बीएचयू में वैज्ञानिकों ने बताया - "इंसान चन्द्रमा पर ध्रुवीय क्षेत्र में ही जाएगा, क्योंकि पानी भी यहीं मिलेगा"
बीएचयू में निष्कर्ष निकला है कि हर क्षेत्र के सबसे प्रतिभावान लोगों की मदद से ही स्पेस तकनीक अग्रसर होगी। हमला या सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि संचार और ब्राडकास्टिंग के लिए शुरू हुआ भारत में स्पेस तकनीक। बीएचयू में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 के प्रति जागरूकता हेतु कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। बीएचयू में विज्ञानियों ने अंतरिक्ष में शोध और संभावनाओं सहित भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को लेकर रणनीति और भविष्य का खाका भी खींचा गया। अंतरिक्ष की तकनीक के फायदे और भारत को लेकर संभावनाओं की भी विशेषज्ञों ने पड़ताल की है।
आप अपना पैशन फालो करिए क्योंकि अंतरिक्ष तकनीक हर क्षेत्र के प्रतिभावान लोगों की मदद से ही अग्रसर होगी । डा. रमनगौडा वी. नाडागौड़ा, एसोसिएटेड डायरेक्टर, यू. आर. राव स्पेस सेंटर ने यह बात यू. आर. राव उपग्रह केंद्र और इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला, बेंगलुरु के तत्वधान से और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भूभौतिकी विभाग के सहयोग से शुक्रवार को स्वतंत्रता भवन में आयोजित कार्यक्रम में कही। इस कार्यक्रम का आयोजन 23 अगस्त को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस से पूर्व, इसरो के प्रयास से देश भर के युवाओं को अंतरिक्ष तकनीक से रूबरू करने एवं अंतरिक्ष तकनीक के प्रति प्रेरित करने हेतु किया जा रहा है।
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डा. रमनगौड़ा ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में अंतरिक्ष तकनीक का विकास हमला या सुरक्षा के उद्देश्य से नहीं बल्कि संचार और प्रसारण के उद्देश्य से किया गया था। डा. नाडागौड़ा ने इसी क्रम में यह भी बताया कि अंतरिक्ष तकनीक का बाजार लगभग 40 लाख करोड़ रुपए और 3 करोड़ रोजगार का है।
मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में इसरो की टीम को उनकी उपलब्धियों के इतर विद्यालयों के विद्यार्थियों तक पहुंचाने के लिए बधाई दी। कुलपति ने इस बात पर जोर दिया कि जितना अधिक बच्चों और युवाओं को प्रेरित करेंगे उतना ही अधिक प्रतिभाएं अंतरिक्ष तकनीकी के क्षेत्र में क़दम बढ़ाएंगी।
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राजकीय बालिका पालिटेक्निक कालेज, प्रयागराज के अध्यापक हिमांशु मौर्या ने अपने वक्तव्य में कहा कि विकसित और सफल राष्ट्र के लिए स्वदेशी और उन्नत तकनीक अत्यंत आवश्यक है। श्री मौर्य ने यह भी बताया कि साल 2024 में 2 लाख से अधिक शोध लेखों के साथ भारत विश्व में शोध लेखों के प्रकाशन में तीसरे स्थान पर रहा। उन्होंने सभा में उपस्थित लोगों का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया कि साल 1975 में रूसी मदद से अपना पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ लान्च करने वाला हमारा देश, आज 50 से अधिक देशों का उपग्रह स्वदेशी तकनीकों की मदद से लांच कर रहा है।
इसरो के क्रियाकलाप पर प्रकाश डालते हुए मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी, इसरो के निदेशक पंकज डी किलेदार ने यह बताया कि भारत अब तक 34 देशों के 438 उपग्रहों को लान्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। इसरो के ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर के निदेशक डी. के. सिंह ने स्पेस सिस्टम के बारे में बारीकी से जानकारी दी। उन्होंने अपनी प्रस्तुति में मानव के लिए अंतरिक्ष यात्रा की आवश्यकताओं, संभावनाओं और चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की।
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यू. आर. राव उपग्रह केंद्र के प्रोग्राम निदेशक जसविंदर सिंह खोरल ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि इंसान जब कभी चन्द्रमा पर जाएगा तो वो ध्रुवीय क्षेत्र में ही जाएगा, जहां भारत का चंद्रयान उतरा था, क्योंकि पानी वहीं हैं। यह इसरो और देश की उपलब्धि है। प्रमुख अतिथियों और सभा में उपस्थिति सुधीजनों का काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भूभौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ज्ञान प्रकाश सिंह ने स्वागत किया।
आयोजन के दूसरे सत्र में एम. शामबय्या ने अंतरिक्ष प्रणोदन पर अपनी प्रस्तुति दी। जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे अंतरिक्षयान कार्य करता है। इसके बाद भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी जी. पी. सिंह ने यह सवाल उठाया कि कैसे केंद्रीय लैब्स ग्रामीण क्षेत्रों में बने उत्पादों को वैश्विक मानकों तक ले जा सकती हैं। साथ ही इस समस्या का भी जिक्र किया कि तकनीकी की गांवों तक कैसे पहुंचाया जाए।
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विभिन्न विद्यालयों से आए विद्यार्थियों को विज्ञान विशेष तौर पर अंतरिक्ष तकनीक के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए क्विज का आयोजन किया गया। जिसका संचालन शशांक एस. ने किया। आयोजन में विश्वविद्यालय के मंच कला संकाय के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति पेश की गई। इसरो के वैज्ञानिकों से रूबरू होते हुए विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों ने सवाल जवाब किए, जिनमें प्रमुखता से छात्राओं के प्रश्न बेहद सजग और प्रेरक रहे।
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कार्यक्रम यू. आर. राव उपग्रह केंद्र, बेंगलुरु एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भूभौतिकी विभाग का सह आयोजन था, जिसमें बीएचयू का नेतृत्व प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने अपने सहयोगियों प्रो अभय कुमार सिंह, प्रो. कुलदीप, प्रो. वैभव श्रीवास्तव, प्रो. पूर्वी साइकिया, डा. तीर्थंकर बनर्जी, डा. राघव सिंह और भूभौतिकी एवं भौमिकी विभाग के छात्राओं एवं छात्रों के सहयोग से सकुशल सम्पन्न किया। कार्यक्रम का संचालन यू. आर. राव उपग्रह केंद्र के वैज्ञानिक निक्की श्रीवास्तव और आलोक कुमार झा ने किया। वहीं औपचारिक समापन समन्वयक प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित कर किया।
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