सिकरौल गांव में जापानी बुखार का खतरा: 40 लोगों के सेंपल जांच को लखनऊ भेजे गए
सिकरौल गांव में जापानी बुखार का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 40 ग्रामीणों के रक्त नमूने जांच के लिए लखनऊ भेजे हैं। विभाग इस खतरे को गंभीरता से ले रहा है और जांच रिपोर्ट आने के बाद उचित कदम उठाने की तैयारी में है।
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जागरण संवाददाता, रामपुर। चमरौआ ब्लाक के सिकरौल गांव में जापानी बुखार का मरीज मिलने के बाद अब दूसरे लोगों में भी इसकी आशंका जताई जा रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गुरुवार को गांव में शिविर लगाया। जापानी बुखार से पीड़ित मरीज के स्वजन समेत 40 लोगों के सेंपल लिए गए। इनमें गांव के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी शामिल हैं। ये बच्चे बुखार आने के कारण स्कूल नहीं आए थे। इन सभी सेंपल को जांच के लिए लखनऊ भेजा जाएगा।
चमरौआ ब्लाक के सिकरौल गांव की 12 साल की बच्ची सीता उर्फ शिखा पुत्री रूपचंद्र में जापानी बुखार का वायरस पाया गया है। बच्ची जापानी इंसेफेलाइटिस रोग से पीड़ित हुई थी। उसका दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा था। चार नवंबर को बच्ची के जापानी बुखार से पीड़ित होने की जानकारी शासन स्तर से जब स्थानीय अधिकारियों तक पहुंची तो खलबली मच गई।
इसके बाद से रोजाना गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम दौरा कर रही है। गुरुवार को भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डा. नवीन टीम के साथ गांव पहुंचे। गांव के सरकारी स्कूल में शिविर लगाकर बुखार पीड़ितों की जांच की। इस दौरान 40 लोगों के सेंपल जापानी बुखार की जांच के लिए भरे गए।
इनमें जापानी बुखार से पीड़ित बच्चे के स्वजन समेत उन लोगों के सेंपल लिए गए हैं, जिन्हें बुखार आ रहा है या 15 दिन पहले बुखार आया था। इसके अलावा 60 लोगों की कार्ड से डेंगू और मलेरिया की जांच की गई, जो निगेटिव रही। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. दीपा सिंह ने बताया कि सभी जापानी बुखार आशंकित 40 सेंपल जांच के लिए किंग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ भेजे जाएंगे।
सिकरौल गांव नहीं पहुंची पशु चिकित्सकों की टीम
गांव में जापानी बुखार का मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है। माना जा रहा है पीड़ित बच्ची के घर से 500 मीटर दूर रहने वाले जयपाल और विजेंद्र के घरों में सूअरों का पालन किया जाता है। जापानी इंसेफेलाइटिस का वायरस सूअरों में पाया जाता है। संक्रमित सूअरों को काटने से यह वायरस मच्छर में पहुंचा और फिर मच्छर द्वारा बच्ची को काटने से वह संक्रमित हो गई।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस संबंध में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को लिखा था कि सूअरों के स्वास्थ्य की जांच कराई जाए और उन्हें आबादी से दूर स्थापित कराया जाए। हालांकि तीन दिन में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी की ओर से कोई गतिविधि नहीं हुई है। सूअर पालन करने वालों ने बताया कि यहां जांच के लिए कोई पशु चिकित्सक नहीं आए हैं। उन्होंने बताया कि सूअरों के बाड़े को दूर स्थापित करने की तैयारी है। एक-दो दिन में बाड़े को यहां से हटा देंगे।
छह साल में तीन की जान ले चुका जापानी बुखार
जापानी बुखार का ज्यादा असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कम ही रहता है। इसका वायरस ज्यादातर पूरब के क्षेत्रों में पाया जाता है। हालांकि अब पिछले कुछ सालों से यहां भी जापानी बुखार के मामले सामने आने लगे हैं। छह साल में आधा दर्जन से अधिक मामले जापानी बुखार के सामने आ चुके हैं। इनमें तीन की मौत भी हो चुकी है। माना जा रहा है कि पूरब क्षेत्रों से मनुष्यों के जरिए यह वायरस पश्चिम में आया है।
जिले में जापानी बुखार का मामला पहली बार वर्ष 2019 में आया था। मिलक ब्लाक के 14 वर्षीय साहिल हुसैन में जापानी बुखार के लक्षण दिखे थे। बालक नगर के जूनियर हाई स्कूल में कक्षा पांच में पढ़ता था। 13 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। सात दिन पहले उसे तेज बुखार आया। उसका नगर के सरकारी अस्पताल में इलाज कराया गया।
बुखार के न उतरने पर स्वजन ने बरेली के आलाहजरत अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से महाजन अस्पताल रेफर ले गए। हालत में सुधार न होने पर दिल्ली के सफदरगंज में भर्ती कराया गया। वहां भी कोई फायदा न होने पर दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती करा दिया। वहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी। उपचार के दौरान खून की जांच में जापानी बुखार की पुष्टि हुई थी।
वर्ष 2022 में जापानी बुखार के चार मरीज मिले थे। चारों हल्द्वानी में इलाज करा रहे थे। इनमें दो की मौत हो गई थी। मृतकों में स्वार के गद्दीनगली गांव के 80 वर्षीय मोहन लाल भी थे। उनकी दो सितंबर को इलाज के दौरान मौत हुई थी, जबकि 21 सितंबर को मिलक के हरदासपुर गांव के सात वर्षीय निहार की जापानी बुखार से मौत हुई थी।
फ्लू से संक्रमित सूअर में पनपता जापानी बुखार का वायरस
इंसनों की तरह ही पशु-पक्षी भी बुखार और जुकाम से पीड़ित होते हैं। सूअर आदि जानवर में इसी वायरस के कारण फ्लू होता है। संक्रमित सुअर का खून मच्छर द्वारा पीने पर वह भी संक्रमित हो जाता है। संक्रमित मच्छर जब किसी स्वस्थ मनुष्य को काटता है तो वह वायरस मनुष्यों के शरीर में भी प्रवेश कर जाता है।
टीका लगवाकर करें बचाव
जापानी बुखार से बचाव के लिए मच्छर से बचें और टीका लगवाएं। जिले में जापानी बुखार के मामले आने के बाद दो साल से इसका टीका सरकारी अस्पतालों में लगाया जाने लगा है। दो साल पहले स्वास्थ्य विभाग ने स्कूलों और उप स्वास्थ्य केंद्रों पर अभियान चलाकर टीकाकरण किया था।

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