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    INTACH वाराणसी अध्याय द्वारा विरासत सप्ताह का शुभारंभ, प्राचीन धरोहरों का भ्रमण

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Wed, 19 Nov 2025 06:14 PM (IST)

    इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) के वाराणसी अध्याय ने विरासत सप्ताह का शुभारंभ किया। इस दौरान, स्कूली छात्रों ने शहर की प्राचीन धरोहरों का भ्रमण किया। छात्रों को वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराया गया और विरासत के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला गया।

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    100 विद्यार्थियों ने कर्दमेश्वर महादेव मंदिर एवं कुंड का भी दर्शन किया और इसके प्राचीन इतिहास से अवगत हुए।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। इंटैक वाराणसी अध्याय द्वारा आयोजित विरासत सप्ताह (19 से 25 नवंबर 2025) का उद्घाटन धूमधाम से किया गया। उद्घाटन दिवस पर सेठ एम.आर. जयपुरिया स्कूल बाबतपुर के लगभग 100 विद्यार्थियों ने गुरुधाम मंदिर का भ्रमण किया और इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की। इसी प्रकार, लगभग 100 विद्यार्थियों ने कर्दमेश्वर महादेव मंदिर एवं कुंड का भी दर्शन किया और इसके प्राचीन इतिहास से अवगत हुए।

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    INTACH वाराणसी अध्याय हर वर्ष 19 से 25 नवंबर तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है। इस वर्ष 19 और 20 नवंबर को विद्यार्थियों के लिए गुरुधाम मंदिर तथा कर्दमेश्वर महादेव मंदिर का भ्रमण आयोजित किया गया। 21 और 22 नवंबर को मिट्टी के बर्तन और खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

    23 नवंबर को अध्याय के सदस्य स्वर्वेद मंदिर और मार्कंडेय महादेव का अवलोकन एवं दर्शन करेंगे। 24 नवंबर को काशी के द्वादश आदित्य पर विशेष प्रस्तुति दी जाएगी। समापन दिवस 25 नवंबर को पेशवा हवेली, राजाघाट पर एक भव्य संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

    अध्याय संयोजक अशोक कपूर ने बताया कि INTACH द्वारा वर्षभर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन विरासत सप्ताह के दौरान विशेष रूप से अधिक से अधिक लोगों तक अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी जानकारी पहुंचाने का प्रयास किया जाता है। वर्ष 2025 के विरासत सप्ताह का सफल समन्वय अदिति गुलाटी द्वारा किया जा रहा है।

    इस सप्ताह आयोजित होने वाले विविध कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों और सदस्यों को अपनी समृद्ध भारतीय विरासत और काशी की ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जागरूक करने का उद्देश्य रखा गया है। इस प्रकार, INTACH वाराणसी अध्याय का यह प्रयास न केवल सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देता है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी धरोहर से जोड़ने का भी कार्य करता है।