अलीगढ़ से प्रयागराज तक 160 किमी/ घंटे गति से ट्रेन के ट्रायल की तैयारी, दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर सफर होगा आसान
दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर ट्रेनों की गति 160 किमी/घंटा करने की तैयारी है। उत्तर मध्य रेलवे ने चिपियाना बुजुर्ग से टुंडला के बीच पहला ट्रायल किया। अब प्रयागराज तक ट्रायल की योजना है। मार्च 2026 तक 160 किमी/घंटा की रफ्तार का लक्ष्य है। कवच प्रणाली से गति नियंत्रण की जांच होगी। सुरक्षा के लिए ट्रैक किनारे दीवारें लगाई गई हैं और आधुनिक तकनीक का उपयोग हो रहा है।

दिल्ली-हावड़ा रूट पर 160 किमी/घंटा की रफ़्तार से ट्रेन दौड़ाने के लिए अलीगढ़ से प्रयागराज तक ट्रायल होगा।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। रेलवे ने अपने महत्वाकांक्षी मिशन रफ्तार के तहत दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर ट्रेनों की गति को 160 किलोमीटर प्रति घंटा करने की तैयारी तेज कर दी है। इस दिशा में पहला सफल ट्रायल 11 अक्टूबर को उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के चिपियाना बुजुर्ग (गाजियाबाद) से टुंडला के बीच हो चुका है। अब टुंडला-अलीगढ़, अलीगढ़-कानपुर, कानपुर-प्रयागराज और प्रयागराज-पं. दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) खंडों पर भी ट्रायल की योजना है।
टुंडला से गाजियाबाद के बीच एक और होगा ट्रायल
इसके अलावा, टुंडला से गाजियाबाद के बीच एक और ट्रायल होगा, ताकि दिल्ली से चलने वाली ट्रेनें एनसीआर में प्रवेश करते ही 160 किमी/घंटा की गति पकड़ सकें। वर्तमान में इस रूट पर ट्रेनें 90 से 130 किमी/घंटा की गति से चलती हैं, लेकिन रेलवे का लक्ष्य मार्च 2026 तक 160 किमी/घंटा की रफ्तार हासिल करना है। इसके लिए नवंबर-दिसंबर में ट्रायल की तैयारी चल रही है।
दो चरणों में होगा ट्रायल
पहले कवच प्रणाली से लैस लाइट इंजन के साथ परीक्षण होगा, फिर इंजन के साथ कोच जोड़कर ट्रायल किया जाएगा। दोनों ट्रायल सफल होने पर सभी ट्रेनों को 160 किमी/घंटा की गति से चलाने की अनुमति मिलेगी। ट्रायल के दौरान कवच प्रणाली की जांच होगी, जो स्वचालित रूप से गति नियंत्रित करती है।
होम सिग्नल को चालू व बंद कर गति नियंत्रण परखा जाएगा
होम सिग्नल को चालू और बंद करके यह देखा जाएगा कि कवच बिना लोको पायलट के हस्तक्षेप के गति को नियंत्रित करता है या नहीं। दिल्ली-हावड़ा रूट देश का सबसे व्यस्त रेल मार्ग है, जो 1433 किलोमीटर लंबा है। इस प्रोजेक्ट पर 6974.50 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें से 1002.12 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं।
गाजियाबाद-डीडीयू तक आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम हुआ
गाजियाबाद से डीडीयू तक 760 किलोमीटर के खंड पर आटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम लागू हो चुका है। यह तकनीक कई ट्रेनों को सुरक्षित और तेज गति से चलाने में मदद करती है, जिससे मानवीय भूलें कम होती हैं। इसके अलावा, इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग, ड्यूल एक्सल काउंटर, आटो रीसेट प्रणाली और अर्थ लीकेज डिटेक्टर जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग हो रहा है।
सुरक्षा के लिए रेलवे ट्रैक किनारे दीवारें व मेटल बीम
सुरक्षा के लिए रेलवे ट्रैक के दोनों ओर दीवारें और मेटल बीम क्रैश बैरियर लगाए गए हैं। पुराने ट्रैकों को बदलकर नए ट्रैक बिछाए गए हैं, और कवच जैसी उन्नत तकनीक शामिल की गई है। यह प्रोजेक्ट दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई दोनों रूटों पर लागू है। सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी के अनुसार, रेलवे का लक्ष्य आधुनिक तकनीक और मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ यात्रियों को तेज, सुरक्षित और विश्वसनीय यात्रा का अनुभव देना है।

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