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    उन्नाव के औद्योगिक क्षेत्र में रेडिएशन लीक होने का दिनभर रहा हल्ला, शाम को फैक्ट्री सील

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 09:08 PM (IST)

    उन्नाव के दही औद्योगिक क्षेत्र में मेसर्स इपार्टियल एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड की गामा रेडिएशन प्रोसेसिंग इकाई को संरक्षण मानकों का पालन न करने पर सील कर दिया गया। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की टीम ने निरीक्षण के दौरान रखरखाव में कमी पाई। टीम रेडियोएक्टिव मटेरियल को वापस ले जाएगी। नियमों का उल्लंघन होने पर इकाई को सील किया गया। वहीं दिन भर रेडिएशन लीक होने की अफवाह फैली रही।

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    दही औद्योगिक क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में इकाई को सील करती वैज्ञानिकों की टीम। जागरण

    जागरण संवाददाता, उन्नाव। सात साल से अप्रयोज्य स्थिति में चल रहे दही औद्योगिक क्षेत्र स्थित मेसर्स इपार्टियल एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड इकाई में गामा रेडिएशन प्रोसेसिंग फैसेलिटी को मानक अनुसार संरक्षित न करने पर इस इकाई को सील कर दिया गया है। बुधवार को गोदाम पहुंची भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की तीन टीमों ने संबंधित इकाई के परिसर में स्थापित गामा रेडिएशन प्रोसेसिंग फैसेलिटी की सीलिंग की कार्यवाही की। टीम ने एहतियातन गोदाम को सील करते हुए यहां मौजूद लो रेडियोएक्टिव मटेरियल को संग्रहित कर वापस ले जाने की तैयारियां शुरू की है।

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    वहीं इकाई को सील किए जाने के पीछे संबंधित टीम की अगुवाई कर रहे वैज्ञानिक ने बताया कि इकाई में रेडिएशन प्रोसेसिंग फैसेलिटी का रख-रखाव कमजोर पाया गया है। टीम अगले दो माह के अंदर संबंधित मैटीरियल व व उपकरण उठा ले जाएगी। निदेशक (सिक्योरिटी एंड कार्डीनेशन), परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार अणुशक्ति भवन, छत्रपति शिवाजी महाराज मार्ग, मुंबई भारत सरकार द्वारा गठित समिति ने 12 दिन पहले अपने आने की सूचना जिला प्रशासन को दे दी थी। जिसके बाद प्रशासन ने टीम के साथ रहने के लिए जिला स्तरीय समिति में पांच अधिकारियों को नामित कर दिया था।


    दही क्षेत्र स्थित औद्योगिक क्षेत्र में मेसर्स इपार्टियल एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड इकाई में साल 2018 से मांस, सब्जी इत्यादि खाद्य पदार्थ संरक्षित करने का काम किया जाता था। यह खाद्य पदार्थ लंबे समय तक खराब न हो इसके लिए इन्हें यहां मौजूद फूड ई रेडिएशन (आयनकारी विकिरण) मशीन या गामा-इरेडिएशन प्लांट से गुजारा जाता था। जिसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ कोबाल्ट 60 का इस्तेमाल किया जाता था। जिससे गुजरने के बाद मांस से सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया, परजीवी) आदि खत्म हो जाते हैं और उसकी शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है।

     

    फूड ई रेडिएशन टेक्नालाजी के लिए आवश्यक लो ग्रेड रेडियोएक्टिव मटेरियल भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) द्वारा मुहैया कराया जाता है। इसके तहत गोदाम संचालक को भी लाइसेंस प्रक्रिया पूरी करने के बाद तय समय के लिए रेडियोएक्टिव मैटीरियल उपलब्ध कराया गया था। जिसकी समय सीमा कुछ दिन पहले पूरी हो गई थी। ऐसे में रेडियोएक्टिव मटेरियल को संरक्षित कर वापस ले जाने के लिए टीम मौके पर पहुंची थी। हालांकि टीम में शामिल वैज्ञानिकों ने जब इकाई का निरीक्षण किया तो संरक्षण संबंधी कई मानक पूरे नहीं मिले। इसपर टीम ने इकाई को भी सील कर दिया है।

     

