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    अमेरिकी टैरिफ को लेकर निर्यातकों में व्यापार को लेकर बढ़ी चिंता, ईपीसीएच ने सीएम योगी के समक्ष उठाया मुद्दा

    अमेरिकी टैरिफ के चलते भारतीय हस्तशिल्प निर्यातकों में चिंता बढ़ गई है। ईपीसीएच के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुनौतियों पर चर्चा की। निर्यातकों को व्यापार में गिरावट और कारीगरों की आजीविका का खतरा महसूस हो रहा है। सरकार से हस्तक्षेप की मांग की गई है ताकि वैश्विक परिवर्तनों का असर उद्योग पर न पड़े। उत्तर प्रदेश से हस्तशिल्प का निर्यात 7122.49 करोड़ रुपये रहा।

    By Arpit Tripathi Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Thu, 28 Aug 2025 10:44 AM (IST)
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    लखनऊ में मुख्यमंत्री के साथ चर्चा करते ईपीसीएच के पदाधिकारी

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। अमेरिकी टैरिफ को लेकर निर्यातकों में व्यापार को लेकर चिंता शुरू हो गई है। बुधवार को एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिग फार हेंडीक्राफ्ट्स (ईपीसीएच) के पदाधिकारियों ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात की।

    बैठक में ईपीसीएच के मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल व कार्यकारी निदेशक आरके वर्मा उपस्थित रहे। अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक राजेश रावत ने बताया कि बैठक का उद्देश्य भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव और संभावित रणनीतियों पर चर्चा करना था।

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    ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा अमेरिकी टैरिफ वृद्धि ने भारतीय हस्तशिल्प निर्यातकों के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, जिससे न केवल व्यापार की मात्रा बल्कि लाखों कारीगरों की आजीविका भी खतरे में पड़ गई है।

    इस टैरिफ झटके के कारण निर्यात में गिरावट, ऑर्डर रद होने और निर्यातकों, खासकर छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों, जो हस्तशिल्प उद्योग की रीढ़ हैं के लिए कार्यशील पूंजी का संकट पैदा हो गया है। इन चुनौतियों के बावजूद, हस्तशिल्प क्षेत्र ‘राष्ट्र प्रथम’ नीति के सिद्धांत के प्रति प्रतिबद्ध है। उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा हस्तशिल्प निर्यातक राज्य है।

    पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को एक विजन पेपर 2025-35 प्रस्तुत किया है। यह पेपर हस्तशिल्प निर्यात को दोगुना करने, मुरादाबाद, सहारनपुर, भदोही, वाराणसी आदि जैसे विश्व प्रसिद्ध शिल्प समूहों को मजबूत करने और कारीगरों के कल्याण को बढ़ाने की रणनीतियां के बारे में

    अवधेश अग्रवाल ने कहा कि हस्तशिल्प निर्यातक भारी दबाव में हैं, लेकिन यह सामूहिक संकल्प का भी समय है। जहां सरकार निर्यातकों के लिए अनुकूल शर्तें सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखे हुए है। वहीं यूरोपीय संघ, मध्य पूर्व, पूर्वी एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे उभरते और उच्च-संभावना वाले क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति बढ़ानी होगी।

    आरके वर्मा ने कहा कि ईपीसीएच सरकार के साथ मिलकर तत्काल राजकोषीय और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उद्योग को वैश्विक व्यापार परिवर्तनों का खामियाजा न भुगतना पड़े।

    इसमें अमेरिका जाने वाले शिपमेंट के शेपमेंट के लिए लागत समानीकरण प्रोत्साहन, ब्याज समानीकरण योजना के तहत बढ़े हुए लाभ, आयकर अधिनियम की पूर्ववर्ती धारा 80 एचएचसी के अनुरूप आयकर छूट, बढ़ी हुई दरों के साथ भारत से व्यापारिक निर्यात योजना (एमईआइएस) को फिर से लागू करना, हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए बढ़ी हुई आरओडीटीईपी और शुल्क वापसी दरें और निर्यात संवर्धन मिशन योजना के तहत प्रोत्साहन योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाना शामिल है।

    ग्रेटर नोएडा में अक्टूबर में होने वाली आइएचजीएफ मेला के उद्घाटन करने का निमंत्रण भी दिया। मुख्यमंत्री को बताया कि 2024-25 के दौरान अमेरिका को हस्तशिल्प का निर्यात 12,814.73 करोड़ रुपये रहा। 2024-25 के दौरान उत्तर प्रदेश से हस्तशिल्प का निर्यात 7122.49 करोड़ रुपये रहा।