Farmer ID Registration: किसान भाई तुरंत करा लें ये काम, तो ही मिलेंगे सम्मान निधि के दो हजार रुपये
रायबरेली में फार्मर आईडी के बिना किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा, साथ ही जमीन की रजिस्ट्री भी नहीं हो पाएगी। जागरूकता की कमी के कारण कई किसान अभी भी वंचित हैं। तहसीलदार ने प्रचार वाहन को रवाना किया है ताकि किसान फार्मर रजिस्ट्री करा सकें और योजनाओं का लाभ उठा सकें।
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जागरण संवाददाता, रायबरेली। बिना फार्मर रजिस्ट्री के किसानों को सम्मान निधि, कृषि यंत्र, निश्शुल्क बीज, छूट पर मिलने वाले बीज, क्रेडिट कार्ड समेत अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा।
यही नहीं शासनादेश के अनुसार फार्मर आइडी के बगैर किसान अब अपनी जमीनों की खरीद व बेच जैसे कार्य भी नहीं कर पाएंगे। पिछले एक वर्ष से भी अधिक का समय बीत जाने के बावजूद किसान इसमें रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
यही वजह है कि अभी तक 66,009 किसानों में से महज 39,538 किसानों की ही फार्मर आईडी पूर्ण हो पाई है। लापरवाही व तकनीकी खामियों के चलते अभी भी 26,471 किसान फार्मर रजिस्ट्री से वंचित हैं।
शत-प्रतिशत फार्मर आइडी के बाद किसानों को गोल्डन कार्ड जारी किया जाएगा। जिसके माध्यम से किसानों को कृषि संबंधी विभिन्न प्रकार की योजनाओं व कार्यों में मदद मिलेगी।
फार्मर आइडी बनवाने के लिए किसानों को विभिन्न समस्याओं से रूबरू होना पड़ रहा है। काफी किसान तो प्रचार प्रसार के अभाव में फार्मर आइडी से वंचित हैं। सोमवार को तहसीलदार आकांक्षा दीक्षित ने फार्मर आइडी प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
सरबहदा निवासी राम प्रकाश, सुरेंद्र कुमार, सुधीर, रामफल, धीरज, अरविंद कुमार आदि किसानों ने बताया कि उनकी खतौनी में नाम मिलान न होने की वजह से फार्मर आइडी में समस्या आ रही थी, लेकिन तहसील द्वारा डाटा सही किए जाने के बाद फार्मर रजिस्ट्री आइडी बन पाना संभव हो रहा है।
नायब तहसीलदार शंभूशरण पांडेय का कहना है कि सभी किसानों को फार्मर रजिस्ट्री कराना बहुत जरूरी है। इसके लिए जन सेवा केंद्र संचालकों से लेकर लेखपाल, कृषि अधिकारी, ग्राम पंचायत सहायक आदि अलग-अलग टीम बनाकर लक्ष्य को पूरा करने में लगे हुए हैं।
जल्दी ही सरकार किसानों से संबंधित सभी कार्यों को जैसे केसीसी बनवाना, सहकारी समिति खाद लेना, कृषि यंत्रों की खरीदारी व कृषि भूमि का खरीद व बेचना जैसे कार्य भी फार्मर रजिस्ट्री के बगैर नहीं हो पाएंगे।
अधिकतर किसानों के नाम आधार कार्ड और जमीन की खसरा खतौनी में भिन्न होने के कारण उनकी फार्मर रजिस्ट्री नहीं हो पा रही थी लेकिन अब सभी डाटा तहसील स्तर से दुरुस्त कराया जा रहा है। फार्मर आइडी की गति बढ़ाने के लिए प्रचार वाहन का सहारा लिया जा रहा है।

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