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    दादी-नानी की चीखों से नम हुई लोगों की आंखें, तीन लाशें देख रो पड़ा मुहल्ला, दो परिवारों को मिला जिंदगी भर का जख्म

    शाहजहांपुर में सूदखोरी से परेशान एक दंपति और उनके बच्चे ने आत्महत्या कर ली जिससे दो परिवार गहरे सदमे में हैं। दादी और नानी का विलाप देखकर सबकी आंखें नम हो गईं। पड़ोसियों ने बताया कि सचिन और शिवांगी मिलनसार थे और उनका बेटा फतेह सबका चहेता था। संध्या मिश्रा ने बताया कि उनकी बेटी बहादुर थी और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह इतना बड़ा कदम उठाएगी।

    By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Thu, 28 Aug 2025 09:43 AM (IST)
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    जीने पर बैठकर विलाप करतीं सचिन की मां व अन्य स्वजन। अन्य फाइल फोटो। जागरण

    जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। मेरे फतेह को ऐसे न ले जाओ, उसको हमारे पास लाओ। सचिन व शिवांगी को कहां ले जा रहे हो। दोनों से बात करने दो… संध्या व सीमा के इन शब्दों ने वहां मौजूद लोगों की आंखें नम कर दीं। दादी व नानी मासूम बच्चे के शव से लिपटकर ऐसे रोईं कि लोग अपने आंसू न रोक सके। 

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    सूदखोरों के कारण दुर्गा एनक्लेव निवासी सीमा ग्रोवर व संध्या मिश्रा के परिवार को जो जख्म मिले वह जीवन भर न भर सकेंगे। दोनों ही परिवारों में मंगलवार शाम तक सबकुछ ठीक ठाक चल रहा था, लेकिन रात में जो हुआ उसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। 

    सचिन के बड़े भाई गौरव भतीजे का शव गोद में लेकर जीने से उतरे तो सीमा ने उनका रास्ता रोकने लगीं। बोलीं बच्चे को कहां ले जा रहे हो। उसको कुछ नहीं हुआ है। इतना कहकर पोते को गोद में ले लिया। 

    उसको दुलार करते हुए उठाने लगीं, जिस पर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें किसी तरह संभाला। नानी संध्या का भी कुछ यही हाल था। कह रही थीं यह दिन देखने से पहले ईश्वर ने उन्हें अपने पास क्यों नहीं बुला लिया।

    तीन भाइयों में सबसे छोटे थे सचिन

    सचिन ग्रोवर तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। पिता विजय ग्रोवर का 2009 में निधन हो चुका है। मां सीमा व मझले भाई रोहित ग्रोवर परिवार के साथ ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं, जबकि सचिन दूसरी मंजिल पर रहते थे। बड़े भाई गौरव ग्रोवर का पास में ही मकान है। सचिन व रोहित में ज्यादा बातचीत तो नहीं होती थी, लेकिन दोनों परिवारों का खाना एक ही रसोई में बनता था।

    बेटी का दिया हमेशा साथ

    संध्या मिश्रा स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त हैं। पति रमेश चंद्र मिश्रा का निधन हो चुका है। बेटा शिवाल राजस्थान में इंजीनियर है, जबकि बेटी की शिवांगी पास रहती थी। उन्होंने सचिन से प्रेम विवाह किया तो संध्या ने बेटी का साथ दिया। उनको कोई भी जरूरत होती तो वह हर समय मदद के लिए खड़ी रहतीं। प्रतिदिन मां बेटी की बात होती। शिवांगी भी कोई परेशानी होती तो मां को जरूर बतातीं, लेकिन इस बार उन्होंने इतना बड़ा कदम उठा लिया।

    हंसमुख सचिन शिवांगी के कदम से पड़ोसी भी हैरान

    घटना से आस पड़ोस के लोग भी हैरान है। उन्होंने बताया कि सचिन व शिवांगी काफी मिलनसार थे। दोनों जब भी मिलते तो सभी से अच्छे तरीके से बात करते थे। फतेह भी कालोनी के कई परिवारों को चहेता था। उन लोगों की इस तरह मृत्यु से पड़ोसी भी सदमे में हैं। कह रहे थे, इसकी तो कभी कल्पना भी नहीं की थी।

    बीमार भी रहता था फतेह

    फतेह जन्म के कुछ माह बाद कई बार बीमार भी रहता था। उसका चिकित्सक से उपचार भी कराया गया, लेकिन कभी इसको लेकर सचिन व शिवांगी परेशान नहीं दिखे। दोनो के लिए बेटा सब कुछ था। जीडी गोयनका विद्यालय में नर्सरी के छात्र फतेह की मृत्यु पर शोक सभा हुई। स्टाफ व छात्रों ने मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।

    तुम तो बहादुर थीं बेटी, मां को लाचार क्यों बना दिया

    शिवांगी की मां संध्या मिश्रा ने बताया कि बेटी बहुत बहादुर थी। जब किसी चीज की जरूरत होती थी तो वह बिना किसी संकोच के उन्हें बता देती थी। कई बार जरूरत पड़ने पर बेटी की मदद भी की थी। मंगलवार रात को भी बेटी से बात हुई थी। 

    रात करीब नौ बजे शिवांगी बेटे के साथ घर के बाहर टहल रही थी, लेकिन तब किसी को उनके चेहरे पर किसी तरह का तनाव नजर नहीं आ रहा था। 

    बेटी का शव देखकर संध्या के मुंह से बार-बार यही नहीं निकल रहा था कि बेटी इतनी बहादुर थी तो अचानक वह अपनी मां को इतना लाचार बनाकर क्यों चली गई।

    भाभी से ले गए थे चार्जर

    रोहित की पत्नी ज्योति ने बताया कि मंगलवार शाम को देवर व देवरानी सामान्य नजर आ रहे थे। रात में जब दोनों लोग छत पर गए थे तो चार्जर भी मांग कर ले गए थे, लेकिन सुबह किसी तरह की हलचल नजर नहीं आई। हालांकि, सचिन हर दिन 10 बजे के बाद ही सोकर उठते थे, जिस वजह से किसी ने ध्यान नहीं दिया था।