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    55 वर्षों का साथ था...वृद्धा की मौत हुई तो वृद्ध पति भी चल बसा, अब एक ही दिन होगा तेहरवीं संस्कार

    By Praveen Kumar Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Tue, 04 Nov 2025 04:45 PM (IST)

    गंगोह में एक बुजुर्ग दंपती की हृदयविदारक कहानी सामने आई। पत्नी के निधन के बाद अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार गए परिवार को पति के भी देहांत की खबर मिली। पत्नी अंगूरी के वियोग में रमेश चंद ने भी प्राण त्याग दिए। दोनों का अंतिम संस्कार गमगीन माहौल में किया गया। पूरे मोहल्ले में शोक की लहर है। दोनों की रस्मपगड़ी एक साथ होगी।

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    रमेशचंद व अंगूरी देवी। (फाइल फोटो)

    संवाद सूत्र, जागरण, गंगोह (सहारनपुर)। ईश्वर ने पति-पत्नी का रिश्ता अटूट बनाया है। एक बुजुर्ग दंपती पर ये लाइन सटीक बैठती हैं। दरअसल, एक बुजुर्ग की पत्नी का निधन हो गया था। वृद्धा की अस्थियों को विसर्जित करने के लिए स्वजन हरिद्वार गए हुए थे। अस्थियां विसर्जित होने के बाद पति ने भी दम तोड़ दिया। उनका भी अंतिम संस्कार कर दिया गया। अब दोनों की रस्म पगड़ी एक ही दिन होगी।

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    मुहल्ला गुलाम औलिया के रमेशचंद कश्यप की पत्नी अंगूरी का शुक्रवार को निधन हो गया था। रविवार को अस्थियां लेकर स्वजन हरिद्वार गए थे। इसी बीच पति ने भी पत्नी के बिछोह में दम तोड़ दिया। अस्थियां विसर्जन करने गए बेटे रोहिताश को स्वजन द्वारा उनके पिता के संसार छोड़ देने की खबर दी गई। जिससे स्वजन के हरिद्वार से लौटकर आने पर रविवार को देर शाम को गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार किया गया। पति-पत्नी की मौत से मुहल्ले में शोक व्याप्त है।

    मृतक रमेश चंद का भरापूरा परिवार हैं। वे मेहनत मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते थे। तीन बेटे सुरेंद्र कश्यप, राजेंद्र कुमार व रोहिताश कुमार हैं। जिनकी पत्नी क्रमशः बालेश, मुनेश व सीमा हैं। आगे इनके सुरेंद्र के 5, राजेंद्र के 3 व रोहिताश के भी 3 बच्चे हैं। दोनों बुजुर्ग की रस्म अदायगी छह नवंबर को एक साथ की जाएगी।

    ताउम्र ठेली व रेहड़ा चलाकर स्वजन को पाला-पोसा
    रमेशचंद के पास खेतीबाड़ी न थी। वे केवल मजदूरी कर ही जीवनयापन करते थे। पहले ठेली पर ट्रांसपोर्ट से सामान दुकानों पर भेजते थे। फिर रेहड़ा बनाया, उससे मजदूरी की। कभी अपने बेटों पर आश्रित नहीं हुए। अब उन्होंने कुछ महीनों से रेहड़ा चलाना छोड़ दिया था।

    55 साल पहले हुई थी अंगूरी से शादी
    रमेशचन्द की शादी करीब 55 साल पहले कादरगढ़ लुहारी जिला मुजफ्फरनगर की अंगूरी देवी से हुई थी। बेटे रोहिताश ने बताया कि उनके पिता मृतक रमेशचन्द को भी उनकी बुआ नियाद्री देवी पत्नी केवल कश्यप अपने गांव धनेना जिला शामली से 70 साल पहले गंगोह लेकर आई थी। नियाद्री देवी के कोई औलाद न थी। तब से वे गंगोह में रह रहे हैं। यही पर उनके पिता की शादी हुई थी।