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    गोमती उद्गम में जनवरी से करिए नौका विहार

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 05 Dec 2020 12:09 AM (IST)

    आदिगंगा के नाम से जानी जाने वाली गोमती नदी के उद्गम स्थल पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्य शुरू हो गया है। पहली जनवरी से झील में पर्यटक नौका विहार का आनंद ले सकेंगे। गोमती माता की नियमित आरती होगी। उद्गम के आसपास उद्यान विकसित किया जाएगा। तैयारी शुरू हो गई है। तटों की सफाई के साथ ही परिक्रमा मार्ग भी तैयार किया जा रहा है।

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    गोमती उद्गम में जनवरी से करिए नौका विहार

    पीलीभीत,जेएनएन: आदिगंगा के नाम से जानी जाने वाली गोमती नदी के उद्गम स्थल पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्य शुरू हो गया है। पहली जनवरी से झील में पर्यटक नौका विहार का आनंद ले सकेंगे। गोमती माता की नियमित आरती होगी। उद्गम के आसपास उद्यान विकसित किया जाएगा। तैयारी शुरू हो गई है। तटों की सफाई के साथ ही परिक्रमा मार्ग भी तैयार किया जा रहा है।

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    करीब तीन साल पहले गोमती की धारा को अविरल रूप देने तथा उद्गम स्थल के जीर्णोद्धार के लिए जनसहयोग से कार्य शुरू कराए गए थे। बाद में जनता के उत्साह को देखते हुए जिला प्रशासन ने एक ट्रस्ट बनवा दिया। इस ट्रस्ट में दान के रूप में आने वाली धनराशि से विकास कार्य कराए जाने लगे। तट पर गोमती माता का मंदिर भी बन गया। साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ट्री हट,फव्वारा, गोमती माता मंदिर के बाहर टाइल्स लगवाने के साथ मुख्य झील के चारों ओर फूलों पौधे लगवाए गए। रविवार को गोमती उद्गम स्थल पर पर्यटन को और बढ़ावा देने के लिए जिलाधिकारी पुलकित खरे ने उद्गम स्थल पर आकर खुली बैठक की। इसमें सिचाई, उद्यान, राजस्व,पशुपालन आदि विभागों के अधिकारियों के साथ पर्यटन को बढ़ाने की रुपरेखा पर मंथन किया था। रोजाना गोमती आरती कराने, नौका विहार, झील के चारों ओर तथा मंदिरों में लाइटिग कराने, फुलवारी तैयार कराने तथा कछुआ संरक्षण केंद्र बनाने पर विचार किया था। जिलाधिकारी ने बुधवार को फिर जिला मुख्यालय पर बैठक कर उद्गम पर इसी माह में कार्यों को पूरा करने के निर्देश दिए। माधोटांडा ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि राममूर्ति सिंह ने बताया कि अभी तीनों झीलों की परिक्रमा के लिए तटों की मनरेगा मजदूरों से सफाई कराकर परिक्रमा मार्ग बनवाया जा रहा है। झील के किनारे पौधे लगाने के लिए गढ्डों को बनवाया जा रहा है। प्रदेश में गोमती नदी का अपना अलग ही महत्व है। मान्यता है कि रावण का वध करने तथा लंका पर विजय के बाद भगवान श्रीराम जब लौट कर आए, तब गुरु के आदेश पर उन्होंने अपने धनुष बाण गोमती के जल से शुद्ध किए थे। गोमती की धारा को अविरल रूप दिया जाना तथा उद्गम को पर्यटन स्थल बनाने के प्रयास सराहनीय हैं।

    -मोनिका सिंह एडवोकेट

    गोमती उद्गम का सुंदरीकरण कराने तथा इसको पर्यटन स्थान की पहचान दिलाने के लिए जिलाधिकारी ने जो निर्णय लिए हैं, वह सराहनीय हैं। पर्यटन के रूप में इसकी पहचान बनने से क्षेत्र का विकास होगा तथा लोगों को रोजगार मिलेगा। क्षेत्रवासियों को भी आगे आकर अपना सहयोग देना चाहिए।

    -राजेश सिह, पूर्व प्रधान पूर्व जिलाधिकारी के कार्यकाल मे गोमती को अविरल बनाने तथा उद्गम पर सुंदरीकरण के कार्य शुरू हुए लेकिन अधूरे रह गए थे। अब फिर से डीएम ने इसे पर्यटन के रूप में विकसित कराने का निर्णय लिया है। जिससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा। -किरन सिंह, ग्राम प्रधान