वाराणसी में लंपी बीमारी से पीड़ित मिले 20 पशु, इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली गया सैंपल
वाराणसी जिले में लंपी स्किन डिजीज का संक्रमण बढ़ रहा है जिससे पशुपालक परेशान हैं। सेवापुरी और हरहुआ ब्लॉक में कई पशु प्रभावित हैं। टीकाकरण की कमी से पशुपालकों में गुस्सा है। जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। पशुपालकों ने तत्काल सहायता की मांग की है क्योंकि बीमारी से दूध उत्पादन में भारी गिरावट आई है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। जिले में लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) का संक्रमण फिर से सिर चढ़कर बोल रहा है। पिछले कुछ दिनों में सेवापुरी विकास क्षेत्र से लेकर हरहुआ ब्लाक के भैठौली गांव तक दर्जनों पशुओं में यह वायरल बीमारी पांव पसार चुकी है। वहीं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में 20 पशुओं में लंपी की पृष्टि हुई है। पशुपालन विभाग अब सैंपल को इकट्ठा कर इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली जांच के लिए भेजा जा रहा है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पशुपालकों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि बीमार पशुओं के शरीर पर भयावह चकत्ते और गांठें उभर रही हैं। दूध उत्पादन में भारी गिरावट और संभावित मौतों से ग्रामीणों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। जिला प्रशासन ने सैंपल जांच के लिए इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई) बरेली भेजना शुरू कर दिया है, लेकिन टीकाकरण की कमी से पशुपालकों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
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सेवापुरी के ईशरवार, हरिभानपुर, बीरमपुर, दौलतिया और बनकट गांव में लंपी का कहर सबसे ज्यादा है। यहां के पशुपालक रामप्रताप यादव ने बताया, हमारी तीन गायें प्रभावित हो चुकी हैं। शरीर पर गांठें निकल आई हैं, बुखार चढ़ा हुआ है और दूध लगभग बंद हो गया है। गलत इलाज से बीमारी और फैल रही है। इसी तरह, हरहुआ ब्लाक के भैठौली गांव में कमला मिश्रा और जटाशंकर मिश्रा की गायें भी लंपी की चपेट में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मच्छरों और मक्खियों के काटने से यह बीमारी तेजी से फैल रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति और गंभीर है, जहां नमी और गंदगी ने वेक्टर कीड़ों को बढ़ावा दिया है। पशुपालकों ने जिलाधिकारी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने पशु चिकित्सा शिविर लगाने, मुफ्त टीकाकरण और अकुशल चिकित्सकों पर कार्रवाई की अपील की।
जिला प्रशासन ने अलर्ट किया जारी
जिला प्रशासन ने सभी बीडीओ और बीओ को अलर्ट जारी कर दिया है। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह बीमारी पूरे जिले में फैल सकती है, जिससे डेयरी उद्योग को करोड़ों का नुकसान होगा। पशुपालक अब सरकारी सहायता की बाट जोह रहे हैं, ताकि उनकी गाय-भैंसें बच सकें।
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लंपी स्किन डिजीज एक वायरल संक्रमण
लंपी स्किन डिजीज एक वायरल संक्रमण है, जो कैप्रिपाक्स वायरस के कारण होता है। यह मुख्य रूप से गायों और भैंसों को प्रभावित करता है। लक्षणों में तेज बुखार (106 डिग्री फारेनहाइट तक), त्वचा पर गांठें, लिम्फ नोड्स में सूजन, आंखों से पानी टपकना, लार टपकना, भूख न लगना और दूध उत्पादन में 50-90 प्रतिशत कमी शामिल है। गर्भवती पशुओं में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। मृत्यु दर एक से पांच प्रतिशत होती है, लेकिन आर्थिक नुकसान भारी पड़ता है। यह बीमारी मच्छरों, मक्खियों या सीधे संपर्क से फैलती है। 2019 में भारत में पहली बार दर्ज हुई यह बीमारी 2022 में महामारी का रूप ले चुकी थी, जिसमें एक लाख से अधिक पशुओं की मौत हुई। 2025 में भी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इसका प्रसार जारी है, खासकर गर्मी और नमी के मौसम में।
इस ब्लाक क्षेत्र में इतने मिले मरीज
ब्लाक - बीमार पशु
आराजीलाइन - 02
बड़ागांव - 03
चिरईगांव - 03
चोलापुर -02
हरहुआ - 03
काशी विद्यापीठ - 02
पिंडरा - 02
सेवापुरी - 03
इस तरह करें बचाव
- बीमार पशुओं को अलग रखें।
- गोशाला की सफाई करें।
- कीटनाशक का छिड़काव करें।
- टोल-फ्री नंबर 1962 पर संपर्क करें।
जिले में अब तक 20 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। बाढ़ वाले इलाकों में सर्वाधिक प्रभावित पशु मिले हैं। हमने 25,000 वैक्सीन डोज अस्पतालों को वितरित कर दिए हैं। कृमिनाशक, इम्यूनिटी बूस्टर दवाएं और एंटीबायोटिक्स सभी ब्लाकों में भेज दी गई हैं। सैंपल आइवीआरआइ बरेली जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। -डा. डीएन श्रीवास्तव, प्रभारी मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी वाराणसी।
टीके की कमी बनी हुई है। टीके मंगाए गए हैं, लेकिन स्टाक सीमित है। जैसे ही उपलब्ध होंगे, प्रभावित पशुओं को लगाना शुरू कर देंगे। - डा. धर्मेंद्र कनौजिया, पशु चिकित्सा अधिकारी सेवापुरी।
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