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    बेरोजगारी का आलम: इंजीनियर से लेकर डीफार्मा डिग्री धारकों ने भरा रोडवेज कंडक्टर का फॉर्म, नौकरी की चाहत में टूटी डिग्री की दीवार

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 10:02 PM (IST)

    प्रयागराज में रोडवेज कंडक्टर भर्ती मेले में इंजीनियर और डीफार्मा डिग्री धारकों समेत 85 महिलाओं ने आवेदन किया। 12वीं पास की योग्यता वाली नौकरी के लिए उच्च शिक्षित महिलाओं की भीड़ बेरोजगारी का आलम दिखाती है। कंप्यूटर साइंस इंजीनियर स्वयं सहायता समूह सदस्य और बैंक सखी जैसी महिलाएं भी शामिल हुईं। रश्मि और रंजना जैसी बहनों ने भी एक साथ नौकरी की इच्छा जताई।

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    राजापुर स्थित प्रयाग डिपो कार्यशाला में रोडवेज कंडक्टर भर्ती के लिए आवेदन करती महिलाएं। जागरण

    अमरीश मनीष शुक्ल, प्रयागराज। एक ओर जहां देश में डिग्री और डिप्लोमा धारकों की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर नौकरी की तलाश में उच्च शिक्षित युवा अब 12वीं स्तर की नौकरियों के लिए भी कतार में खड़े नजर आ रहे हैं। 

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    ऐसा ही नजारा शुक्रवार को प्रयागराज के राजापुर रोडवेज वर्कशाप में देखने को मिला, जहां उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (रोडवेज) द्वारा आयोजित महिला परिचालक भर्ती मेले में इंजीनियरिंग, बीएससी, डीफार्मा और आईटीआई जैसी डिग्रियां लिए 85 महिलाएं नौकरी के लिए पहुंचीं। 

    बेरोजगारी का आलम यह है कि कंप्यूटर साइंस की इंजीनियर, स्वयं सहायता समूह की सदस्य, बैंक सखी, और एनसीसी-एनएसएस प्रशिक्षित महिलाएं तक इस भर्ती मेले में अपने सपनों को पंख देने के लिए कतार में खड़ी थीं।

    भर्ती मेला: सपनों की उड़ान का पहला कदम

    प्रयाग डिपो कार्यशाला में शुक्रवार को आयोजित इस भर्ती मेले में 18 से 40 वर्ष की आयु की महिलाओं ने हिस्सा लिया, जिनमें से अधिकांश 21 से 30 वर्ष की युवतियां थीं। रोडवेज ने महिला परिचालकों के लिए 12वीं पास और ट्रिपल सी (CCC) प्रमाणपत्र धारक होने की न्यूनतम योग्यता रखी थी, लेकिन आवेदकों में इंजीनियरिंग, बीएससी, डीफार्मा और आईटीआई जैसी उच्च डिग्रियां लिए महिलाएं भी शामिल थीं। 

    यह दृश्य न केवल बेरोजगारी की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आज की युवा पीढ़ी किसी भी तरह की नौकरी पाने के लिए तैयार है, चाहे वह उनकी शैक्षिक योग्यता से मेल खाए या नहीं।

    बबिता की इंजीनियरिंग डिग्री, लेकिन नजरें रोडवेज पर

    मेजा की बबिता कुशवाहा ने कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। उनके पास तकनीकी ज्ञान और कौशल है, लेकिन नौकरी की तलाश उन्हें रोडवेज के कंडक्टर पद तक ले आई। 

    बबिता कहती हैं, "मैंने इंजीनियरिंग में बहुत मेहनत की, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की अनिश्चितता और कम वेतन ने मुझे मजबूर कर दिया। रोडवेज में नौकरी स्थिरता और सम्मान देगी। मैं चाहती हूं कि मेरी मेहनत अब समाज के लिए कुछ काम आए।"  

    बबिता की तरह ही कई अन्य महिलाएं भी इस मेले में अपने सपनों को हकीकत में बदलने की उम्मीद लिए पहुंची थीं।

    रश्मि और रंजना: बहनों का एक साथ सपना

    कौड़िहार की दो सगी बहनें रश्मि और रंजना की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। रश्मि बीएससी और आईट्रिपलसी डिग्री धारक हैं और गांव में जन सेवा केंद्र चलाती हैं, जबकि रंजना ने डीफार्मा की पढ़ाई पूरी की है। दोनों बहनें एक साथ रोडवेज में नौकरी करना चाहती हैं। 

    रश्मि ने बताया, "हम दोनों बहनें हमेशा से एक-दूसरे के साथ काम करना चाहती थीं। रोडवेज में नौकरी मिलने से न केवल हमारी आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि हम समाज में महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बन सकेंगी।"

    रंजना ने हंसते हुए कहा, "डीफार्मा की पढ़ाई के बाद मैंने सोचा था कि मैं मेडिकल फील्ड में जाऊंगी, लेकिन आज के हालात में नौकरी मिलना ही सबसे बड़ी बात है। रोडवेज में काम करके मैं अपने परिवार का सहारा बनना चाहती हूं।"

