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    National Postal Week : संगम नगरी के कुंभ मेला में पहली हवाई डाक सेवा हुई थी शुरू, 13 मिनट में पूरी हुई थी यात्रा

    By RAJENDRA PRASAD YADAVEdited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Sun, 12 Oct 2025 04:26 PM (IST)

    संगम नगरी प्रयागराज में 18 फरवरी 1911 को दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा शुरू हुई। कुंभ मेला के दौरान फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने हैवीलैंड एयरक्राफ्ट से नैनी तक उड़ान भरी, जिसमें 6500 पत्र ले जाए गए। इस 13 मिनट की यात्रा को देखने के लिए लगभग एक लाख लोग इकट्ठा हुए थे। राष्ट्रीय डाक सप्ताह में विभाग के अतीत और वर्तमान को दर्शाया गया है, जो आज बैंकिंग, बीमा और अन्य सेवाएं प्रदान कर रहा है।

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    प्रयागराज का हेड पोस्ट आफिस, इससे जुड़ी तमाम रोचक बातें जुड़ी हैं। जागरण

    राजेंद्र यादव, प्रयगाराज। चिट्टी चौपाती के साथ रिटेल सेवाओं को उपलब्ध कराने वाला साधन बना डाक विभाग पहले से कहीं अधिक सक्षम है। उसका कार्य क्षेत्र अधिक व्यापक हुआ है। यदि विभाग की ऊंची उड़ान की बात करें तो संगम नगरी से दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा 18 फरवरी 1911 को शुरू हुई। उस समय यहां कुंभ मेला लगा था। उस दिन फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने इतिहास रचा।

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    हैवीलैंड एयरक्राफ्ट से नैनी के लिए भरी थी उड़ान 

    उन्होंने अपने विमान में पत्रों को साथ लेकर नैनी के लिए उड़ान भरी। वह विमान था हैवीलैंड एयरक्राफ्ट। इसी के साथ दुनिया की पहली सरकारी डाक ढोने का नया दौर शुरू हुआ। इसे देखने के लिए करीब एक लाख लोग इकट्ठे हुए थे। विशेष विमान ने शाम को साढ़े पांच बजे यमुना नदी के किनारों से उड़ान भरी और वह नदी को पार करता हुआ 15 किलोमीटर का सफर तय कर नैनी जंक्शन के नजदीक उतरा था। यह हवाई सफर 13 मिनट में पूरा हुआ था।

    6500 पत्रों को ले जाने की मिली थी अनुमति

    कर्नल वाई विंधाम ने पहली बार हवाई मार्ग से कुछ मेल बैग भेजने के लिए डाक अधिकारियों से संपर्क किया था। उस समय के डाक प्रमुख ने उसपर स्वीकृति दी थी। मेल बैग पर ‘पहली हवाई डाक’ और ‘उप्र प्रदर्शनी, इलाहाबाद’ लिखा था। इस पर एक विमान का भी चित्र अंकित था। पारंपरिक काली स्याही की जगह मैजेंटा स्याही का उपयोग हुआ था। आयोजक इसके वजन को लेकर चिंतित थे, जो आसानी से विमान में ले जाया जा सके। उस समय प्रत्येक पत्र के वजन को लेकर सतर्कता बरती जाती थी। सावधानीपूर्वक की गई गणना के बाद सिर्फ 6500 पत्रों को ले जाने की अनुमति दी गई थी।

    छह आना था पहली हवाई डाक सेवा का विशेष शुल्क

    पहली हवाई डाक सेवा का शुल्क छह आना था। इससे होने वाली आय को आक्सफोर्ड एंड कैंब्रिज हास्टल इलाहाबाद को दान में दिया गया। इस सेवा के लिए खास व्यवस्था बनाई गई थी। 18 फरवरी को दोपहर तक इसके लिए पत्रों की बुकिंग की गई। बुकिंग के लिए आक्सफोर्ड कैंब्रिज हास्टल में ऐसी भीड लगी कि उसकी हालत मिनी जीपीओ सरीखी हो गई थी। चंद दिन में हास्टल में हवाई सेवा के लिए 3000 पत्र पहुंच गए थे। एक पत्र में तो 25 रुपये का डाक टिकट लगा था। पत्र भेजने वालों में प्रयागराज की कई नामी हस्तियां थीं। 

