... तो इन कारणों से प्रयागराज में बढ़ रहे सड़क हादसे, घायलों की जान बचाने के लिए DM ने बनाई है योजना
प्रयागराज में सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में सामने आया कि एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंचने में देरी कर रही हैं जिससे घायलों को गोल्डन आवर में इलाज नहीं मिल पा रहा है। डीएम ने दुर्घटनाओं में कमी लाने और घायलों की जान बचाने पर ज़ोर दिया। जिले में एंबुलेंस की संख्या भी कम है जिससे स्थिति और गंभीर है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। किसी भी दुर्घटना में घायल को गोल्डेन आवर में इलाज मिल जाए तो उसकी जान बचने की संभावना ज्यादा होती है। इसीलिए सरकार की ओर से एंबुलेंस सेवा दी जा रही है जो घटनास्थल पर पहुंचकर घायल को फौरन अस्पताल पहुंचा सके।
जनपद में ऐसी भी एंबुलेंस हैं जिनका रेस्पांस टाइम गड़बड़ है जिससे हादसों में मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। जिला सड़क सुरक्षा समिति की गुरुवार को संगम सभागार में हुई बैठक में आडिट रिपोर्ट में यह गड़बड़ी सामने आई। रिपोर्ट में रोड इंजीनियरिंग में गड़बड़ी, ब्लैक स्पाट, यातायात नियमों का पालन न होने से जनपद में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ने की वजह बताई गई।
डीएम मनीष कुमार वर्मा ने संबंधित विभागों के अधिकारियों से समन्वय बनाकर दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत कमी लाने के कड़े निर्देश दिए। कहा कि घायलों की जान बचाना लक्ष्य होना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक जिले की आठ एंबुलेंस का रेस्पांस टाइम बेहद खराब था। उन्हें 10 मिनट में घटनास्थल पर पहुंचना था मगर वे 23-24 मिनट में पहुंच सकीं। इसके कारण दो घायलों की मौत हो गई।
रिपोर्ट के अनुसार एंबुलेंस गोल्डेन आवर में पहुंच जाती तो दोनों की जान बचाई जा सकती थी। चार हादसों में घायलों को बचाने के लिए 108 नंबर एंबुलेंस के बजाय मैटरनिटी एंबुलेंस 102 मौके पर पहुंच गई। इसके अलावा 102 नंबर की चार एंबुलेंस को सात मिनट के रेस्पांस टाइम पर मौके पर पहुंचना था मगर वे 20 मिनट में पहुंच सकीं। मांग उठाई गई कि 108 नबंर एंबुलेंस में इमरजेंसी मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाए।
राजमार्गों तथा दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्रों के अस्पतालों को चिह्नित कर एंबुलेंस के स्टाफ को उसके बारे में जानकारी दी जाए, जिससे एंबुलेंस से घायलों को उस अस्पताल में पहुंचा जा सके। मांग की गई कि जनपद में एंबुलेंस की संख्या आबादी के मुताबिक बेहद कम है। जिले में 108 नंबर की 42 एंबुलेंस तथा 102 नबंर की 51 एंबुलेंस हैं जो जिले की लगभग 71 लाख की आबादी की अपेक्षा में काफी कम है।
आडिट रिपोर्ट को देखते हुए डीएम ने क्रिटिकल रोड्स का सर्वे कर आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए। तीन पुलों तथा फ्लाईओवर रात में स्ट्रीट लाइट न होने, दोपहिया पर ट्रिपलिंग व हेलमेट न लगाने से हादसों का कारण बताया गया है। डीएम ने जिला युवा कल्याण अधिकारी को सड़क सुरक्षा मित्र का चयन शीघ्र कराने के निर्देश दिए।
