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    SIR: विवाहित महिलाओं के मायके के रिकॉर्ड बने एसआईआर अभियान में बाधा, प्रक्रिया हो गई धीमी

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 11:07 AM (IST)

    नोएडा में मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए चल रहे एसआईआर अभियान में विवाहित महिलाओं के पुराने मायके रिकॉर्ड बाधा बन रहे हैं। बीएलओ को 2003 की वोटर लिस्ट से जानकारी मिलान करने में कठिनाई हो रही है, जिससे प्रक्रिया धीमी हो गई है। सेक्टर 8 और 9 में बीएलओ को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें किराएदार और गलत पते शामिल हैं। डिजिटलाइजेशन से पहले डेटा को ठीक करना जरूरी है।

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    एसआईआर की सबसे बड़ी बाधा विवाहित महिलाओं से जुड़े पुराने मायके रिकॉर्ड बन रहे हैं।

    जागरण संवाददाता, नोएडा। जनपद में मतदाता सूची को सटीक और अद्यतन बनाने के लिए चल रहा एसआइआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) अभियान तेज रफ्तार में आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी बाधा विवाहित महिलाओं से जुड़े पुराने मायके रिकॉर्ड बन रहे हैं। बीएलओ घर–घर जाकर फार्म भरवाने में जुटे हुए हैं, पर दैनिक जागरण की पड़ताल में शनिवार को सामने आया कि विवाहित महिलाओं के रिकॉर्ड मिलान में लगने वाला समय पूरी प्रक्रिया को धीमा कर रहा है। प्रस्तुत है संवाददाता स्वाति भाटिया की रिपोर्ट...

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    एसआइआर फार्म में जन्मतिथि, आधार, मोबाइल, माता-पिता और पति-पत्नी का नाम भरना अनिवार्य है। लेकिन उन विवाहित महिलाओं के फार्म में सबसे अधिक दिक्कत आती है जिनका नाम 2003 की वोटर लिस्ट में मायके के पते पर दर्ज था। शादी के बाद वे ससुराल आ गईं, जबकि पुराने दस्तावेजों में उनकी जानकारी मायके के पते से जुड़ी हुई है।

    बीएलओ बताते हैं कि सत्यापन के लिए 2003 की वोटर लिस्ट में उनका बूथ नंबर, विधानसभा और क्रम संख्या खोजना पड़ता है, जो समय-साध्य प्रक्रिया है। कई बार रिकार्ड पुरानी फाइलों में होने के कारण मिलान में देरी होती है। हालांकि लगभग 30 प्रतिशत मामलों में मिलान कर फार्म ठीक कर दिए गए हैं, लेकिन अभी बड़ी संख्या में फार्म लंबित हैं।

    सेक्टरों में दिनभर का संघर्ष

    दोपहर 12 बजे सेक्टर–8 के बी, सी और डी ब्लॉक की पड़ताल में सामने आया कि यहां 3500 घरों में करीब 5400 परिवार रहते हैं और 12 बीएलओ तैनात हैं। बीएलओ रश्मि कुमारी ने बताया कि अधिकतर काम पूरा हो चुका है, लेकिन विवाहित महिलाओं के मायके रिकार्ड सबसे बड़ी चुनौती हैं।वहीं सेक्टर–9 में 2300 घरों में 4500 परिवार रहते हैं।

    यहां बीएलओ सुमित कुमार ने बताया कि कई परिवार किराए पर रहते थे और अब यहां नहीं हैं, जिससे फार्म वापस लौट जाते हैं। साथ ही बड़ी संख्या में विवाहित महिलाओं के मायके के पते सही करवाने में समय लग रहा है, जिसके बाद ही एसआइआर फार्म भरे जा रहे हैं।

    दिवगंत पति के नाम भी फार्म

    सेक्टर–11 की आरती गुप्ता के घर आए एसआइआर फार्म में नाम और फोटो मेल नहीं खा रहे हैं। इससे भी बड़ी समस्या यह कि उनके दिवंगत पति के नाम भी फार्म आ गया है। वह यह समझ नहीं पा रहीं कि गलत फार्म किसे लौटाएं और सही कराएं।

    डिजिटलाइजेशन से पहले साफ-सुथरे डेटा की जरूरत

    बीएलओ बताते हैं कि लगभग सारे फार्म भर लिए गए हैं और अब डेटा डिजिटलाइज किया जाना है, लेकिन विवाहित महिलाओं के मायके रिकार्ड, गलत पते और त्रुटिपूर्ण पहचान से जुड़ी समस्याएं डिजिटल प्रक्रिया में देरी पैदा कर सकती हैं। कुल मिलाकर, एसआइआर अभियान की गति विवाहित महिलाओं के पुराने मायके रिकार्ड पर अटक गई है। जब तक इन रिकार्ड का सटीक मिलान नहीं हो जाता, अभियान को समय पर पूरा करना चुनौती बना रहेगा।

    मेरे मायके का पता दिख रहा था। लेकिन अब बीएलओ ने फार्म भरने से पहले पता ठीक करवाया है, इसके बाद फार्म भरा जाएगा। - प्रियंका आरोड़ा

    मायके का पता आ रहा था, इसलिए बीएलओ ने कहा है पहले पता ठीक होगा। उसके बाद एसआइआर फार्म भरा जाएगा। फिलहाल मेरी समस्या का हल करवाया जा रहा है। व