    वर्ष 1841 से संग्रह किए गए हैं डाक टिकट

    वर्ष 1841 में तांगे से डाकसेवा की शुरुआत हुई थी। इलाहाबाद (पूर्ववर्ती नाम) से कानपुर तक वह डाक गई थी। इस अवसर पर डाक टिकट भी जारी हुआ था। वह आज भी प्रधान डाकघर में रखा है। पोस्टमास्टर जनरल राजीव उमराव बताते हैं कि यहां 1911 में पहली हवाई डाक सेवा पर जारी डाक टिकट भी संरक्षित है।

    अंग्रेजों ने जीपीओ नाम दिया

    स्थापना के समय अंग्रेजी शासकों ने इसे जनरल पोस्ट आफिस (जीपीओ) की संज्ञा दी थी। स्वतंत्रता के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ हुई तो जीपीओ को वहां स्थानांतरित कर दिया गया। ये बात और है कि प्रधान डाकघर की ख्याति बनी रही। बात भले पुरानी हो चुकी है, ढेरों लोग आज भी इसे जीपीओ कहते हैं। विभाग अब बैंकिंग, बीमा, पासपोर्ट, रेल टिकट, आधार कार्ड सहित ढेरों सुविधाओं का केंद्र बन चुका है। प्रयागराज में डाक सेवा की शुरुआत एक अक्टूबर 1854 को हुई। सिविल लाइंस में स्थापित प्रधान डाकघर ने ढेरों बदलाव देखे हैं।

    कोरोना काल में जनहित में जुटा रहा विभाग

    कोरोना काल में तो डाक विभाग ने दवा, पीपीईकिट, सैनिटाइजर तक लोगों को पहुंचाए। नौ से 13 अक्टूबर तक हम राष्ट्रीय डाक सप्ताह मना रहे हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में अतीत और वर्तमान को साथ देखते हैं तो पता चलता है कि यह विभाग कारपोरेट डाक और बिजनेस डाक के दौर से गुजर रहा है। संगमनगरी के सभी महत्वपूर्ण त्योहार पर प्रास: डाक टिकट जारी होता है, वे सभी देखने को मिल सकते हैं। इन टिकटों में गंगा और यमुना की यात्रा के विभिन्न स्थानों को दिखाने वाले स्थल भी हैं। महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर, नेहरू परिवार समेत ढेरों महापुरुषों पर आधारित टिकट फिलैटली विभाग के पास रखे हैं।

    शहीदों व पूर्व पीएम तक के जीवन से जुड़े डाक टिकट

    संगम के निकट किले के भीतर प्राचीन अशोक स्तंभ, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर उनके अस्थि विसर्जन के अवसर पर जारी डाक टिकट भी संरक्षित है। हेरिटेज, प्रधानमंत्रियों का शहर, अमर शहीदों, आधुनिक भारत के निर्माता, नामचीन साहित्यकारों, क्रिकेटरों और जाड़े के दिनों में दूर देश से उड़कर प्रयागराज के संगम पर आने वाले साइबेरियन पक्षियों वाले डाक टिकट भी यहां मिल जाएंगे।

    कोरियर के दौर में दमदारी से डटा डाक विभाग

    वर्तमान में ढेरों कोरियर कंपनिया डाक सेवा दे रही हैं। उनकी प्रतिस्पर्धा में डाक विभाग भी अपने आप में बदलाव कर डटा हुआ है। पासपोर्ट व आधार कार्ड जैसी सुविधा यहां से मिल रही हैं। वर्तमान में अपने डाक को ट्रैक् करने की सुविधा भी यह विभाग दे रहा है। पोस्ट इंफो एप से डाक को ट्रैक कर सकते हैं। एईपीएस यानी आधार इनेवल्ट पेमेंट सर्विस के तहत खाता कहीं भी हो खाता धारक अंगूठा लगाकर धन प्राप्त कर सकता है। सीईएलसी यानी चाइल्डइनरोलमेंट अर्थात पांच वर्ष से कम बच्चों का मोबाइल से आधार कार्ड बनाने की सुविधा भी विभाग दे रहा है। विभाग लोगों के मोबाइल रिचार्ज करने का भी काम कर रहा है। इसके लिए विभाग के कस्टमर सर्विस सेंटर तक आना होता है। प्रयागराज के तहत चार डिवीजन आते हैं।

    डिवीजन : बचत खाता : सुकन्या खाता : बचत पत्र

    प्रयागराज : 8,97952 : 1,24,531 : 7,04341

    सुल्तानपुर : 5,42,351 : 99,723 : 4,61,505

    मीरजापुर : 5,27,514 : 64,128 : 2,98,071

    प्रतापगढ़ : 4,78,952 : 78,537 : 3,03,097

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