Indira Marathon 2025 : छह बार में मन भरा नहीं, एक बार और बनना है चैंपियन, : ज्योति शंकर गवते
Indira Marathon 2025 महाराष्ट्र की ज्योति शंकर राव गवते इंदिरा मैराथन में फिर से भाग लेने आई हैं। छह बार की विजेता ज्योति एक और स्वर्ण पदक जीतना चाहती हैं और इसके बाद इस मैराथन से विदाई लेना चाहती हैं। 2013 में पहली बार प्रयागराज आने के बाद उन्होंने लगातार कई बार जीत हासिल की। उनके साथ 2022 की रजत पदक विजेता अश्वनी मदन जादव भी हैं, जो उन्हें प्रेरणा मानती हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।

Indira Marathon 2025 एक और स्वर्ण पदक की चाह में ज्योति शंकर गवते (लाल जैकेट में)। जागरण
मनीष शुक्ल, प्रयागराज। Indira Marathon 2025 इंदिरा मैराथन में एक बार फिर वही चमक और दम दिखाने लौट आई हैं। महाराष्ट्र की ज्योति शंकर राव गवते। छह स्वर्ण पदक यानी छह बार की विजेता, जीत की डबल हैट्रिक लगाने वाली ज्योति शंकर मंगलवार दोपहर जब पंजीकरण काउंटर से अपना बिब नंबर लिया। चेहरे पर मुस्कान, आंखों में चमक और कदमों में वही जोश।
Indira Marathon 2025 ट्रैक पर जाकर माथा टेका, हाथ जोड़े और मन ही मन अपना संकल्प दोहराती रहीं। महाराष्ट्र की यह धाविका छह बार इंदिरा मैराथन की चैंपियन रह चुकी हैं। 2013 में ज्योति पहली बार प्रयागराज आई थीं, कोई नहीं जानता था कि एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। उन्होंने न सिर्फ मैराथन जीतकर सबके दिलों में जगह बना ली। फिर तो जैसे रुकने का नाम ही नहीं लिया।
Indira Marathon 2025 वर्ष 2014 में अपना ही रिकार्ड तोड़ा। 2015 में हैट्रिक पूरी की। 2016 में अपना बेस्ट टाइम (2:50:57) निकाला और लगातार चौथी बार चैंपियन बनीं। 2017 और 2018 में दो और जीत के साथ उन्होंने डबल हैट्रिक लगा दी। फिर इंजरी ने ब्रेक लगा दिया। कोविड ने 2020 की मैराथन ही रद कर दी। 2022 में वापसी की तो कांस्य पदक मिला। 2023-2024 में खाली हाथ लौटना पड़ा।
Indira Marathon 2025 दैनिक जागरण से खास बातचीत में उन्होंने दिल की बात कही – “छह बार जीत चुकी हूं, पर मन अभी भरा नहीं है। एक बार और... बस एक बार और स्वर्ण पदक चाहिए। फिर आत्मसंतुष्टि के साथ इस मैराथन से विदाई ले लूंगी। प्रयागराज हमेशा मेरी झोली भरता रहा है, इस बार भी उम्मीद है।” ज्योति अबकी अकेले नहीं आईं। उनके साथ हैं उनकी जूनियर और 2022 की रजत पदक विजेता अश्वनी मदन जादव। दोनों साथ-साथ दौड़ती हैं, साथ ट्रेनिंग करती हैं। अश्वनी कहती हैं, “दीदी (ज्योति) मेरी प्रेरणा हैं। मैं अपना सौ फीसदी दूंगी। उनका सपना मेरा सपना है।” स्टेडियम में दोनों को देखते ही माहौल बदल गया।

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