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    पाताल लोक में पहुंच गई हैं 'पत्थर खदानें', ताक पर नियम-कानून! 12 सालों में 8 की जा चुकी है जान

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 07:58 PM (IST)

    सोनभद्र के ओबरा में 2012 में एक खदान हादसे में 11 श्रमिकों की मौत हो गई थी, जिसके बाद 2015 में फिर एक हादसा हुआ जिसमें आठ श्रमिक मारे गए। अवैध खनन और मानकों की अनदेखी के कारण ये हादसे हुए। प्रशासन की सख्ती से अवैध खदानों का संचालन कुछ कम हुआ है, लेकिन अभी भी कई अवैध खदानें चल रही हैं। खनन के लिए तय मानकों का पालन करना जरूरी है, जैसे कि बस्ती से दूरी, रात में खनन न करना, और सुरक्षा उपायों का ध्यान रखना।

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    जागरण संवाददाता, सोनभद्र। ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी के रासपहरी में अवैध खदान में 27 फरवरी 2012 को पूरी पहाड़ी ही भरभरा कर गिर गई थी। इस हादसे में काम कर रहे 11 श्रमिक कार्य स्थल पर ही दफन हो गए थे। इन श्रमिकों के शरीर से मांस का हिस्सा मिला था।

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    एक घायल श्रमिक की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। दिल को दहला देने वाले इस हादसे के बाद भी अवैध खनन व मानक की अनदेखी खत्म नहीं हुई थी और इसके बाद 15 अक्टूबर 2015 को एक और खदान हादसे ने आठ श्रमिकों को लील लिया था। अवैध खनन के साथ ही विस्फोट की घटनाएं भी बिना लेखा-जोखा के जनपद में होती रहीं है।

    मानक से अधिक गहरी खदान

    ओबरा के बिल्ली-मारकुंडी में अवैध तरीके से विस्फोट से आठ श्रमिकों की मौत हुई थी। मानक से कहीं अधिक खनन से खाई में तब्दील हुई खदानों में खड़ी पहाड़ी पर विस्फोट के लिए ड्रिल करना किसी जंग में जाने से भी खतरनाक होता है। अवैध खनन व मानक की अनदेखी का ही नतीजा रहा है कि पत्थर खदानों में बड़े-बड़े हादसे होते रहे हैं।

    ओबरा का बिल्ली मारकुंडी हो या फिर डाला का बारी क्षेत्र वैध खदानों से अधिक यहां अवैध खदानें हैं, लेकिन प्रशासन व संबंधित महकमे की सख्ती के चलते अवैध खदानों का संचालन कम हुआ है और हादसों में कमी भी आई है।

    खनन के लिए तय हैं यह मानक

    • पारेषण लाइन के टावर से 50 मीटर के दायरे में खनन नहीं होना चाहिए।
    • रात में नहीं हो सकता खनन। बस्ती के सौ मीटर दायरे में नहीं हो सकता खनन।
    • गहराई में नहीं समानांतर खनन ही है वैध।
    • खदान में एक साथ दो वाहनों के आने-जाने का हो संपर्क मार्ग।
    • खनन क्षेत्र में पेयजल, चिकित्सा का हो पर्याप्त इंतजाम।
    • धूल से बचाव के लिए खदान में होता रहे पानी का छिड़काव।
    • 10 मीटर गहरी खदानों में खनन प्रतिबंधित।
    • एक खदान में 20 मजदूर से अधिक नहीं कर सकते काम।
    • दो टीपर से अधिक वाहनों से ढुलाई नहीं।
    • एक खदान में 80 होल से अधिक की ब्लास्टिंग नहीं।
    • मजदूरों की सुरक्षा के लिए हेलमेट व बेल्ट जरूरी।
    • श्रम अधिनियम के तहत मजदूरों का हो मानदेय।

    बिल्ली-मारकुंडी के कृष्णा माइंस में हादसे की सूचना है। दुसान कंपनी, ओबरा पावर कारपोरेशन व अल्ट्राटेक के माध्यम से खदान में दबे हुए लोगों को निकालने का काम चल रहा है। मलबे में कितने लोग दबे है उसकी जांच कराई जा रही है।
    - बीएन सिंह, जिलाधिकारी।