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    साहित्य अकादमी पुरस्कार अवार्डी डा. शिव मंगल सिंह का आज जन्मदिन, बैसवारा का गाैरव हैं साहित्य जगत के सुवासित 'सुमन'

    By amit mishra Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Tue, 05 Aug 2025 06:00 AM (IST)

    Dr Shiv Mangal Singh Suman Birthday उन्नाव के बीघापुर में जन्मे डा. शिव मंगल सिंह सुमन हिंदी साहित्य के गौरव थे। उन्हें साहित्य अकादमी और पद्मविभूषण जैसे सम्मान मिले। मिट्टी की बारात के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। उनका जन्मदिवस उनके पैतृक गांव में श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा। उनके भतीजे मोहन सिंह का कहना है कि गांव में उनकी प्रतिमा स्थापना के अलावा कुछ नहीं हुआ।

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    शिव मंगल सिंह सुमन का आवास व वह कुआं जिस पर बैठकर गुनिया का यौवन नामक कविता लिखी थी। पदाधिकारी

    सुनील अवस्थी, जागरण, बीघापुर(उन्नाव)। हिंदी साहित्य जगत के सुवासित सुमन डा. शिव मंगल सिंह सुमन बैसवारे के मान, स्वाभिमान कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनके साहित्य को आज भी लोग गुन रहे हैं। बीघापुर तहसील के गांव झगरपुर में जन्में सुमन साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मविभूषण सम्मान जैसे कई सम्मान मिले। महाकवि निराला को समर्पित पंक्तियां सुमन जी पर ही चरितार्थ होती हैं।

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    बताया जाता है कि सुमन जी अपने पड़ोस में रहने वाली युवती गुनिया से इतना प्रभावित थे कि घर के सामने बने कुएं की जगत पर बैठ कर उन्होंने गुनिया का यौवन नाम की कविता लिख डाली थी। मध्यप्रदेश के उज्जैन से अध्यापन करने के बाद 1939 में उनका पहला कविता-संग्रह हिल्लोल प्रकाशित हुआ था। 1968 में वह विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति बने।

    सुमन जी नेपाल के भारतीय दूतावास में सांस्कृतिक सचिव, भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष, भारत सोवियत मैत्री संघ के उपाध्यक्ष, कालीदास अकादमी के अध्यक्ष, हिंदी संस्थान उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष जैसे अनेक महत्वपूर्ण पदों को शुशोभित किया। इस बीच उन्होंने अनेक उत्कृष्ट पुरस्कार से भी नवाजा गया। उन्हें मिट्टी की बरात कविता संग्रह के लिए 1974 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

    गीतों की गायत्री लिखने वाले इस महापुरुष का जन्म पांच अगस्त 1915 को हुआ था। साहित्य जगत के सबसे अधिक सुंदर सुवासित सुमन का जन्मदिवस मंगलवार को उनके पैतृक ग्राम समेत साहित्य जगत के मंचों पर बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।

    प्रतिमा स्थापना के अलावा और कुछ नहीं हो सका

    गांव में रह रहे सुमन जी के भतीजे मोहन सिंह का कहना है कि दावे तो लोगों ने बड़े-बड़े किए पर गांव में उनकी प्रतिमा स्थापना के अलावा और कुछ नहीं हो सका। जबकि, सरकार व जनप्रतिनिधि साहित्यकार व स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियों को संरक्षित करने का ढिढोरा पीटते है।

    युग धर्मा कवि थे डा. सुमन

    साहित्य कार डा. गणेश नारायण शुक्ल बताते हैं सुमन जी युग धर्मा कवि थे उनमें पूरा युग समाहित था। उन्हें अपनी जन्म भूमि के प्रति इतना लगाव था कि वह प्रत्येक वर्ष गांव आते और लौटते समय हर देहरी के पैर छूकर जाते। हर परिवार को कुछ न कुछ उपहार जरूर देते थे। वह कहते हैं कि अपने जीवन काल में अनेक शिखर पदों पर सुशोभित रह चुके इस विराट व्यक्तित्व की कविताओं पर तो लिखना आसान है, लेकिन उनके व्यक्तित्व पर लिखना बहुत कठिन है।

    एक परिचय

    • नाम- डा. शिव मंगल सिंह 'सुमन'
    • जन्म- 05 अगस्त 1915
    • निधन- 27 नवंबर 2002
    • जन्मस्थान - ग्राम झगरपुर, जिला उन्नाव, उप्र.
    • श्रेणी - रचनाकार
    • पुरस्कार - 1974 में मिट्टी की बारात रचना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार,
    • - 1993 में भारत भारती पुरस्कार।

    प्रमुख कविता संग्रह

    हिल्लोल, जीवन के गान, युग का मोल, प्रलय सृजन, विश्वास बढ़ता ही गया, विंध्य हिमालय, मिट्टी की बारात, वाणी की व्यथा, कटे अंगूठों की वंदनवारें।

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