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    मिट्टी से सने नन्हें हाथों का हुनर देख कौशांबी डीएम ने गाड़ी रुकवाई, अधिकारियों से बच्चियों को स्कूल में दाखिला कराने को कहा

    By RAJ KUMAR SRIVASTAVAEdited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Mon, 13 Oct 2025 06:34 PM (IST)

    कौशांबी के डीएम ने सड़क किनारे मिट्टी के बर्तन बना रही बच्चियों को देख गाड़ी रुकवाई। बच्चियों ने स्कूल न जाने की वजह घरेलू काम बताई। डीएम ने एसडीएम को बच्चियों का दाखिला कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में कराने का निर्देश दिया। उन्होंने बच्चियों के परिवारों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने और बच्चियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने की बात कही।

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    चाक पर काम कर रही बालिकाओ व स्वजन को शिक्षा के प्रति जागरूक करते कौशांबी डीएम मधु सुदन हुल्गी। जागरण

    जागरण संवाददाता, कौशांबी। सोमवार की दोपहर डीएम किसी दौरे पर निकले थे। सरकारी गाड़ी सड़क पर तेजी से ओसा की ओर आगे बढ़ रही थी। तभी अचानक उन्होंने ड्राइवर से कहा, गाड़ी रोको। अधिकारी और सुरक्षाकर्मी चौंक गए, लेकिन डीएम की नजरें सड़क के किनारे कुछ अनोखा देख चुकी थीं। वहां कुछ छोटी बच्चियां मिट्टी से बर्तन बना रही थीं। चाक पर अपने नन्हे हाथों से मेहनत करते हुए मिट्टी को नया रूप दे रही थी।

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    बच्ची बोली- स्कूल जाएंगे तो बर्तन कौन बनाएगा?

    बच्चियों को इस तरह काम करते देख डीएम ठिठक गए। वह गाड़ी से उतरकर सीधे बच्चियों के पास पहुंचे। बच्चियों के कपड़े मिट्टी से सने हुए थे, लेकिन उनकी आंखों में हुनर की चमक थी। उनसे बड़े प्यार से बात करना शुरू किया। पूछा कि वो स्कूल क्यों नहीं जा रही हैं। एक बच्ची ने जवाब दिया, पढ़ना तो अच्छा लगता है, लेकिन घर में काम करना पड़ता है। स्कूल जाएंगे तो बर्तन कौन बनाएगा?

    एसडीएम को बच्चियों का स्कूल में दाखिला कराने को कहा

    यह सुनकर डीएम कुछ पल के लिए चुप हो गए। उन्हें समझ आ गया कि गरीबी और जिम्मेदारियां इन बच्चियों के सपनों पर भारी पड़ रही हैं। इसके बाद उन्होंने पास खड़े उप जिलाधिकारी सुखलाल प्रसाद वर्मा को निर्देशित किया कि संबंधित अधिकारी से समन्वय स्थापित कर इन बच्चियों का प्रवेश कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय अथवा राजकीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय भरसवा में सुनिश्चित कराया जाए।

    सरकारी योजनाओं से भी जोड़ने का निर्देश

    डीएम ने अधिकारी से कहा कि इसके अलावा बच्चियों के परिवारों से बातचीत की जाए, उनकी आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन किया जाए, और उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाए ताकि बच्चियों को शिक्षा से जोड़ा जा सके। हमारा कर्तव्य केवल सड़कों और इमारतों तक सीमित नहीं है, हमें समाज की नींव यानी बच्चों की शिक्षा को भी मजबूत करना होगा।

    डीएम ने बालिकाओं को पढ़ाई के प्रति किया जागरूक

    इसके साथ ही डीएम ने बच्चियों को भरोसा दिलाया कि अगर वे पढ़ाई में मन लगाएंगी तो सरकार और प्रशासन हर संभव मदद करेगा। यह सिर्फ एक प्रेरणा नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक बदलाव की शुरुआत थी।

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