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    यूपी के इस जिले में आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले अस्पतालों की होगी जांच, लाभार्थियों से होगी पूछताछ

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 12:49 PM (IST)

    वाराणसी में आयुष्मान योजना के तहत फर्जी कार्ड बनाकर इलाज करने वाले अस्पतालों की जांच होगी। इन अस्पतालों ने भुगतान के लिए आवेदन किया था, जिसके बाद पुराने रिकॉर्ड की जांच का निर्णय लिया गया। हैकरों ने सेंधमारी करके फर्जी कार्ड बनाए थे, जिसके आधार पर अस्पतालों में इलाज हुआ। अब अस्पतालों की मिलीभगत और लाभार्थियों से पूछताछ की जाएगी। मई 2025 में भी करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए गए थे, जिसकी जांच जारी है।

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    जागरण संवाददाता, वाराणसी। आयुष्मान योजना के फर्जी कार्ड बनाकर इलाज का बिल लेने वाले अस्पतालों की जांच होगी। इन अस्पतालों ने फर्जी कार्ड से इलाज के बाद भुगतान के लिए स्टेट एजेंसी फार काम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के पास आवेदन कर दिया था। अब इन अस्पतालों के पुराने इलाज के दावों के रिकार्ड की जांच होगी। पुराने भुगतान में गड़बड़ी मिली तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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    जिले में 12,82,440 लाभार्थियों के कार्ड बनने हैं। इसमें 12,23,136 कार्ड बनाए जा चुके हैं। लाभार्थियों को नजदीकी सेंटर पर लाभ देने के लिए 28 सरकारी और 204 प्राइवेट हास्पिटल पंजीकृत हैं। आयुष्मान भारत के पोर्टल में सेंधमारी करके हैकरों ने सैकड़ों आयुष्मान कार्ड बनाए थे।

    इनसे अस्पतालों में इलाज भी कराया गया। जांच में संदिग्ध मिले कार्ड निरस्त कर दिए गए हैं। जिन अस्पतालों ने इन कार्डों के आधार पर मरीजों को भर्ती किया है, इस फर्जीवाड़े में उनकी मिलीभगत का पता लगाने के लिए पुराने इलाज के बिल खंगाले जा रहे हैं। साथ ही बीते छह महीनों में बने कार्डों की जांच और उनके लाभार्थियों से पूछताछ भी की जाएगी।

    पुलिस के अलावा साचीज के अधिकारी गड़बड़ी की जांच कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस बार भी आयुष्मान भारत के पोर्टल में सेंध लगाई गई है, जैसे कि मई 2025 में 9.45 करोड़ रुपये कई अस्पतालों के खाते में ट्रांसफर किए गए थे। अभी तक कि जांच में पता चला है कि मई में अधिकारियों की आइडी हैक करके 9.45 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। इसी तरह अधिकारियों के नंबर हैक करके आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। करोड़ों के भुगतान के मामले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) भी जांच कर रही है। फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने के मामले में इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी (आइएसए) की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।

    -डाॅ. एनडी शर्मा, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण वाराणसी।