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    Chandra Grahan 2025: साल का आखिरी चंद्रगहण आज, श्राद्ध कर्म पर नहीं होगा असर; जानें सूतक का समय

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 06:40 AM (IST)

    Chandra Grahan 2025 | इस वर्ष का अंतिम खग्रास चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा को लगेगा जिससे पितृ पक्ष शुरू होगा। काशी के विद्वानों के अनुसार चंद्रग्रहण के सूतक का श्राद्ध कर्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ग्रहण रात में लगेगा इसलिए सूतक दोपहर से शुरू हो जाएगा। ग्रहण काल में भोजन करने से बचना चाहिए और ग्रहण मोक्ष के बाद ही पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

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    साल का अंतिम चंद्रगहण आज, पितृपक्ष पर नहीं होगा सूतक का प्रभाव।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। इस वर्ष का अंतिम और सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा रविवार की रात में लगेगा। पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने, उनकी पूजा-आराधना और तर्पण-अर्पण के विधान भी उसी दिन से आरंभ होंगे। रविवार को पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाएगा।

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    इसी दिन मातृकुल के पितरों नाना-नानी आदि का तर्पण किए जाने का विधान है। पूर्णिमा के दिन ही श्राद्ध और खग्रास चंद्रग्रहण के सूतक को लेकर लोगों के मन में ऊहापोह है, किंतु काशी के विद्वान पंडितों का कहना है कि श्राद्ध कर्म पर चंद्रग्रहण के सूतक का प्रभाव होता ही नहीं।

    श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री और बीएचयू ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय कहते हैं कि चंद्रग्रहण या उसके सूतक का प्रभाव पितृ पक्ष अथवा श्राद्ध कर्म पर नहीं होता। इस बार खग्रास चंद्रग्रहण लग रहा है।

    यह पूर्ण चंद्रग्रहण से भी बड़ा होता है और चंद्रमा को पूरी तरह आच्छादित तो कर ही लेता है, खग यानी आकाश के कुछ हिस्से को भी ढक लेता है, इसलिए इसे खग्रास चंद्रग्रहण कहते हैं। चंद्रमा रक्त वर्ण यानी लाल रंग का दिखता है। विभागाध्यक्ष प्रो. सुभाष पांडेय ने भी कहा कि सूतक अथवा ग्रहण काल में श्राद्ध कर्म का कहीं भी निषेध नहीं किया गया है।

    सूतक दोपहर 12:57 बजे से लग रहा है और श्राद्ध कर्म पूर्वाह्न में ही कर लिया जाता हैं, लेकिन कभी ग्रहण या सूतक पूर्वाह्नव्यापिनी हो तो भी श्राद्ध कर्म पर कोई प्रभाव नहीं होता। चंद्रगहण का स्पर्श रात 9:57 बजे से होगा और मोक्ष रात 1:27 बजे होगा। ग्रहण का मध्यकाल रात 11:49 बजे होगा।

    उन्होंने बताया कि सूतक के पूर्व ही भोजनादि कर लेना चाहिए। इसके पश्चात ग्रहण मोक्ष के उपरांत ही भोज्य पदार्थ ग्रहण कर सकते हैं। ग्रहण काल में बनाया गया भोजन भी दूषित माना जाता है। बालक, वृद्ध, रोगी के लिए सूतक या भोजन निषेध नहीं लागू होता।

    ग्रहण काल में घी या दूध से बने भोज्य पदार्थों में तुलसी दल या कुश डाल कर रख दें। इससे उस भोज्य पदार्थ पर ग्रहण का प्रभाव नहीं होता। ग्रहण काल में देव विग्रहों का स्पर्श नहीं करना चाहिए। सूतक आरंभ होने के पूर्व ही मंदिर या घरों के पूजा स्थल में पूजा-अर्चन कर वहां का पट बंद कर दें या पर्दा डाल दें।

    ग्रहण मोक्ष के उपरांत स्नानादि से शुद्ध होकर देवालयों या घर के पूजागृहों की साफ-सफाई कर देव विग्रहों को स्नान कर उनके वस्त्र, पर्दे आदि बदल दें, तत्पश्चात पूजन-अर्चन और दान-पुण्य करें।

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