वाराणसी में एसआइआर की अंतिम तारीख को कम से कम छह माह तक बढ़ाने की मांग
वाराणसी में, कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने एसआईआर की अंतिम तिथि को छह महीने तक बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि किसानों की व्यस्तता और मतदाता सूची की अनुपलब्धता के कारण यह प्रक्रिया जल्दबाजी में की जा रही है। दलों ने चेतावनी दी है कि यदि मांग पूरी नहीं हुई तो वे आंदोलन करेंगे। एडीएम ने निर्वाचन आयुक्त को पत्र भेजने का आश्वासन दिया है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि एस आई आर की अंतिम तारीख को कम से कम छह माह तक बढ़ाया जाए।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के जिला और प्रदेश के पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल जिला निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से मुख्य निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि एस आई आर की अंतिम तारीख को कम से कम 6 माह तक बढ़ाया जाए।
राजनीतिक दलों का कहना है कि चार दिसंबर तक यह प्रक्रिया पूरी करना संभव नहीं है। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि आधी अधूरी तैयारी के साथ इतनी जल्दी बाजी में एस आई आर करने का उद्देश्य समझ से परे है, खासकर जब निकट भविष्य में कोई चुनाव नहीं हैं और चुनाव आयोग के पास पर्याप्त समय है।
उत्तर प्रदेश में बाढ़ और बे मौसम बरसात के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। किसान धान की कटाई, मड़ाई और गेहूं की बुवाई में जनवरी तक व्यस्त हैं। इसके अलावा, शादी विवाह का समय भी चल रहा है। इस बीच, एस आई आर फॉर्म भरने के संबंध में मतदाताओं को सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। 2003 की मतदाता सूची राजनीतिक दलों को उपलब्ध नहीं कराई गई है, जिससे कार्यकर्ता आम लोगों की मदद नहीं कर पा रहे हैं। कई बीएलओ के पास भी यह सूची नहीं है।
इस दबाव के कारण कर्मचारी मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं, जिससे कुछ ने आत्महत्या तक कर ली है। चुनाव अधिकारी भी भ्रमित हैं और हर दिन नए फरमान जारी कर रहे हैं। ऐसे में, एस आई आर की अंतिम तारीख को छह माह बढ़ाना आवश्यक है, अन्यथा बड़ी संख्या में मतदाता सूची में शामिल नहीं हो पाएंगे। जल्दीबाजी में गलत फॉर्म भरे जा रहे हैं, और अल्पसंख्यकों, दलितों और पिछड़े इलाकों में भेदभाव की घटनाएं सामने आई हैं।
जिलाधिकारी की ओर से एडीएम ने मांग पत्र लिया और निर्वाचन आयुक्त को भेजने का आश्वासन दिया। राजनीतिक दलों ने इस पर नाराजगी व्यक्त की है कि जिलाधिकारी ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों से मिलने की आवश्यकता नहीं समझी। एडीएम का व्यवहार भी संतोषजनक नहीं था, जिससे यह प्रतीत होता है कि वह भी दबाव में हैं।
राजनीतिक दलों ने जिला प्रशासन के इस रवैये की आलोचना की है और चेतावनी दी है कि यदि इस मुद्दे पर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे उग्र आंदोलन और न्यायपालिका के सहयोग से न्याय की मांग करेंगे।
इस अवसर पर हीरालाल यादव, राजेश्वर सिंह पटेल, सुजीत यादव, राघवेन्द्र चौबे, फसाहत हुसैन बाबू, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, सतनाम सिंह, अजय मुखर्जी, सुरेन्द्र यादव, जय शंकर पाण्डेय, अशोक सिंह, गिरीश पाण्डेय, राजू राम, विनोद सिंह, हसन मेहदी कब्बन, नरसिंह दास, पीयूष श्रीवास्तव, संतोष चौरसिया, अब्दुल हमीद डोडे, हाजी मो. इस्लाम, मनीष सिंह, मनोज वर्मा मनू, विपिन पाल, वंदना जायसवाल, राजेश्वर विश्वकर्मा, सुशील पाण्डेय, गोपाल चौबे, पुलक त्रिपाठी, आशुतोष, अरविन्द, रविशंकर, इमरान मिर्जा, रामजी पाण्डेय, विकास पाण्डेय, किशन यादव समेत दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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