काशी के ज्योतिषाचार्यों ने धनतेरस पर खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त पर बताई यह महत्वपूर्ण बात
वाराणसी में धनतेरस पर खरीदारी के शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों में उत्सुकता है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस वर्ष धनतेरस 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है। खरीदारी के लिए पूरा दिन शुभ है, लेकिन कुछ लोग स्थिर लग्न को महत्व देते हैं। धनतेरस आर्थिक समृद्धि और सामाजिक एकता का प्रतीक है, इस दिन सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है।

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धन त्रयोदशी के रूप में मनाया जाता है, जिसे धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। धनतेरस पर खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त की तलाश हर आम और खास को है। ज्योतिषीय मान में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धन त्रयोदशी के रूप में मनाया जाता है, जिसे धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है।
इस वर्ष यह पर्व शनिवार, 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन लोग अपनी आवश्यकताओं के अनुसार नई वस्तुओं की खरीदारी करते हैं और मां लक्ष्मी, गणेश तथा कुबेरादि का पूजन कर उन्हें समर्पित करते हैं, ताकि पूरे वर्ष घर में धन-धान्य बना रहे।
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार, यह पर्व विशेष रूप से धनागमन और पूजन के लिए समर्पित है। पर्व के दिन खरीदारी के लिए पूरा दिन शुभ मुहूर्त होता है। इसलिए धनतेरस पर कभी भी मां लक्ष्मी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए खरीदारी की जा सकती है।
ख्यात ज्योतिषाचार्य प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय का कहना है कि इस पर्व का अपना विशेष शुभ मुहूर्त और लग्न होता है, इसलिए खरीदारी के लिए अलग से मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है। फिर भी कुछ लोग स्थिर लग्न का सहारा लेते हैं।
धनतेरस के दिन सुबह 8:32 बजे से 10:49 बजे तक वृश्चिक लग्न, दोपहर 2:42 बजे से 4:13 बजे तक कुंभ लग्न, और शाम 7:18 बजे से 9:14 बजे तक वृष लग्न है। ये सभी स्थिर लग्न माने जाते हैं। लोकमान्यता है कि स्थिर लग्न में खरीदी गई वस्तु स्थिर मानी जाती है, हालांकि ऐसी कोई शास्त्रीय मान्यता नहीं है।
धनतेरस का पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग सोने, चांदी, बर्तन, और अन्य कीमती वस्तुओं की खरीदारी करते हैं। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं घर में समृद्धि और खुशहाली लाती हैं। इस पर्व पर विशेष रूप से सोने और चांदी के आभूषणों की खरीदारी की जाती है, क्योंकि इन्हें धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
धनतेरस के अवसर पर बाजारों में रौनक बढ़ जाती है। दुकानदार विशेष छूट और ऑफर्स की घोषणा करते हैं, जिससे ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके। इस दिन खरीदारी करने वाले लोग न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार और दोस्तों के लिए भी उपहार खरीदते हैं। इस पर्व का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और एकजुटता का प्रदर्शन करते हैं।
धनतेरस पर पूजा का विशेष महत्व है। लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं और मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। पूजा के दौरान विशेष रूप से मिठाइयों और फलों का भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन घरों को सजाने का भी प्रचलन है, जिससे वातावरण में उत्सव का माहौल बना रहे।
धनतेरस का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आर्थिक समृद्धि और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इस दिन की गई खरीदारी और पूजा से न केवल व्यक्ति के जीवन में धन का आगमन होता है, बल्कि यह परिवार और समाज में भी खुशहाली लाने का कार्य करती है।
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