नेपाल में Gen Z बवाल से पर्यटन उद्योग को लगा बड़ा झटका, वाराणसी में 30 से अधिक यात्राएं रद्द
नेपाल में जेनजेड विवाद से वाराणसी के पर्यटन उद्योग को झटका लगा है। पर्यटकों ने नेपाल की यात्रा रद्द करनी शुरू कर दी है जिससे टूर ऑपरेटर परेशान हैं। हिंदू और बौद्ध सर्किट का हिस्सा नेपाल में होने से वाराणसी पर भी असर पड़ेगा। बुकिंग रद्द होने से होटल और परिवहन व्यवसाय प्रभावित हो रहे हैं जिससे करोड़ों का नुकसान होने का अनुमान है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। नेपाल में उपजे जेनजेड बवाल से पर्यटन उद्योग को बड़ा झटका लगा है। भारत से दो वर्ष तक पर्यटक नेपाल नहीं जाएंगे, यदि जाएंगे तो उन्हें देखने लायक स्थान दिखाई नहीं देंगे। बवाल के चलते पर्यटन स्थल भी प्रभावित हुए हैं। जेनजेड बवाल को देखते हुए पर्यटक अपनी यात्रा कैंसिल कराने लगे हैं।
बनारस में अभी तक 30 से अधिक ग्रुप अपनी यात्रा कैंसिल करा चुके हैं। एक ग्रुप में 30 पर्यटक रहते हैं। हिंदू और बौद्ध सर्किट का हिस्सा भारत के साथ नेपाल में भी है। नेपाल जाने की यात्रा कैंसिल होने का सीधा असर बनारस पर भी पड़ेगा। टूर एंड ट्रैवेल्स से जुड़े लोग लगातार ग्रुप कैंसिल होने को लेकर परेशान हैं। इससे कई करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा।
बौद्ध सर्किट में लुंबिनी, कपिल वस्तु, कुशीनगर, सारनाथ, श्रावस्ती, राजगीर, वैशाली आदि आता है। इसमें लुंबिनी और कपिल वस्तु नेपाल में पड़ता है। इसी प्रकार हिंदू तीर्थ यात्रा में बनारस, प्रयागराज, अयोध्या, नेपाल में पशुपतिनाथ और जनकपुर पड़ता है।
दोनों देशों के स्थानों को मिलाकर टूर पैकेज बनता है। बुद्धिस्ट और हिंदू बिना दोनों देशों की यात्रा पूरी किए अपने तीर्थ यात्रा को अधूरा मानते हैं। टूर एंड ट्रैवेल्स का कहना है कि बुद्धिस्ट और हिंदू दोनों वर्ग के लोग अक्टूबर से यात्रा शुरू करते हैं। इसकी बुकिंग छह माह पहले से शुरू हो जाती है।
हिंदू और बुद्धिस्ट सर्किट की बुकिंग भारत और नेपाल को मिलाकर होती है। दोनों देशों में हिंदू और बुद्धिस्ट आस्था केंद्र हैं। बिना नेपाल पहुंचे यात्रा पूरी नहीं होती है। इससे टूर एंड ट्रैवेल्स कारोबार पर प्रभाव पड़ा है। - संतोष सिंह, उपाध्यक्ष, आल एशिया बुद्धिस्ट टूर आर्गेनाइजेशन।
हिंदू और बुद्धिस्ट ट्रेन या विमान से काशी आते हैं। यहां से ज्यादातर सड़क मार्ग से विभिन्न स्थलों को जाते हैं। इससे होटल और ट्रैवेल्स से जुड़े लोग लाभान्वित होते हैं लेकिन अब लोग अपनी बुकिंग कैंसिल कराने लगे हैं। इसका असर दो वर्ष तक रहेगा। - अनिल त्रिपाठी, पूर्व अध्यक्ष, वाराणसी टूरिज्म गिल्ड।
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