'UP की सार्वजनिक जगहों और सड़क-रास्तों से तुरंत हटाएं अतिक्रमण', हाईकोर्ट ने दिया कब्जा करने वोलों पर कार्रवाई का आदेश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक जगहों और सड़कों से अतिक्रमण हटाने का सख्त आदेश दिया है। अदालत ने अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक स्थलों पर अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।
-1760373303654.webp)
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य की ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक उपयोग की भूमि, रास्ते-सड़क से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है। कहा कि इसमें विफल अधिकारियों और भूमि प्रबंधक समिति के अध्यक्ष तथा सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की एकलपीठ ने इस कार्रवाई में उदासीन ग्राम प्रधान तथा लेखपाल के विरुद्ध हाई कोर्ट में दीवानी अवमानना की याचिका का अधिकार भी आम लोगों को दिया है। साथ ही अतिक्रमणकारियों पर हर्जाना लगाने और दोषी अफसरों पर आपराधिक कार्रवाई का निर्देश दिया है। कोर्ट ने फुटपाथ के व्यावसायिक उपयोग पर कड़ा एतराज जताया है।
झांसी निवासी मुन्नीलाल उर्फ हरिशरण की जनहित याचिका निस्तारित करते हुए कोर्ट ने 24 पेज के आदेश में सड़कों-रास्तों को लेकर अतिक्रमण के प्रति जीरो टालरेंस की नीति अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि इसे यथाशीघ्र हटाएं। अतिक्रमणकारियों पर हर्जाना लगाएं और यदि आवश्यक हो तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्रवाई करें। कोर्ट का कहना था कि अदालत पहले ही मान चुकी है कि फुटपाथ पैदल चलने वालों के लिए है और इनका उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता। संबंधित अधिकारी इन्हें बाधाओं से मुक्त रखें।
कोर्ट ने दिया निर्देश
कोर्ट ने झांसी के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वह उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में टीम गठित कर याची की शिकायत की जांच कराएं। यदि राजस्व अभिलेखों में दर्ज सार्वजनिक रास्ते पर अतिक्रमण है तो उस लेखपाल के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाए जिसने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण नहीं होने की गलत रिपोर्ट पहले दी थी।
कोर्ट ने इस बात पर दुःख जताया कि अदालत सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर अतिक्रमण से संबंधित जनहित याचिकाओं से भरी है। कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों तथा उपजिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह उन प्रधान और लेखपाल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करें जो अतिक्रमण के संबंध में संबंधित तहसीलदार को इस आदेश की तिथि से 60 दिनों के भीतर सूचना नहीं देते हैं। कहा, इसे उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली, 2016 के नियम 195 के अंतर्गत कदाचार माना जाए।
की जानी चाहिए कार्रवाई- कोर्ट
कोर्ट के अनुसार ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत की भूमि प्रबंधन समिति का अध्यक्ष होने के नाते कानूनन ग्राम पंचायत की संपत्ति का संरक्षक है, यदि वह उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियम, 2016 के नियम 66 के तहत सूचना नहीं दे रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
यदि कोई तहसीलदार या तहसीलदार (न्यायिक) अतिक्रमण हटाने संबंधी कार्रवाई कारण बताओ नोटिस की तारीख से 90 दिनों के भीतर नहीं करता और पर्याप्त कारण नहीं बताता तो इसे कदाचार माना जाएगा। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को सहयोग का निर्देश दिया है। मुख्य सचिव को हर साल अतिक्रमण हटाने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई से अवगत कराने का भी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।