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    हंसी-ठिठौली के बीच जिंदगी जीने का फलसफा सिखा रहे रामप्रसाद... खुद भी जूझ रहे इस जानलेवा रोग से

    By Anuj Kumar Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Fri, 07 Nov 2025 02:25 PM (IST)

    शामली जिले के रामप्रसाद सैनी 14 साल से कैंसर से पीड़ित हैं, लेकिन उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बीमारी को मात दी है। वे न केवल खुद खेती करते हैं और ट्रैक्टर चलाते हैं, बल्कि दूसरों को भी कैंसर से लड़ने और जीवन को उत्साह से जीने के लिए प्रेरित करते हैं। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर उनकी कहानी प्रेरणादायक है।

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    हंसी-ठिठौली के बीच जिंदगी जीने का फलसफा सिखा रहे रामप्रसाद।(प्रतीकात्मक फोटो)


    जागरण संवादाता, शामली। कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का नाम सुनते ही लोग कांप उठते हैं। जिंदगी और मौत की इस लड़ाई में कब इंसान हार जाए, इसका कोई अंदाजा नहीं है, लेकिन जिले के गांव हसनपुर लुहारी में करीब डेढ़ दशक से बुजुर्ग रामप्रसाद कैंसर की जंग लड़ते हुए लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

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    जिले के गांव हसनपुर लुहारी निवासी रामप्रसाद सैनी 14 साल से कैंसर पीड़ित हैं, लेकिन अपनी दृढ़ ईच्छा शक्ति से कैंसर को मात दे रहे हैं। वहीं दूसरों को जीवन को उमंग, उत्साह और उल्लास से जिंदगी जीने का फलसफा सिखा रहे हैं। 69 वर्षीय रामप्रसाद कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद भी रोजाना अपने काम सलीके से करते हैं। अपनी खेती का कार्य संभालते हैं। खुद ट्रैक्टर चलाकर दूसरों के खेतों में भी बुआई व गेहूं कटाई भी कराते हैं।

    यहीं नहीं दूसरों को भी इस बीमारी से लड़कर जिंदगी को जी भर के जीने का संदेश देते हैं। अक्सर चौपाल, गली, नुक्कड़, घरों और घेर में रामप्रसाद को हंसी ठिठौली करते देखा जा सकता है। बकौल, रामप्रसाद ईश्वर ने जीवन एक बार दिया है। जिंदगी और मौत उसी के हाथों में है। कोई भी उसका लिखा नहीं बदल सकता है। फिर लोग आखिरकार मौत से इतना घबराते क्यों है?
    वे कहते हैं, मौत तो सभी को एक दिन आनी ही है। फिर घुटकर जीने से क्या फायदा?

    ईच्छा शक्ति के बूते खुद संभाल रहे मोर्चा : करीब 14 साल से रामप्रसाद कैंसर से पीड़ित हैं। दृढ़ संकल्प, ईच्छा शक्ति और खुशमिजाजी अंदाज से खेत, घर और अनेकों कार्य खुद करते हैं। साथ ही, लोगों को कैंसर से जंग लड़ने का हौसला देकर बेहतर तरीके से जीने को प्रेरित करते हैं। उनके दो बेटे हैं, और बड़ी कंपनी में नौकरी करते हैं। पिता का ख्याल रखते हैं, लेकिन रामप्रसाद उन्हें भी यही कहते है कि वे अपनी नौकरी करें, क्योंकि खुद का ख्याल रख सकते हैं।

    कैंसर से बचाव को करते हैं जागरूक : बुजुर्ग रामप्रसाद गांव के साथ ही आस पड़ोस के गांवों के दूसरे कैंसर पीड़ितों को भी जिंदगी को जिंदादिली से जीने की कला सिखाते हैं। रोजाना काम करना और चौपाल में बैठकर देश गांव और प्रदेश की विभिन्न मुद्दों पर मजबूती से अपना तर्क रखते हैं। खुद की जीवनशैली, उपचार के साथ ही खानपान में सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। कैंसर से न घबराकर इससे लड़ने के लिए भी जागरूक करते हैं। नई पीढ़ी के बच्चों को फास्ट फूड, प्रदूषित खानपान और कृषि में रसायनों का प्रयोग से बचने की सलाह देते हैं।

    कैंसर से ग्रस्त, फिर भी हौसले से दे रहे संदेश
    चौसाना : क्षेत्र के सकौती निवासी 50 वर्षीय जसवीर पांच साल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। उनका इलाज चल रहा है, और जीने का जज्बा भी बना हुआ है। बीमारी का पता चलने के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, और मजबूती से डटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि बीमारी तो बाद में किसी को मारती है, लेकिन उसकी हिम्मत यदि टूट जाए तो वह पहले ही घुट घुटकर मरने लगता है। ऐसी गंभीर बीमारी के लिए इच्छाशक्ति मजबूत होना बहुत जरूरी है। वह क्षेत्र में भी लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक करते हैं, और बीमारी में भी मुस्कराने का संदेश दे रहे हैं।

    इसलिए मनाया जाता है दिवस
    राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस सात नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक मैडम क्यूरी का जन्मदिन होता है। मैडम क्यूरी ने कैंसर से लड़ने में अहम योगदान दिया था। इसका उद्देश्य कैंसर के कारणों और उपचार के बारे में जागरूक और वहीं कैंसर के प्रति डर को कम करना होता है। लोगों को समय पर जांच कराने के लिए प्रेरित करना भी होता है।