जिला सड़क सुरक्षा समिति के सचिव व पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता पीके राय, निर्माण खंड चार के एक्सईएन सुरेंद्र सिंह, टेंपो यूनियन के अध्यक्ष विनोद चंद्र दुबे, उपाध्यक्ष रघुनाथ द्विवेदी, महामंत्री रमाकांत रावत मौजूद रहे।
आजाद पार्क व सेंट जोसेफ कालेज के पास 5 कट लगाते हैं जाम
बैठक में कहा गया कि आजाद पार्क व सेंट जोसेफ स्कूल के पास पत्रिका चौराहा मार्ग की तरफ 300 मीटर में पांच कट है। मार्ग पर 15-16 कोचिंग हैं, जिस पर ट्रैफिक का दबाव रहता है और अक्सर जाम लगता है। डीएम ने पीडब्ल्यूडी, पीडीए व नगर निगम के अधिशासी अभियंताओं को निर्देशित किया कि कट को बंद कराने के लिए स्थलीय निरीक्षण कर तथ्यपरक आख्या प्रस्तुत करते हुए प्रभावी कार्यवाही करें। पन्नालाल रोड पर लेडीज क्लब के पास कैरेजवे लेवल में नहीं है। नगर निगम के सीवर लाइन के ढक्कन ऊपर हैं, जिसे पीडीए व नगर निगम द्वारा ठीक नहीं किया गया। डीएम ने नाराजगी व्यक्त करते हुए ढक्कन को ठीक कराने के लिए समिति की ओर से पत्र प्रेषित किए जाने के लिए कहा।
चर्च के पास हटे बोल्डर, अलोपीबाग फ्लाईओवर से बैरिकेडिंग
सिविल लाइंस में पत्थर गिरजाघर के पास एमजी मार्ग पर पत्थर रख दिया गया है जिससे लोगों को दिक्कत हो रही है। अलोपीबाग फ्लाईओवर के पास बैरिकेडिंग परेशानी पैदा कर रही है। डीएम ने सिटी मजिस्ट्रेट विनोद कुमार सिंह, यातायात निरीक्षक, नगर निगम, पीडीए व पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन की टीम गठित कर निरीक्षण के बाद बोल्डर हटाकर पैदल यात्रियों के लिए खोले जाने के संबंध में निर्णय लेने को कहा।
गांवों के ई-रिक्शा शहर में प्रतिबंधित, कलर कोडिंग रूट निर्धारण हो
शहर में 36105 ई-रिक्शा पंजीकृत हैं मगर काफी संख्या में गांवों से भी ई-रिक्शा शहर में संचालित होने लगे हैं। यही नहीं शहर में बिना पंजीकृत ई-रिक्शा भी हैं। इसके कारण जगह-जगह जाम लगता है। डीएम ने एडीएम सिटी सत्यम मिश्र, पुलिस, यातायात पुलिस, नगर निगम, परिवहन विभाग, पीडीए व टेंपो टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों को ई-रिक्शा चलाने को डाटा तैयार कर, कलर कोडिंग करते हुए रूट का निर्धारण करने को कहा।
सिविल लाइंस बस अड्डा की बसों के लिए जगह की तलाश करें
सिविल लाइंस बस अड्डा का नवनिर्माण के चलते तीन वर्षों के लिए अस्थायी बस अड्डा का संचालन होगा, जिसके लिए डीएम ने एडीएम नजूल संजय कुमार पाडेय, एसडीएम सदर अभिषेक कुमार सिंह, एआरटीओ, एआरएम रोडवेज, यातायात निरीक्षक की संयुक्त टीम गठित करते हुए निर्देशित किया कि जल्द ही जमीन की तलाश करें। परेड मैदान में जमीन के लिए रक्षा मंत्रालय से पत्राचार करने को कहा। निर्देश दिए कि कानपुर, लखनऊ और पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर से जाने वाली बसों के लिए अलग-अलग स्थान की तलाश करें। उन्होंने प्राइवेट बसों के लिए भी स्टैंड स्थल चिन्हित कर प्रभावी कार्यवाही के निर्देश दिए।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।