने को मजबूर हैं जहां वे बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बाढ़ के कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी बढ़ रही हैं।

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    बाढ़ ने डुबोया मोमनाथल, गांव व फार्म हाउस में रहने वाले सैकड़ों परिवार बने शरणार्थी।

    रंजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा। यमुना के जलस्तर ने न सिर्फ 1500 से अधिक फार्म हाउस बल्कि खादर क्षेत्र में बसे गांवों के सैकड़ों परिवारों को भी बांध पर शरणार्थी बना दिया है। पिछले सप्ताह से यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण लोग बांध पर और जिला प्रशासन के राहत शिविर व शरणालयों में रात गुजारने को विवश हैं।

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    जो लोग अभी भी गांव में रह गए हैं, वह रात में चौकसी कर रहे हैं, ताकि गांव में और अधिक जलस्तर बढ़ने से वह परिवार समेत गांव से सकुशल बाहर निकल सकें। एक सप्ताह से ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-150 व 151 में यमुना नदी के किनारे बनाए गए करीब 1500 से अधिक फार्म हाउस जलमग्न हो चुका है। लगातार जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

    बांध पर भी करीब 15 फुट तक भर आया पानी

    सेक्टर-150 व 151 में बांध के समीप करीब 15 फुट तक पानी पहुंच गया है। डूबे फार्म हाउस की सिर्फ छतें ही दिखाई दे रही हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यमुना नदी के किनारे बसा मोमनाथल गांव सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां घरों, खेतों और सड़कों पर पानी भर गया है।

    यमुना का जलस्तर स्थिर होने का दावा

    जिला प्रशासन का दावा है कि शुक्रवार को जलस्तर स्थिर बना हुआ है। शुक्रवार दोपहर दो बजे तक यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 200.6 मीटर पर स्थिर है। इस स्थिति ने स्थानीय निवासियों में दहशत पैदा कर रखी है।

    मोमनाथल में रहने वाले लोग भी बने शरणार्थी

    बाढ़ के कारण मोमनाथल गांव के करीब 50 से अधिक अधिक परिवारों ने यमुना के बांध पर शरणार्थी बन गए हैं। ये परिवार अपने घरों को छोड़कर अस्थायी तंबुओं और आसमान तले रहने को मजबूर हैं।

    बांध पर बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते लोगों को भोजन, पानी और शौचालय जैसी जरूरतों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य शुरू किए हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि सहायता अभी भी अपर्याप्त है।

    स्वास्थ्य समस्याएं भी करने लगी परेशान

    बाढ़ के साथ-साथ स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ने लगी हैं। बांध पर लगाए गए चिकित्सा शिविर में मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। दूषित पानी और अस्वच्छ परिस्थितियों के कारण डायरिया, बुखार और त्वचा रोगों के मामले सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा शिविरों में दवाइयों और चिकित्सकों की व्यवस्था की है, लेकिन बढ़ती मरीजों की संख्या के चलते संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। सेक्टर-151 में दो डाक्टरों के साथ सात लोगों की मेडिकल टीम मौजूद हैं। शुक्रवार दोपहर दो बजे तक 150 मरीजों के स्वास्थ्य की जांच कर दवाई दी गई। अधिकांश एलर्जी और सर्दी बुखार से पीड़ित हैं।

    बाढ़ प्रभावितों को खाद्य सामग्री, पीने का पानी, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिए जा रहे हैं। मौके पर दो एंबुलेंस भी तैनात की गई हैं। गंभीर मरीजों को तुरंत उच्च अस्पताल में भर्ती कराने के निर्देश दिए गए हैं। जिला प्रशासन की टीम प्रभावितों को हर संभव मदद दे रही है।

    - आशुतोष गुप्ता, एसडीएम सदर गौतमबुद्ध नगर।

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