    वहीं जानकार बताते हैं कि लो ग्रेड रेडियोएक्टिव पदार्थों को यदि सुरक्षित तरीके से संरक्षित न किया जाए तो इससे निकलने वाला रेडिएशन आसपास के जनजीवन व पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है। डायरेक्टर, डिपार्टमेंट आफ एटामिक एनर्जी किरन सोनावाने ने बताया कि इकाई में रेडियोएक्टिव पदार्थ को संरक्षित करने संबंधी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। जिसपर इकाई को सील कर दिया गया है।

    14 नवंबर को टीम आने की सूचना पर गठित हुई थी प्रशासनिक टीम

    निदेशक (सिक्योरिटी एंड कोर्डिनेशन), परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार अणुशक्ति भवन, छत्रपति शिवाजी महाराज मार्ग, मुंबई भारत सरकार द्वारा गठित समिति ने जिला प्रशासन को 14 नवंबर को 26 नवंबर को अपने आने की सूचना दे दी थी। टीम में एसके करवारे स्टेशन डायरेक्टर एनएपीएस नरौरा, किरन सोनावाने डायरेक्टर सिक्योरिटी एंड काेर्डिनेशन डीएई, आरबी राकेश एसओ एसओ, हेड आरआरएचपीएस, एचपीडी, बीएआरसी, आरकेबी यादव एसओ जी, हेड ईपीआरएस, आरएसएसडी, बीएआरसी, डीएम राने एओ एफ एईआरबी, दीपक शर्मा एसओ (एफ) डीएई, अभिमन्यु सरकार एसओ (ई), एईआरबी शामिल रहे। टीम के साथ जिला प्रशासन की समिति में नगर मजिस्ट्रेट राजीव राज, अपर पुलिस अधीक्षक अखिलेश सिंह, उपायुक्त उद्योग, जिला उद्योग प्रोत्साहन तथा उद्यमिता विकास केंद्र करुणा राय कनिष्ठ सहायक, यूपीसीडा व सहायक पर्यावरण अभियंता एवं अवर अभियंता, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मौजूद रहे।

     


    दो माह का लिया समय

    टीम ने रेडियोएक्टिव पदार्थों को गोदाम से हटाने के लिए दो माह का समय मांगा है। इस समयावधि में गोदाम के अंदर प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके चलते टीम ने गोदाम के मुख्य गेट को सील कर दिया। इसके साथ ही गार्ड रूम में भी अवरोधक लगा दिए गए हैं।

     

    रेडिएशन लीक होने का दिन भर रहा हल्ला

    भाभा अनुसंधान केंद्र की टीम औद्योगिक क्षेत्र में आने की खबर को लेकर संबंधित इकाई से रेडिएशन लीक होने का हल्ला मचा रहा। जिससे लोग तरह तरह के कयास लगाते रहे। कई लोग इसे दिल्ली में हुए विस्फोट के बाद हुई कार्यवाई से जोड़ते रहे तो कई इकाई रेडियोधर्मी पदार्थ रिसने के चलते टीम के आने की चर्चा करते रहे। हालांकि दोपहर बाद टीम के रेडियोएक्टिव पदार्थ वापस लेने के लिए आने की पुष्टि होने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली।

     

    रेडिएशन जैसी कोई बात नहीं: आरओ पीसीबी

    निदेशक (सिक्योरिटी एंड काेर्डिनेशन), परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार के अधिकारियों के साथ जिलाधिकारी द्वारा गठित समिति की उपस्थिति में गामा रेडिएशन प्रोसेसिंग फैसेलिटी की सीलिंग प्रकिया की गई है। गामा रेडिएशन प्रोसेसिंग फैसेलिटी की सील की सुरक्षा के लिए स्थानीय पुलिस को सक्रिय किया है। रेडिएशन जैसी कोई बात नहीं थी, यदि ऐसा होता तो आधा किमी का एरिया सील किया जाता। सबसे बड़ी बात वैज्ञानिक टाई, कोट पैंट आदि ड्रेस में इकाई का निरीक्षण नहीं करते। इसके लिए विशेष सूट आता है। वह पहनकर ही इकाई में प्रवेश किया जा सकता था।
    शशि बिंदकर-आरओ पीसीबी