रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला पर रविवार को ग्रहण लग गया, क्षीर सागर की झांकी संग मिली पूर्णता
वाराणसी के रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला पर रविवार को ग्रहण लग गया। ग्रहण के कारण रामलीला के दूसरे दिन का आयोजन नहीं हो सका। ग्रहण लगने से पहले क्षीर सागर की झांकी की आरती के साथ आयोजन शुरू कर सूतक की वजह से रोक दिया गया। नेमी जन सागर किनारे मानस की चौपाइयां पढ़ते नजर आए। रामलीला का आयोजन समय से पहले ही सूतक के कारण रोक दिया गया।

जागरण संवाददाता, (रामनगर) वाराणसी। विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला पर रविवार को ग्रहण लग गया। दरअसल ग्रहण लगने के कारण विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला की दूसरे दिन की लीला नहीं हो सकी।
बल्कि ग्रहण लगने से पूर्व ही अपराह्न क्षीर सागर की पुनः झांकी की आरती के साथ आयोजन को परंपरा के अनुरूप शुरू कर सूतक की वजह से रोक दी गई।
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क्षीर सागर की झांकी सजी तो नेमी जन भी सागर के किनारे हाथ जोड़ मानस की चौपाइयां पढ़ते नजर आए। हर- हर महादेव और जय श्री राम का घोष हुआ और प्रारंभिक आयोजन के साथ ही रामलीला के आयोजन ने रविवार को समय के पूर्व ही सूतक के मान की वजह से विराम पाया। प्रतीकात्मक झांकी के साथ रामलीला के आयोजन का दूसरे दिन का कार्यक्रम पूर्ण हुआ तो आस्थावान भी प्रभु को नमन कर सूतक का मान रखते हुए घर की ओर लौट चले।
सिर्फ रामनगर की रामलीला ही नहीं बल्कि काशी मे श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट परंपरानुसार लगभग दो घंटे पूर्व 7.30 बजे सूतक की वजह से बंद हो जाएंगे। बाबा दरबार में संध्या आरती सायं चार व शृंगार भोग आरती सायं 5:30 और शयन आरती शाम सात बजे होगी।
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अन्नपूर्णा मंदिर के पट भी शाम साढ़े सात बजे बंद होंगे। दूसरी ओर संकट मोचन मंदिर, दुर्गाकुंड स्थित कुष्मांडा मंदिर, गौरी केदारेश्वर मंदिर, तिलभांडेश्वर मंदिर दोपहर में बंद होने पर अगले दिन भोर में निर्धारित समय से खुलेंगे। कैथी स्थित मार्केंडेय महादेव व हरहुआ स्थित रामेश्वर महादेव मंदिर दोपहर 12.57 बजे सूतक के साथ बंद होंगे। बीएचयू विश्वनाथ मंदिर दोपहर तीन बजे बंद होगा। दशाश्वमेध घाट पर सांध्यकालीन गंगा आरती दोपहर 12 बजे ही होने के बाद अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दरअसल काशी में 35 वर्षों में यह पांचवीं बार है जब मां गंगा की आरती दिन में कराई गई। इससे पहले 28 अक्टूबर 2023, 16 जुलाई 2019, 27 जुलाई 2018 और 7 अगस्त 2017 को भी इसी कारण आरती का समय बदला गया था। फिलहाल गंगा के बढ़े जलस्तर की वजह से आरती का आयोजन घाट की छत पर किया गया। हालांकि बाढ़ की वजह से घाट पर आस्थावानों की भीड़ कुछ कम ही रही।
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