भारत की नागरिकता चाहते हैं यूपी में रहने वाले ये 2500 परिवार, लगभग 10 गांवों में बसे हैं 12 हजार शरणार्थी
बांग्लादेश से आए लगभग ढाई हजार परिवारों के 12 हजार लोग नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं। 800 लोगों ने आवेदन किया है, लेकिन दस्तावेजों की कमी के कारण आवेदन लंबित हैं। अभी तक केवल एक शरणार्थी को नागरिकता मिली है। अधिकारियों से दस्तावेजों की समस्या का समाधान निकालने की मांग की गई है, ताकि नागरिकता मिल सके।

संवाद सहयोगी, बिलासपुर। बांग्लादेश से आकर बसे करीब ढाई हजार परिवारों के 12 हजार लोग नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहे हैं। साथ ही 800 लोगों ने नागरिकता के लिए आनलाइन आवेदन किया है। जोकि दस्तावेज में कमी होने के कारण पेंडिंग है। जबकि एक शरणार्थी को ही नागरिकता मिल पाई है।
क्षेत्र में बिना नागरिकता के निवास कर रहे बंगाली समाज के लगभग 2500 परिवारों के 12 हजार शरणार्थी लोग रह रहे है। यह लोग लंबे समय से नागरिकता को लेकर क़ानूनी लड़ाई लड़ते चले आ रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर देश के राजनेताओं तक नागरिकता का मुद्दा खूब उठाया गया।
निखिल भारत बंगाली समन्वय समिति के विधिक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपांकर बैरागी ने बताया कि क्षेत्र के बंगाली बाहुल्य गांव अशोकनगर उर्फ मानपुर ओझा उर्फ बंगाली कालोनी, गोकुलनगरी और दिबदिबा आदि गांवों में शरणार्थियों की आबादी लगभग 12 हजार हैं। इनमें कुछ को तो नागरिकता दी गई और उन्हें सरकार ने पुनर्वास के तहत प्रति परिवार पांच एकड़ भूमि पंजीकृत पट्टे के रूप में भी दी। 1971 के बाद बनाए गए बांग्लादेश से भी कुछ परिवार आकर बसे।
उन्हें नागरिकता नहीं मिल पाई। इसका कारण था कि 1971 के बाद पुनर्वास बंद हो गया। इनकी संख्या आज हजारों में पहुंच गई है। उन्हें आज तक नागरिकता नहीं मिल सकी। विधिक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने बताया कि 1955 का कानून था कि माता-पिता दोनों भारतीय हों तो उन्हें नागरिकता दी जाएगी।
इसके बाद 2003 में नागरिकता कानून संशोधन हुआ, जिसमें माता-पिता में एक व्यक्ति भारत का नागरिक हो उसे भारत की नागरिकता देने का नियम लागू हुआ। 1971 के बाद आए बांग्लादेश से आए शरणार्थियों ने भारतीय नागरिकता के लिए काफी लंबी लड़ाई लड़ी।
दस्तावेज को लेकर आ रही है समस्या
समिति के विधिक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने बताया कि दस्तावेज को लेकर नागरिकता मिलने में समस्या आ रही है। जिसका समाधान करवाया जाएं।
कहा कि 800 लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है। लेकिन दस्तावेज न होने के कारण उनके आवेदन पत्र पेंडिंग में पड़े हैं। जिससे उन्हें नागरिकता नहीं मिल पा रही है। कहा कि अधिकतर लोगों के पास दस्तावेज नहीं है, जिसकी वजह से समस्या उत्पन्न हो रही है। क्षेत्र के मात्र एक व्यक्ति तपन विश्वास को ही नागरिकता मिल पाई है। उन्होंने अधिकारियों तथा सरकार से इस समस्या का समाधान निकालने की मांग की। कहा कि उन्हें सरकार की समस्त मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं।
800 लोगों ने आवेदन किया है। जिसमें से अब तक केवल मात्र तपन विश्वास को प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है। बाकी लोगों को प्राप्त न होने का मुख्य कारण अधिनियम के अंतर्गत अपने मूल निवास अर्थात बांग्लादेश के कोई दस्तावेजी अभिलेख उपलब्ध न करा पाना है। सरकार को इसका कोई समाधान निकालना चाहिए। -दीपांकर बैरागी
आठ सौ लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है। जबकि एक शरणार्थी तपन विश्वास को ही नागरिकता मिल पाई है। साथ ही अधिकतर लोगों के पास कोई दस्तावेज न होने के कारण उनके आवेदन पत्र लंबित पड़े हैं। सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए। -नारायण मंडल
नागरिकता हेतु तथा बांग्लादेश से आए हुए लोगों को संबंधित देश का कोई दस्तावेज अभिलेख आदि दिखाने हेतु बाध्य न किए जाएं। इस संबंध में कई बार अधिकारियों और भारत सरकार से मांग कर चुके हैं। -नित्य रंजन मंडल
अधिकतर लोगों के पास नागरिकता के लिए दस्तावेज न होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसकी वजह से आवेदन पत्र लंबित पड़े हैं। आ रही समस्या का समाधान करवाया जाएं। -प्रकाश राय
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।