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    Pitru Paksha 2025 : पितृ पक्ष कल से, जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध कौन करे... बता रहे प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 07:10 PM (IST)

    Pitru Paksha 2025 पितरों के के श्राद्ध का पितृ पक्ष कल से शुरू होगा। ब्रह्म पुराण के अनुसार श्राद्ध से पितरों को तृप्ति मिलती है और पिंडदान इसका अहम हिस्सा है। कौवे पितरों के प्रतीक माने जाते हैं इसलिए पिंडदान के बाद उन्हें अंश दिया जाता है। श्राद्ध में शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है और क्रोध व जल्दबाजी से बचना चाहिए।

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    Pitru Paksha 2025 पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व पितृ पक्ष का आरंभ सात सितंबर से होगा।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Pitru Paksha 2025 पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व पितृ पक्ष भाद्रपद शुक्लपक्ष पूर्णिमा तिथि रविवार से आरंभ हाे जाएगा। पित पक्ष में अपने पितरों का कैसे तर्पण करें, क्या है विधि जिससे पितृ संतुष्ट रहें। इसके अलावा तमाम ऐसी गूढ़ता की बातें भी जानना जरूरी है। यह सब बता रहे हैं प्रयागराज के ज्योतिर्विद।

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    जिनका पुत्र नहीं है, उनका दौहिक कर सकते हैं श्राद्ध

    ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार ब्रह्म पुराण के अनुसार श्राद्ध के माध्यम से पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है। पिंड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है। जिनका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं। कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकतीं है। पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें और बिल्व फल प्रयोग न करें। केवल घी का धुआं न करें। 

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    पितर के प्रतीक है कौआ

    Pitru Paksha 2025 ज्योतिषाचार्य अमित बहोरे बताते हैं कि कौआ पितर के प्रतीक माने जाते हैं। इसी कारण पिंडदान करने के बाद सबसे पहले उनका अंश निकाला जाता है। गाय में देवताओं का वास माना गया है, इसलिए गाय का महत्व है। जौ के आटा, खीर, व खोवे का पिंडदान करने का विधान है। इसमें सबसे श्रेष्ठ खीर का पिंडदान माना जाता है।

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    श्राद्ध में रखें शुद्धता का ध्यान : डा. बिपिन

    विश्व पुरोहित परिषद के अध्यक्ष डा. बिपिन पांडेय बताते हैं कि श्राद्ध करने वाले व्यक्ति व उनके परिवार के लोगों को शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बताते हैं कि विष्णु पुराण में शरीर, द्रव्य, स्त्री, भूमि, मन, मंत्र और ब्राह्मण-ये सात चीजों को शुद्ध रखने का निर्देश दिया गया है। गोशाला, देवालय और नदी तट पर श्राद्ध करना श्रेष्ठ होता है। सोना, चांदी, तांबा और कांसे के बर्तन अथवा पलाश के पत्तल में भोजन करना व कराना अतिउत्तम होता है। लोहा व मिट्टी के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। श्राद्ध के समय क्रोध नहीं करना चाहिए। न ही जल्दबाजी में श्राद्ध करना चाहिए। सफेद सुगंधित पुष्प श्राद्ध में प्रयोग करना चाहिए। लाल, काले फूलों का प्रयोग न करें।

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    श्रद्धा से हुआ 'श्राद्ध' शब्द का निर्माण

    Pitru Paksha 2025 सनातन संस्था की प्राची जुवेकर के अनुसार ''श्राद्ध'' शब्द का निर्माण श्रद्धा हुआ है। परलोक जाने वाले स्वजनों के निमित्त पितृपक्ष में श्राद्ध किया जाता है। पितरों को आगे के लोक में जाने के लिए गति मिले इसके लिए श्राद्ध विधि द्वारा उन्हें सहायता की जाती है। अपने कुल के जिन मृत व्यक्तियों को उनके अतृप्त वासना के कारण सद्गति प्राप्त नहीं होती अर्थात वे उच्च लोक में न जाकर निचले लोक में फंसे रहते हैं।

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