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    सैफई के मेडिकल कॉलेज में चलती रहीं सांसें, संभल में 51 दिन पहले दिखाई मौत और बेच दी जमीन

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 02:51 AM (IST)

    सैफई के मेडिकल कॉलेज में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहाँ एक मरीज को संभल में 51 दिन पहले मृत घोषित कर दिया गया था, लेकिन वह जीवित पाया गया। परिजनों को भ्रम था कि वह मर चुका है। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन को हैरान कर दिया है और मामले की जांच की मांग की जा रही है।

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    जागरण संवाददाता, संभल। ससुरालियों ने गांव के प्रधान के साथ मिलकर न सिर्फ मृत्यु के फर्जी अभिलेख तैयार करवाए बल्कि जिंदा होने के बाद भी महिला को मृत दर्शाकर उसकी जमीन बेच दी। अब मामला पकड़ में आया तो पुलिस ने आरोपित प्रधान, जेठ के लड़के व देवर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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    कासगंज जनपद के थाना सहावर अंतर्गत गांव बाजनगर सफेद निवासी देवलाल देवीलाल ने बताया कि उनकी बहन लीलावती की शादी लीलावती बनियाठेर थाना क्षेत्र के गांव अकरौली निवासी विसंबर के साथ हुई थी। उनकी कोई संतान नहीं थी। विवाह के कुछ बाद बहन लीलावती का जीवन सामान्य रूप से बीता, लेकिन 28 अगस्त 2022 में बहनोई की मृत्यु हो गई। उसके कुछ समय तक तो बहन अपनी ससुराल में ही रही।

    अकेलापन महसूस होने पर वह मायके कासगंज चली गई। इसके बाद लीलावती बीमार रहने लगी तो भाई देवीलाल ने बहन के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी। लगभग दो वर्षों तक देवीलाल ने अपने दो भाइयों के साथ मिलकर बहन के इलाज में करीब सात लाख रुपये खर्च किए।

    इसी बीच लीलावती ने एक नोटरी शपथ पत्र पर अपनी वसीयत भाई देवीलाल, लल्लू और रमेश चंद्र के नाम कर लिखवा दी। हालांकि बीमार होने के चलते वह पक्की वसीयत नहीं कर सकीं, जिसके बाद 9 मई 2024 को 45 वर्ष की उम्र में लीलावती की मृत्यु हाे गई।

    मौत के बाद भाईयों ने अंतिम संस्कार सहित सभी क्रियाएं पूरी कीं और मृत्यु प्रमाण पत्र व वसीयत से संबंधित सभी दस्तावेज भी उनके पास हैं, लेकिन इसी बीच ससुराल पक्ष के लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर लिए।

    हैरानी की बात यह है कि ससुराल के ग्राम प्रधान द्वारा 29 सितंबर 2024 को लैटरपेड पर लिखा गया है कि 18 मार्च 2024 को लीलावती की मौत हो गई, जबकि वास्तविक मौत 51 दिन बाद 9 मई 2024 को सैफई के मेडिकल कालेज में हुई है।

    इस खेल में लीलावती के देवर व जेठ के बेटे के साथ ग्राम प्रधान भी शामिल है। क्योंकि इस फर्जी दस्तावेज के जरिये लीलावती की जमीन को ससुरालियों ने ग्राम प्रधान को ही बेच दी। बनियाठेर के एसओ मनोज वर्मा ने पूरे मामले के हर सबूत की जांच की जा रही है जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।

    जेठ का बेटा हमारा पास आया था और उसने शपथ पत्र दिखाया था। उसके बाद ही हमने लीलावती की मृत्यु के बारे में लिखकर दिया था। बात रही जमीन कि तो पहले भी इस परिवार से जमीन खरीदी गई है। अब जिस जमीन का मामला है वो सात बीघा है। ये मामला तहसीलदार कोर्ट में भी चला। वहां से आदेश के बाद ही जमीन खरीदी है।

    -सलीम खान, प्रधान, गांव अकरौली।