    स्वयं सहायता समूह की शीतल और बैंक सखी सुमन की उम्मीद

    सोरांव की शीतल यादव स्वयं सहायता समूह चलाती हैं और समाज के लिए काम करने का जज्बा रखती हैं। उन्होंने कहा, "मैंने समूह के माध्यम से कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है, लेकिन अब मैं खुद के लिए एक स्थिर नौकरी चाहती हूं। रोडवेज में काम करके मैं अपने गांव की अन्य महिलाओं के लिए मिसाल बनना चाहती हूं।" 

    वहीं, फूलपुर की बैंक सखी सुमन देवी ने बताया, "बैंक सखी के तौर पर मैंने बहुत कुछ सीखा, लेकिन उसमें स्थिरता नहीं थी। रोडवेज की नौकरी मेरे लिए एक सुनहरा मौका है। मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे अच्छी शिक्षा पाएं और इसके लिए मुझे यह नौकरी चाहिए।"

    प्रांशु और कोमल: शिक्षिका से लेकर बीएससी डिग्री धारक तक

    निजी स्कूल में शिक्षिका के तौर पर काम कर रहीं प्रांशु शुक्ला भी इस भर्ती मेले में शामिल हुईं। उन्होंने कहा, "शिक्षण का काम मुझे पसंद है, लेकिन निजी स्कूलों में वेतन और सम्मान की कमी है। रोडवेज में नौकरी मिलने से मैं अपने परिवार को बेहतर भविष्य दे सकूंगी।" 

    वहीं, बीएससी डिग्री धारक कोमल ने बताया, *"मैंने पढ़ाई में बहुत मेहनत की, लेकिन नौकरी के लिए हर जगह भटकना पड़ा। रोडवेज की यह भर्ती मेरे लिए एक नई शुरुआत हो सकती है।"

    भर्ती प्रक्रिया: स्क्रीनिंग से प्रशिक्षण तक

    भर्ती मेले में दो स्तरों पर फार्मों का संयोजन किया गया। पहले चरण में आवेदन पत्रों की जांच की गई, फिर चयन कमेटी के सामने अभ्यर्थियों को पेश किया गया। नोडल अधिकारी और एआरएम प्रयाग प्रशांत दीक्षित, कार्यालय अधीक्षक अनवर अहमद, संतोष यादव और राजेश कुमार की कमेटी ने फॉर्मों का अवलोकन किया। 

    क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज रविंद्र कुमार ने बताया, "महिला अभ्यर्थियों को सीधे अनुबंध पत्र के आधार पर संविदा परिचालक के रूप में नौकरी दी जाएगी। स्क्रीनिंग के बाद चयनित अभ्यर्थियों को सूचित किया जाएगा और एक सप्ताह के भीतर ज्वाइनिंग प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।" उन्होंने यह भी बताया कि चयनित महिलाओं को टिकट मशीन के संचालन और अन्य प्रक्रियाओं के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

    बेरोजगारी की मार: डिग्री और नौकरी का अंतर

    इस भर्ती मेले में शामिल महिलाओं में स्वयं सहायता समूह की सदस्य, एनसीसी, एनएसएस, स्काउट गाइड और कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षित महिलाएं भी थीं। ये सभी महिलाएं रोडवेज की साधारण और एसी बसों में परिचालक के रूप में काम करेंगी। 

    यह स्थिति आज के समय की उस कड़वी सच्चाई को दर्शाती है, जहां उच्च शिक्षा और डिग्रियां भी नौकरी की गारंटी नहीं दे पा रही हैं। इंजीनियरिंग और डीफार्मा जैसी डिग्रियां लिए युवा 12वीं स्तर की नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं, जो बेरोजगारी की गंभीरता को उजागर करता है।

    नौकरी की चाहत: सपनों का नया रास्ता

    यह भर्ती मेला न केवल नौकरी का अवसर लेकर आया, बल्कि यह भी दिखाया कि आज की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में काम करने को तैयार हैं। चाहे वह इंजीनियरिंग की डिग्री हो या स्वयं सहायता समूह का अनुभव, हर कोई अपने परिवार और समाज के लिए कुछ करना चाहता है। 

    रोडवेज की इस पहल ने न केवल महिलाओं को रोजगार का अवसर दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि मेहनत और जज्बे के आगे कोई बाधा टिक नहीं सकती।

    प्रयागराज के इस भर्ती मेले ने बेरोजगारी के दौर में एक नई उम्मीद जगाई है। इंजीनियरिंग से लेकर डीफार्मा तक की डिग्रियां लिए ये महिलाएं अब बसों में परिचालक के रूप में नई जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं। 

    यह नजारा न केवल बेरोजगारी की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आज की युवा पीढ़ी अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी रास्ते पर चलने को तैयार है। रोडवेज की यह भर्ती न केवल इन महिलाओं के लिए एक नई शुरुआत है, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा है कि मेहनत और हौसले के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।