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    लेखपाल का गजब कारनामा, न्यायालय से जमीन बंटवारे के आदेश, मौके से गायब कर दी जमीन

    By amit mishra Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Fri, 25 Jul 2025 07:07 PM (IST)

    भूमि बंटवारे के लिए एक किसान परिवार ढाई साल से परेशान है। एसडीएम कोर्ट से आदेश के बाद भी लेखपाल ने एक साल तक उन्हें चक्कर कटवाए। जब लेखपाल मौके पर पहुंचे तो उन्होंने जमीन ही न होने की बात कह दी। पीड़ितों ने एसडीएम से न्याय की गुहार लगाई है। राजस्व विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

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    ढाई वर्ष पूर्व भाइयों ने एसडीएम न्यायालय में डाला था वाद।

    संवाद सूत्र, जागरण, गंजमुरादाबाद(उन्नाव)। उन्नाव में करीब डेढ़ साल तक उपजिलाधिकारी न्यायालय में वाद चलने के बाद भूमि बंटवारे का आदेश जारी हुआ है। इसके बाद लेखपाल ने एक वर्ष तक चक्कर लगवाए। इस सब में ढाई साल बीत गए। ढाई साल तक तहसील और लेखपाल के चक्कर काटने के बाद मौके पर पहुंचे क्षेत्रीय लेखपाल ने मौके पर खेत ना होने की बात कहकर मामले से पल्ला झाड़ लिया। निराश पीड़ितों ने प्रार्थना पत्र देकर एसडीएम से न्याय की गुहार लगाई है। वहीं यह मामला प्रकाश में आने के बाद राजस्व विभाग की कार्यशैली पर भी प्रश्न उठने लगे हैं।

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    बांगरमऊ क्षेत्र के गांव भिखारीपुर पतसिया निवासी दीनदयाल व रामशंकर पुत्र श्रीराम ने एसडीएम को शिकायती पत्र देकर बताया कि ढाई वर्ष पूर्व उन्होंने एसडीएम न्यायालय में भूमि बंटवारे का एक वाद दायर किया था। जिससे डेढ़ वर्ष तक मुकदमा चलने के बाद तमाम दस्तावेज अवलोकन कर एसडीएम न्यायालय ने 29 अगस्त 2024 को बंटवारे का आदेश जारी किया।

    आदेश के बाद करीब एक वर्ष तक वह जमीन बंटवारे के लिए क्षेत्रीय लेखपाल के चक्कर काटते रहे, जिसमें करीब ढाई वर्ष गुजर गया। अब 24 जुलाई 2025 को लेखपाल मौके पर पहुंचे तो दो टूक कह दिया कि तुम लोगो की मौके पर जमीन ही नहीं है। पीड़ितोँ ने उक्त दर्द बयां करते हुए लेखपाल की जबानी सुनने के बाद हताश व निराश होने की बात कहकर भूमि के संबंध में कार्रवाई की मांग की है।

    स्पष्ट आदेश के बाद भी लगाने पड़े चक्कर

    बीते 29 अगस्त 2024 को न्यायालय एसडीएम बांगरमऊ ने पीड़ित के मुकदमे की सुनवाई के बाद आदेश जारी कर एक सप्ताह में दस्तावेजी कार्य निपटाने की हिदायत देते हुए 12 सितंबर 2024 को पत्रावली पेश करने का भी आदेश दिया था। लेकिन क्षेत्रीय लेखपाल ने एसडीएम न्यायालय का आदेश दरकिनार कर पीड़ित को करीब एक वर्ष तक गुमराह करता रहा।