Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी हत्याकांड में अशफाक को जमानत से इनकार, हाई कोर्ट ने कहा- स्पष्टीकरण तो चाहिए

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 02:02 AM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कमलेश तिवारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी अशफाक हुसैन की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि गवाहों की पहचान और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उसकी घटनास्थल पर मौजूदगी साबित होती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि स्वतंत्र देश में किसी को भी कहीं जाने का अधिकार है, लेकिन अभियुक्त ने लखनऊ यात्रा का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। निचली अदालत को मामले का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश दिया गया है।

    Hero Image

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लखनऊ में हिंदू समाज पार्टी नेता कमलेश तिवारी हत्याकांड के दो मुख्य आरोपियों में एक अशफाक हुसैन को जमानत देने से इन्कार कर दिया है। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने यह आदेश दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोर्ट ने कहा, प्रत्यक्षदर्शियों की पहचान, सीसीटीवी फुटेज और आरोपित से .32 बोर की पिस्तौल की बरामदगी सहित रिकार्ड में मौजूद सामग्री, मुकदमा लंबित रहने तक रिहाई के लिए उपयुक्त नहीं है।

    आवेदक की घटनास्थल पर मौजूदगी स्थापित है। गुजरात निवासी होने के बावजूद उसने लखनऊ में मौजूदगी का कोई ठोस कारण नहीं बताया। थाना नाका हिंडोला में 18 अक्टूबर 2019 को विभिन्न धाराओं में इस प्रकरण की एफआइआर दर्ज है।

    अशफाक के वकील ने कहा कि अपीलार्थी का नाम प्राथमिकी में नहीं था और जांच के दौरान सामने आया, वह भी अस्पष्ट और अस्वीकार्य साक्ष्यों के आधार पर। यह भी तर्क दिया कि कुल पांच अभियुक्तों को हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, इसलिए उसे भी समानता के आधार पर राहत दी जानी चाहिए।

    अपीलार्थी अक्टूबर 2019 से जेल में बंद है। मुकदमा बहुत धीमी गति से चल रहा है। आरोप पत्र में 73 गवाहों से पूछताछ का उल्लेख है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि 33 गवाहों से पूछताछ की जानी है और अभी तक केवल 30 से ही हुई है। राज्य सरकार के वकील ने आवेदक को अपराध से जोड़ने के लिए गवाहों के बयानों और फोरेंसिक सामग्री का सहारा लिया।

    कोर्ट ने कहा, स्वतंत्र देश होने के नाते भारत का कोई भी नागरिक अपनी पसंद के किसी भी स्थान पर जा सकता है, लेकिन वर्तमान मामले में अभियुक्त ने गुजरात से लखनऊ तक अपनी यात्रा के उद्देश्य के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया।

    पक्षों की दलीलें सुनने और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपीलार्थी की पहचान दो गवाहों सौराष्ट्र जीत सिंह और ऋषि तिवारी ने की तथा सीसीटीवी फुटेज से उपस्थिति भी स्थापित होती है, मामला जमानत देने के लिए उपयुक्त नहीं है।

    हालांकि, निचली अदालत को मामले के शीघ्र निपटारा का निर्देश देते हुए कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसकी टिप्पणियां जमानत आवेदन से संबंधित हैं और उनका मुकदमे के दौरान मामले के गुण-दोष पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कमलेश तिवारी की अक्टूबर 2019 में लखनऊ में चाकू घोंपकर और गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

    पुलिस के अनुसार, 2016 में दो मुख्य संदिग्धों मोहम्मद मुफ्ती नईम काजमी और इमाम मौलाना अनवारुल हक ने कथित तौर पर फरमान जारी किया था। इसमें तिवारी की हत्या करने वाले को क्रमशः 51 लाख और 1.5 करोड़ रुपये की रकम देने का वादा था।

    अभियुक्त व सह-अभियुक्तों ने की याचिका स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपर सत्र न्यायाधीश लखनऊ-1 की अदालत में लंबित सत्र वाद (राज्य बनाम अशफाक हुसैन एवं अन्य) को प्रयागराज स्थानांतरित कर दिया है।