नोएडा के ट्विन टावर को गिरे हुए तीन साल, एक भी अफसर पर नहीं गिरी गाज; जानिए कब-कब क्या हुआ?
नोएडा के सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक के ट्विन टावर को गिराए जाने के बाद भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई है। जांच में 11 अधिकारियों को बिल्डर को फायदा पहुंचाने का दोषी पाया गया है। शासन को रिपोर्ट भेजे जाने के बाद भी तीन साल में कोई कार्रवाई नहीं हुई जिससे सवाल उठ रहे हैं। दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है।
जागरण संवाददाता, नोएडा। पहले 28 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सेक्टर-93 ए स्थित एमराल्ड कोर्ट सोसायटी में बना ट्विन टावर एपेक्स (29 मंजिला) व सियान (32 मंजिला) ध्वस्त किया गया था, लेकिन सुपरटेक ट्विन टावर निर्माण मामले में जांच के बाद 11 अधिकारियों को दोषी माना गया है।
इन अधिकारियों पर बिल्डर को फायदा पहुंचाने और नियमों को तोड़ने का आरोप लगा है। इसकी लंबे समय से चल रही जांच पूरी हो चुकी है। दो सप्ताह पहले शासन को रिपोर्ट भी भेजी जा चुकी है।
11 अधिकारियों को माना था दोषी
अब शासन के पास कार्रवाई विचाराधीन हो चुकी है, लेकिन सवाल यह है कि ट्विन टावर ध्वस्त होने तीन साल बाद भी अभी तक एक दोषी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी। जबकि शासन के निर्देश पर विजिलेंस में भी एफआइआर दर्ज कराई गई थी।
11 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी चल रही थी। चार माह पहले शासन से जांच अधिकारी ने जांच के लिए तकनीकी अधिकारी की मांग की थी। इसके बाद शासन ने ग्रेटर नोएडा में तैनात वरिष्ठ प्रबंधक नियोजन सुधीर कुमार को जांच अधिकारी के पास प्रेजेंटिंग ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया।
शासन की ओर से मांगी गई जानकारी पर बिंदुवार तकनीकी पहलुओं के प्रस्तुत कर जांच रिपोर्ट तैयार की गई। इस जांच में नियोजन विभाग के तत्कालीन प्रबंधक मुकेश गोयल, वरिष्ठ प्रबंधक ऋतुराज व्यास, सहायक नगर नियोजक विमला व एके, सहायक वास्तुविद प्रवीण श्रीवास्वत, प्लानिंग असिस्टेंट अनीता, विधि सलाहकार राजेश कुमार, विधि अधिकारी ज्ञान सिंह, परियोजना अभियंता एससी त्यागी व बाबूराम शामिल है।
टावर ध्वस्तीकरण से पहले शासन ने पहले तत्कालीन औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति से जांच कराई। समिति की जांच के बाद नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों समेत बिल्डर कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।
कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में इन्हीं 11 अधिकारियों को दोषी माना था। नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण एसीईओ को विभागीय जांच सौंपी गई। एक दो सप्ताह पहले उन्होंने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी।
सूत्रों के अनुसार उनकी जांच में भी उक्त अधिकारियों को ही दोषी माना गया है। नियोजन विभाग में तैनात अधिकारियों ने टावर की ऊंचाई और उनके बीच की दूरी के मानक तकनीकी रूप से सही न होने के बावजूद मानचित्र स्वीकृत कर दिए।
मानचित्र की स्वीकृति देते हुए प्राधिकरण के नियोजन विभाग के अधिकारियों ने दरियादिली दिखाई। टावर की ऊंचाई, उनके बीच की दूरी तय करने में सुरक्षा मानकों तक की अनदेखी कर दी। यही नहीं एमेराल्ड कोर्ट सोसायटी में रहने वालों की जिदंगी तक को दांव पर लगा दिया।
कब कब क्या हुआ?
- 2004: सेक्टर-93ए में सुपरटेक को ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के लिए प्राधिकरण से जमीन आवंटित हुई
- 2005: सुपरटेक को 10 मंजिल व 14 टावर बनाने के लिए नोएडा प्राधिकरण से अनुमति मिली
- 2006: सुपरटेक ने प्रोजेक्ट के लिए और जमीन मांगी। एक और टावर बनाने कि लिए अनुमति मिली। टावरों की संख्या 15 हुई।
- 2009: सुपरटेक ने दोबारा बिल्डिंग प्लान रिवाइज किया। एपेक्स व सियान नाम के दो और टावर बढ़ाए। निवासियों के विरोध के बीच काम शुरू।
- 2012: एपेक्स और सियान को 24 से 40 मंजिला करने के लिए सुपरटेक ने एक बार फिर प्लान रिवाइज किया।
- दिसंबर 2012: ग्रीन एरिया में निर्माण करने और टावरों की बीच 16 मीटर से कम दूरी के लिए नियमों के उल्लंघन को लेकर सोसायटी निवासियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट कर रुख किया।
- 2014: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए दोनों टावरों को गिराने का आदेश दिया। प्राधिकरण को बिल्डर के साथ मिलीभगत के लिए फटकार लगाई।
- मई 2014: सुपरटेक ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
- 31 अगस्त 2021: सुप्रीम कोर्ट में टावर ध्वस्त करने के निर्णय पर मुहर लगाई।
- 28 अगस्त 2022: दोनों टावर ध्वस्त किए गए।
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