10 साल में चार गुना बढ़े युवाओं में हार्ट अटैक के मामले, 30-35 साल के युवकों की नसों में मिल रही ब्लॉकेज
युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। 30 से 35 वर्ष की आयु के युवाओं में भी दिल की नसों में ब्लॉकेज मिल रही है। चिकित्सकों के अनुसार, मा ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के हृदय रोग विभाग में 35 वर्षीय युवक की छाती में असहनीय पीड़ा हो रही थी। पहले तो ईसीजी करके रिपोर्ट देखी गई, उसके बाद एंजियोग्राफी हुई तो दिल की तीनों नसों में ब्लॉकेज मिला।
ऐसा ही हाल 39 वर्षीय एक अन्य युवक में मिला। दूसरे युवक की दो नसों में ब्लॉकेज रहा। पिछले 10 दिनों में आए इन दोनों मामलों ने हृदयाघात (हार्ट अटैक) के बड़े दुष्प्रभावों की ओर संकेत किया है। बेतहाशा मानसिक तनाव और एल्कोहल के बढ़ते सेवन से स्थिति साल दर साल गंभीर हो रही है।
हृदयाघात पहले तो 50 साल की अवस्था के बाद होने की आशंका रहती थी। अब 30-32, 40 साल के लोग इस गंभीर बीमारी की जद में आ रहे हैं। मंडल के सबसे बड़े अस्पताल स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में इस तरह के मामले महीने में औसत चार, टीबी सप्रू चिकित्सालय बेली अस्पताल में औसत दो और मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय 'काल्विन' में हर महीने एक या दो युवक हृदयाघात से पीड़ित लाए जा रहे हैं।
ये ऐसे युवक हैं जिनकी दो या तीनों ही नसें ब्लॉक पाई जा रही हैं। काल्विन अस्पताल के आकस्मिक कक्ष में छाती में दर्द से कराहते हुए 38 वर्षीय मरीज को पिछले सप्ताह परिवार के लोग एंबुलेंस से लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने उसकी हालत देखते ही स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया।
जिन्हें मधुमेह उन्हें ज्यादा खतरा
मधुमेह अब बच्चों और युवाओं में भी होने लगा है। हृदयाघात और इसमें दो या तीनों ही नसों में ब्लॉकेज का खतरा ऐसे ही लोगों में ज्यादा रहता है। अस्पतालों में लाए जा रहे ज्यादातर मरीजों में पहले से मधुमेह होने की जानकारी मिल रही है। नियमित दवा का सेवन न होने और समय पर जांच न कराने का दंश भुगतना पड़ रहा है।
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10 साल में बढ़े चार गुना मामले
आंकड़े बताते हैं कि 2015 के पहले तक युवाओं में हृदयाघात के मामले चार महीने में तीन या चार आते थे। यानी एक महीने में औसत एक मरीज अस्पताल लाया जाता था। अब प्रत्येक महीने औसत चार युवाओं को गंभीर हृदयाघात और इनमें दो या तीनों नसों के ब्लॉक होने की रिपोर्ट डॉक्टरों के सामने आ रही है।
इन प्रमुख कारण पर दें ध्यान
धूमपान, एल्कोहल का जरूरत से अधिक सेवन, आरामदायक दैनिक जीवन, घर के बने खाने की बजाए फास्ट फूड, अत्यधिक मानसिक तनाव, परिवार के बीच संवादहीनता, कामकाज या आर्थिक परेशानी का मानसिक तनाव।
बहुत गंभीर बात है कि युवाओं में हृदयाघात के मामले पहले की अपेक्षा चार गुना बढ़ गए हैं। कोविड-19 के बाद तो इसका ग्राफ तेजी से बढ़ा है। महीने में तीन या चार युवक ऐसे आ रहे हैं जिनकी तीनों नसों में ब्लॉकेज मिलते हैं। यही अपने आप में बड़ी बात है। युवाओं को संयमित और तनाव से रहित होना चाहिए।
डॉ. पीयूष सक्सेना, विभागाध्यक्ष हृदय रोग, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज

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