हाई कोर्ट ने महाकुंभ भगदड़ में मृत लोगों के स्वजन को दिए मुआवजे पर मांगा हलफनामा, 18 जुलाई को अगली सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ में मारे गए लोगों के परिवारों को दिए मुआवजे पर हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने सरकार से दावों की कुल संख्या तय किए गए और भुगतान किए गए दावों और लंबित दावों के बारे में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने सीएमओ सरकारी अस्पतालों नर्सिंग और मेडिकल एसोसिएशन को भी नोटिस जारी कर मृतकों का विवरण मांगा है।

विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान पर मची भगदड़ में मारे गए लोगों के परिवारों को दिए गए मुआवजे के संबंध में शपथपत्र (हलफनामा) मांगा है।
न्यायमूर्ति एसडी सिंह तथा न्यायमूर्ति संदीप जैन की खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि सरकार शपथपत्र देकर बताए कि दावों की कुल संख्या कितनी है, कितने दावे तय कर भुगतान कर दिया गया और कितने अभी लंबित हैं। साथ ही, सीएमओ, सरकारी अस्पतालों, नर्सिंग व मेडिकल एसोसिएशन को पक्षकार बनाते हुए उनसे भी शपथपत्र के साथ मरीजों और मृतकों का तिथिवार विवरण देने को कहा है।
अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट में बिहार के कैमूर जिले के उदय प्रताप सिंह ने याचिका दायर की है जिनकी पत्नी की भगदड़ में मौत हो गई थी। कोर्ट ने याची की पत्नी की मौत का कोई विवरण न देने पर तल्ख टिप्पणी की।
कहा, बिना कोई जानकारी और अटाप्सी रिपोर्ट दिए याची के बेटे को लाश सौंप दी गई। मृत शरीर अस्पताल से सीधे लाया गया अथवा लावारिस पड़ी थी, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। पोस्टमार्टम हाउस से मृत शरीर सौंपा गया और चार महीने बाद भी कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। सरकार का कहना था कि याची दावा करेगा तो मुआवजे पर विचार किया जाएगा।
इस पर कोर्ट ने कहा, ‘राज्य का दायित्व है कि वह परिवार को मुआवजे का भुगतान करे। सुदूर से आए लोगों से मुआवजे की मांग की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।’ याची की पत्नी की मौत पर मुआवजे के भुगतान के संबंध में विचार किया जाए।
कोर्ट ने याचिका में सीएमओ प्रयागराज, प्राचार्य मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज, स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल, टीबी सप्रू अस्पताल, मोतीलाल नेहरू डिवीजनल अस्पताल, जिला महिला अस्पताल, इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन, इलाहाबाद नर्सिंग होम एसोसिएशन को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया है। सभी से कहा, महाकुंभ में मरीजों व मृत व्यक्तियों के तिथिवार विवरण के साथ हलफनामा दाखिल करें।
मृत घोषित अथवा मृत शरीर प्राप्त करने का समय, तिथि, पहचान सहित उसे देखने वाले डाक्टर का विवरण बताएं। सरकार के लिए मुख्य स्थायी अधिवक्ता (प्रथम) जेएन मौर्य ने अपर मेला अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी पेश की। दस्तावेज बिना तिथि वाले थे। इन्हें रिकार्ड पर रखा गया।
इसमें उल्लेखित है कि मेला क्षेत्र में एक केंद्रीय अस्पताल, 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थे जो मेला अधिकारी के नियंत्रणाधीन थे। इसके अलावा 305 बेड विभिन्न सरकारी अस्पतालों जैसे एसआरएन, टीबी सप्रू, मोतीलाल नेहरू डिवीजनल अस्पताल (काल्विन), जिला महिला अस्पताल तथा प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिंग होम में सुरक्षित थे।
प्राइवेट अस्पतालों, नर्सिंग होम में डीएम और सीएमओ के निर्देश व इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन तथा इलाहाबाद नर्सिंग होम एसोसिएशन के सहयोग से मरीज रखने की व्यवस्था थी। दो शव विच्छेदन गृह थे। एक स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल तथा दूसरा मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज की देखरेख में चल रहा था। अन्य किसी भी पोस्टमार्टम हाउस का उपयोग नहीं किया गया।

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