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    सब साथ छोड़ देते हैं तब भी गुरु और ग्रंथ रहते हैं साथ: पंडित धीरेंद्र शास्त्री

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Wed, 29 Oct 2025 12:08 PM (IST)

    वाराणसी में 'अग्निरथ का सारथी' नामक पुस्तक का विमोचन हुआ, जो पद्मश्री मनु शर्मा पर केंद्रित है। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ज्ञान और ग्रंथों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने काशी की महिमा का वर्णन किया और मनु शर्मा के योगदान को याद किया। कार्यक्रम में अन्य अतिथियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए और मनु शर्मा की प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की गई।

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    मनु शर्मा पर केंद्रित डा. इंदीवर की पुस्तक ‘अग्निरथ का सारथी’ का मंगलवार को रुद्राक्ष कनवेंशन सेंटर में विमोचन किया गया।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। साहित्यकार पद्मश्री मनु शर्मा पर केंद्रित डा. इंदीवर की पुस्तक ‘अग्निरथ का सारथी’ का मंगलवार को रुद्राक्ष कनवेंशन सेंटर में विमोचन किया गया। इसके लिए आयोजित कार्यक्रम ‘हमारे मनु’ के मुख्य अतिथि बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि जब दुनिया साथ छोड़ दे, अस्त्र-शस्त्र साथ छोड़ दें, कद-पद आपका साथ छोड़ दें तब कोई आपका साथ देता है तो केवल ज्ञान देता है।

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    वो ज्ञान या तो गुरु से मिलता है या ग्रंथ से मिलता है। इसमें भी अगर गुरु नहीं हैं तो उस समय ग्रंथ हमें मार्गदर्शन करते हैं। पुस्तक, उस तक भी ले जाती है। उस तक पहुंचने के लिए पुस्तक जरूरी है। इसलिए आपको पुस्तक तक पहुंचना होगा। पं. धीरेंद्र कृष्ण ने पुस्तकों की महिमा बखानते हुए कहा कि जिसका ग्रंथ बलवान हो या गुरु बलवान हो उसका चेला पहलवान होता है।

    ग्रंथ के बल का कोई प्रमाण देखना चाहे कि ग्रंथ के बल से क्या-क्या पाया जा सकता है, इसका उदाहरण है काशी। ग्रंथ के बल पर जितने सम्मान काशी को मिले उतने किसी को नहीं मिले। काशी हमारी मूल परंपरा है। हमारे दादा का अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर हुआ। इस दौरान मुझे काशी में 15 दिन रहने का मौका मिला। कहा कि हमने यहां का एक-एक मंदिर, घाट, गंगा आरती, गली-चौराहे, ज्ञान, विद्वान और मान देखा।

    हमने अक्खड़, फक्कड़, बाबा विश्वनाथ तो भैरवनाथ को भी देखा तब यह भान हुआ काशी हमारे भारत की शान है। मनु शर्मा के संबंध में उन्होंने कहा कि कुछ लोग हमारे बीच से तो चले जाते हैं लेकिन उनकी जीवनशैली, जीवनचर्या, चेतना, औरा, सोचने का ढंग और जीने का ढंग रह जाता है। उन्हीं में एक साहित्यकार मनु शर्मा हैं।

    दीप प्रज्ज्वलन, अतिथि सम्मान के बाद पुस्तक के प्रकाशक प्रभात कुमार ने स्वागत किया। आयोजक और मनु शर्मा के पुत्र साहित्यकार हेमंत शर्मा ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने मनु शर्मा की जन्मशती की संकल्पना पर ‘हमारे मनु’ कार्यक्रम के विषय में जानकारी दी। मनु शर्मा के पोते पार्थ शर्मा ने उनके नाम पर डीएवी के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के बारे में बताया। छह छात्रों को पुस्तकें भेंट की गईं। कार्यक्रम को केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दक्षिण अफ्रीका से आनलाइन संबोधित किया।

    केंद्रीय मत्स्य, डेयरी मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने मनु शर्मा की विभिन्न पुस्तकों के मर्म को बताया। कहा कि उन्होंने कर्ण की आत्मकथा को न केवल लिखा बल्कि जिया भी। अपने मृत्यु के समय 20 लाख रुपये काशी के घाटों के उद्धार के लिए दान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि पुस्तकों के शब्द लोगों को जीवन को जीने की राह दिखाते हैं।

    धन्यवाद ज्ञापन करते हुए महापौर अशोक तिवारी ने घोषणा की कि स्थान का चयन कर मनु शर्मा की प्रतिमा लगवाई जाएगी। कार्यक्रम में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारीलाल शर्मा, काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण व रसायन राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, स्टांप राज्य मंत्री रवींद्र जायसवाल, आयुष मंत्री डा. दयाशंकर मिश्र दयालु सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।