दस्तावेज आपके, फ्रॉड उनका! ठगों ने बुलंदशहर DM ऑपरेटर के नाम से बनाई फर्जी कंपनी
शाहजहांपुर में बोगस फर्में बनाकर 10.78 लाख की ठगी करने वाले गिरोह ने बुलंदशहर के जिलाधिकारी कार्यालय में तैनात कम्प्यूटर आपरेटर साजिद को भी शिकार बनाय ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। बोगस फर्में बनाकर 10.78 लाख की ठगी करने वाले गिरोह ने बुलंदशहर के जिलाधिकारी कार्यालय में तैनात कम्प्यूटर आपरेटर साजिद को भी अपना शिकार बनाया। लोन के लिए झांसा देकर उनके अभिलेख हासिल किए, जिनका प्रयोग बोगस फर्म बनाकर फर्जीवाड़े को अंजाम देने में किया। इस प्रकरण में अभी और जानकारियां सामने आनी शेष हैं, जिसके लिए आरोपितों की रिमांड अर्जी पर मंगलवार को न्यायालय में सुनवाई होगी।
बोगस फर्म बनाकर 10.78 करोड़ की जीएसटी चोरी मामले में पुलिस ने जड़ तक पहुंचने की तैयारी कर ली है। इसके लिए गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपितों को रिमांड पर लिया जाएगा, जिसके लिए शनिवार को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम के न्यायालय में अर्जी दाखिल की गई। सोमवार को इस पर सुनवाई होगी।
शुक्रवार को गैंग्सटर सेल प्रभारी वीरेंद्र सिंह के नेतृत्व मेंएसओजी व रोजा पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए दिल्ली निवासी गौरव यादव, दीपक व प्रयागराज निवासी सिद्धार्थ पांडेय को रोजा के सुभाष चौराहे पर गिरफ्तार किया था। इन तीनों ने मई माह में रोजा की लोकविहार कालोनी में सर्वश्री सिंह इंटरप्राइजेज नाम से बोगस फर्म बनाते हुए दो माह में पांच फर्माें की चेन बनाकर 46 करोड़ से अधिक का व्यापार दिखाया था, जिसके आधार पर 10 करोड़ 78 लाख रुपये की जीएसटी हड़प ली थी।
यह फर्म इटावा निवासी मंदीप सिंह के नाम से बनाई गई थी, जिसके आधार पर सहायक आयुक्त भावना वर्मा ने उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी, लेकिन बाद में जांच हुई तो पूरा फर्जीवाडा़ सामने आया। मंदीप सिंह इटावा का छात्र निकला जिसके नाम पर गौरव यादव व उसके गिराेह के सदस्यों ने बोगस फर्म तैयार की थी।
गैंगस्टर सेल प्रभारी वीरेंद्र सिंह ने जांच की तो पता चला कि यह गिरोह इंस्टाग्राम व टेलीग्राम पर लोन का झांसा देकर लोगों के अभिलेख हासिल करते थे। उन्हीं अभिलेखों के आधार पर संबंधित व्यक्ति के नाम से फर्म बनाकर उस पर व्यापार दिखा देते थे। फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के रूप में मिलने वाली रकम हड़प लेते थे।
जांच में पता चला है कि इन लोगों ने बुलंदशहर के डीएम कार्यालय में तैनात कम्प्यूटर आपरेटर साजिद के नाम से फर्म बनाई थी, उससे सर्वश्री इंटरप्राइजेज को किराने का व्यापार दिखाया था। जब टीम साजिद के पास पहुंची तो उनको इस बारे में कोई जानकारी नही थी। उन्होंने बताया कि रुपयों की जरूरत थी इसलिए इंस्टाग्राम पर विज्ञापन देखकर लोन के लिए आवेदन कर दिया था।
बाद में उनके मोबाइल पर ओटीपी भेजा गया। उसे बताने के कुछ देर बाद कहा गया कि उनके अभिलेख पूरे नहीं हैं। इसलिए लोन नहीं हो सकता। इन प्रपत्रों का प्रयाेग बोगस फर्म बनाकर फर्जीवाड़े में किया गया यह जानकार वह भी हैरान थे। तीनों आरोपितों की रिमांड अर्जी पर सोमवार को सुनवाई होने थी, लेकिन अब इस पर मंगलवार को निर्णय लिया जाएगा।

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