गंगा घाटों पर पितरों के निमित्त तर्पण का जानें काशी में महात्म्य, चंद्रग्रहण तक का श्राद्ध कर्म पर कोई असर नहीं
वाराणसी में इस वर्ष का अंतिम और सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा रविवार की रात में है। काशी के विद्वानों का कहना है कि श्राद्ध कर्म पर चंद्रग्रहण के सूतक का प्रभाव नहीं होता है। श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार चंद्रग्रहण का प्रभाव पितृ पक्ष अथवा श्राद्ध कर्म पर नहीं होता।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी को मोक्ष नगरी कहा जाता है, यहां मोक्ष की कामना ने लोग ही नहीं बल्कि अपने पुरखों के तर्पण और श्राद्ध के आयोजनों के लिए भी लोग आते हैं। पिशाचमोचन से लेकर गंगा के घाटों पर भी श्राद्ध की आस्था पूरे पखवारे बनी रहती है। किन्नर महामंडलेश्वर भी किन्नरों के पुरखों का यहीं त्रिपिंडी श्राद्ध करती हैं तो सामाजिक संगठन की ओर से भी कोख में मार दी गई अजन्मे बच्चियों के निमित्त तर्पण किया जाता है।
इस वर्ष का अंतिम और सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा रविवार की रात में है। वहीं पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने, उनकी पूजा-आराधना और तर्पण-अर्पण के विधान भी दिन से आरंभ हों गए। रविवार को पूर्णिमा का श्राद्ध किया गया। l मातृकुल के पितरों अर्थात नाना-नानी आदि को तर्पण संग पूर्णिमा का श्राद्ध अगले दिन होगा l
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इसी दिन मातृकुल के पितरों नाना-नानी आदि के तर्पण का विधान है। काशी के विद्वानों का कहना है कि श्राद्ध कर्म पर चंद्रग्रहण के सूतक का प्रभाव होता ही नहीं। श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री और बीएचयू ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय कहते हैं कि चंद्रग्रहण या उसके सूतक का प्रभाव पितृ पक्ष अथवा श्राद्ध कर्म पर नहीं होता।
इस बार खग्रास चंद्रग्रहण लग रहा है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण से भी बड़ा होता है और चंद्रमा को पूरी तरह आच्छादित तो कर ही लेता है, खग यानी आकाश के कुछ हिस्से को भी ढंक लेता है, इसलिए इसे खग्रास चंद्रग्रहण कहते हैं।
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इस दौरान चंद्रमा रक्त वर्ण यानी लाल रंग का दिखता है। विभागाध्यक्ष प्रो. सुभाष पांडेय ने भी कहा कि सूतक अथवा ग्रहण काल में श्राद्ध कर्म का कहीं भी निषेध नहीं किया गया है। वैसे तो इस बार सूतक दोपहर 12:57 बजे से लग रहा है और श्राद्ध कर्म पूर्वाह्न में ही कर लिया जाता हैं, लेकिन यदि कभी ग्रहण या सूतक पूर्वाह्नव्यापिनी हो तो भी श्राद्ध कर्म पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता।
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शाम को बंद होंगे विश्वनाथ धाम के पट: विश्वनाथ मंदिर के कपाट लगभग दो घंटे पूर्व 7.30 बजे बंद हो जाएंगे। संध्या आरती सायं चार व शृंगार भोग आरती सायं 5:30 और शयन आरती शाम सात बजे होगी। अन्नपूर्णा मंदिर के पट भी साढ़े सात बजे बंद होंगे। संकट मोचन मंदिर, दुर्गाकुंड मंदिर, मार्केंडेय महादेव व रामेश्वर महादेव मंदिर दोपहर में बंद होने पर अगले दिन भोर में निर्धारित समय से खुलेंगे।
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