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    Prayagraj Flood News : गंगा-यमुना ने चेतावनी बिंदु पार किया, खतरे के निशान से कुछ ही दूर, अभी भी तेजी से बढ़ रहा जलस्तर

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 04:26 PM (IST)

    प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है जो चेतावनी बिंदु को पार कर चुका है और खतरे के निशान के करीब है। बाढ़ का पानी तटीय क्षेत्रों में घुस गया है जिससे लोगों को पांचवीं बार घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। लगभग दो हजार बाढ़ पीड़ित राहत शिविरों में पहुंच चुके हैं। जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है।

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    प्रयागराज में गंगा-यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। नागवासुकि मंदिर के समीप बाढ़ में डूबे मकान। जागरण

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा व उत्तराखंड के साथ ही बुंदेलखंड व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वर्षा के चलते गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। सोमवार को प्रयागराज में दोनों नदियां खतरे का चेतावनी बिंदु पार कर गईं। अब दोनों नदियां खतरे के निशान के मात्र 85 सेमी नीचे ही हैं।

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    आज रात खतरे के निशान को पार करने की आशंका

    गंगा व यमुना प्रतिघंटा पांच से छह सेमी बढ़ रही हैं जिससे संभावना जताई गई है कि रात में खतरे का निशान पार कर जाएंगी। गंगा-यमुना में आई बाढ़ का पानी तटीय क्षेत्रों की बस्तियों में घुसने से हाहाकार सा मच गया है। दो माह में पांचवी बार बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले लोगों के सामने फिर घर छोड़ने का संकट उत्पन्न हो गया है।

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    राहत शिविरों में दो हजार बाढ़ पीड़ित पहुंचे

    लगभग दो हजार बाढ़ पीड़ित राहत शिविरों में पहुंचे हैं। शहर में सात राहत शिविर खुले हैं। अब तक शहर के 12 मोहल्ले तथा 42 गांव बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। जिला प्रशासन ने बाढ़ को लेकर अलर्ट घोषित कर दिया है।

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    इस बार गंगा-यमुना में पांचवीं बार बाढ़

    गंगा और यमुना में पांचवी बार बाढ़ के कारण तटीय क्षेत्रों के घरों की नींव खिसकने का खतरा उत्पन्न हो गया है। शहर के दो दर्जन मोहल्लों तथा 62 गांवों के छह हजार ऐसे घर हैं जो 84 मीटर पानी पहुंचने पर डूब जाते हैं। सोमवार दोपहर तक दोनों नदियों का जलस्तर 83.85 सेमी तक पहुंच गया है। अभी तक लगभग ढाई हजार घरों में पानी घुस गया है। अब तक आई बाढ़ के चलते सैकड़ों घरों की दीवारें क्रैक हो चुकी हैं। बाढ़ पीड़ित पानी उतरने पर घरों की मरम्मत कराते हैं और फिर बाढ़ आने से दीवारों की वही हालत हो जाती है।

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    नदियों की लहर टकराने से घरों की दीवारों को पहुंच रही क्षति

    दरअसल, बाढ़ के चलते घरों में लहरें टकराती हैं जिससे दीवारों को क्षति पहुंचती है। बाढ़ के चलते घरों के डूबने से राहत शिविरों में पहुंचे पीड़ितों की दिन की चैन और रात की नींद छिन गई है। घरों में गृहस्थी के बर्बाद होने से शरणार्थियों की चिंता बढ़ गई है। पांच बार के बाढ़ से उनकी आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। गंगा किनारे स्थित शहर के मऊ सरैया, नेवादा, गंगानगर, राजापुर, बेली, शंकरगढ़, सलोरी, गोविंदपुर, बघाड़ा, ढरहरिया व दारागंज मोहल्ले की कई बस्तियों में स्थित घरों में पानी घुस गया है। यहां के पीड़ित घर छोड़कर राहत शिविरों में पहुंचे हैं।

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