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    संभल में 33 अवैध मकानों को ध्वस्त करने के मामले में आया नया मोड़, लोगों ने दिखाया हाईकोर्ट का आदेश

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 08:21 PM (IST)

    संभल में 33 अवैध मकानों को गिराने के मामले में नया मोड़ आया है। प्रभावित लोगों ने विध्वंस रोकने के लिए हाईकोर्ट का आदेश दिखाया है। निवासियों का दावा है कि उनके पास स्टे ऑर्डर है। अधिकारियों ने मामले की समीक्षा करने और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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    33 अवैध मकानों को ध्वस्त करने से पहले लोगों ने दिखाया HC का आदेश।

    संवाद सहयोगी, चंदौसी। नगर के लक्ष्मण गंज में पालिका की जमीन पर बने 33 अवैध मकानों पर कार्रवाई के मामले में नया मोड़ आ गया है। मकानों पर काबिज लोगों ने पालिका की कार्रवाई को गलत बताते हुए हाईकोर्ट से पालिका के नोटिस को खारिज करने का आदेश दिखाया है।

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    याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुदीप हरकौली ने का कहना है कि आदेश में न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और न्यायमूर्ति सत्यवीर सिंह की खंडपीठ ने चंदौसी नगर पालिका द्वारा जारी किए गए नोटिसों को निरस्त करते हुए कहा कि नगर पालिका यदि चाहे तो नियमों के अनुसार नया प्रस्ताव पारित कर सकती है।

    वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि वे कई वर्षों से नगर पालिका की भूमि पर मकान बनाकर रह रहे हैं और नियमित किराया भी अदा कर रहे हैं। नगर पालिका ने पहले एक प्रस्ताव पारित किया था कि जो लोग पालिका की संपत्ति पर कब्जे में हैं। उन्हें उचित बाजार मूल्य पर वह संपत्ति बेची जाएगी लेकिन, बाद में पालिका ने धारा 34 नगर पालिका अधिनियम, 1916 के तहत पर्यवेक्षी अधिकारों का प्रयोग करते हुए मकानों को ध्वस्त करने का आदेश जारी कर दिया।

    वहीं, राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता राज मोहन उपाध्याय और नगर पालिका की ओर से अधिवक्ता हर्षवर्धन गुप्ता ने पैरवी की। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि पहले 25 नवंबर 2024 को पारित नगर पालिका का प्रस्ताव नियमों के अनुरूप नहीं था, जैसा कि 14 जुलाई 2025 को पारित आदेश में भी कहा जा चुका है। 14 अक्टूबर 2025 को दिए अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि नगर पालिका चाहे तो पुराना प्रस्ताव वापस लेकर नया प्रस्ताव पारित कर सकती है।

    लेकिन धारा 34 के अंतर्गत जारी किए गए 23 जून 2025 के नोटिस यह नहीं दिखाते कि प्रस्ताव को लागू करने से जनता को कोई असुविधा या हानि होगी। इसलिए अदालत ने उक्त नोटिसों को रद करते हुए याचिका का निरस्त कर दिया। उधर, इस संबंध में अधिशासी अधिकारी धर्मराज राय से संपर्क किया तो उन्होंने काल रिसीव नहीं की।