Chandra Grahan 2025 : चंद्रग्रहण के दौरान बदला बाबा दरबार में दर्शन और गंगा आरती का समय, नोट कर लें सूतक का काल
वाराणसी में रविवार को चंद्रग्रहण के कारण कई प्रमुख मंदिर दर्शन के लिए बंद रहेंगे। मंदिरों के कपाट सूतक काल में बंद रहेंगे जिसके चलते भक्तों को निराशा हो सकती है। शाम की गंगा आरती भी दोपहर में ही होगी। काशी विद्वत परिषद के अनुसार चंद्रग्रहण का प्रभाव श्राद्ध कर्म पर नहीं पड़ेगा।

जागरण संपाददाता, वाराणसी। काशी में रविवार को चंद्रग्रहण के दौरान कई प्रमुख मंदिरों में दर्शन पूजन बंद रहेगा। मंदिर में दर्शन पूजन बंद रहने और रविवार को भक्तों की भारी भीड़ आने की वजह से भक्तों को निराशा हाथ लगनी तय है। काशी में मंदिर सूतक के कारण इस काल में बंद रहेंगे तो शाम की गंगा आरती भी दोपहर में ही होगी।
चंद्रग्रहण के कारण बीएचयू परिसर स्थित श्रीविश्वनाथ मंदिर रविवार को दोपहर तीन बजे बंद होने के बाद सोमवार को सुबह चार बजे मंदिर को दोबारा खोला जाएगा। विवि प्रशासन की तरफ से यह एडवाइजरी दर्शनार्थियों के लिए जारी हुई है ताकि उन्हें दर्शन-पूजन में कोई असुविधा नहीं हो।
श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री और बीएचयू ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय कहते हैं कि चंद्रग्रहण या उसके सूतक का प्रभाव पितृ पक्ष अथवा श्राद्ध कर्म पर नहीं होता। इस बार खग्रास चंद्रग्रहण लग रहा है। इसका सभी पर प्रभाव पड़ने की मान्यता रही है। लेकिन ज्योतिष शास्त्री भी अलग विधान और अलग मान रखते हैं।
मान्यता है कि यह पूर्ण चंद्रग्रहण से भी बड़ा होता है और चंद्रमा को पूरी तरह आच्छादित तो कर ही लेता है, खग यानी आकाश के कुछ हिस्से को भी ढक लेता है, इसलिए इसे खग्रास चंद्रग्रहण कहते हैं। चंद्रमा रक्त वर्ण यानी लाल रंग का दिखता है। विभागाध्यक्ष प्रो. सुभाष पांडेय ने भी कहा कि सूतक अथवा ग्रहण काल में श्राद्ध कर्म का कहीं भी निषेध नहीं किया गया है।
सूतक दोपहर 12:57 बजे से लग रहा है और श्राद्ध कर्म पूर्वाह्न में ही कर लिया जाता हैं, लेकिन कभी ग्रहण या सूतक पूर्वाह्नव्यापिनी हो तो भी श्राद्ध कर्म पर कोई प्रभाव नहीं होता। चंद्रगहण का स्पर्श रात 9:57 बजे से होगा और मोक्ष रात 1:27 बजे होगा। ग्रहण का मध्यकाल रात 11:49 बजे होगा।
मंदिरों के कपाट रहेंगे बंद
इस बार रविवार को सूतक काल के दौरान श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट परंपरानुसार लगभग दो घंटे पूर्व 7.30 बजे बंद हो जाएंगे। संध्या आरती सायं चार व शृंगार भोग आरती सायं 5:30 और शयन आरती शाम सात बजे होगी। इस दौरान बगल ही मौजूद अन्नपूर्णा मंदिर के पट भी साढ़े सात बजे बंद होंगे। संकट मोचन मंदिर, दुर्गाकुंड स्थित कुष्मांडा मंदिर, गौरी केदारेश्वर मंदिर, तिलभांडेश्वर मंदिर दोपहर में बंद होने पर अगले दिन भोर में निर्धारित समय से खुलेंगे।
कैथी स्थित मार्केंडेय महादेव व हरहुआ स्थित रामेश्वर महादेव मंदिर दोपहर 12.57 बजे सूतक के साथ बंद होंगे। बीएचयू विश्वनाथ मंदिर दोपहर तीन बजे बंद होगा। दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती दोपहर 12 बजे होगी। इसके अलावा भी अन्य प्रमुख सभी मंदिरों में भी सूतक काल में बंदी रहेगी।
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