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    संस्कारशाला की कहानी से विद्यार्थियों ने जानी अपनी जिम्मेदारी, मार्म‍िक कहानी का बच्‍चों ने समझा मर्म

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 04:00 PM (IST)

    वाराणसी के विकास इंटर कॉलेज परमानंदपुर में दैनिक जागरण द्वारा आयोजित संस्कारशाला की कहानी परिसर और संपत्ति के प्रति सम्मान का वाचन किया गया। प्रधानाचार्य डा. अशोक कुमार सिंह ने कहानी सुनाई और बच्चों को इसका महत्व समझाया। कहानी में किशोरों को जिम्मेदारी देने और स्कूल की संपत्ति के प्रति स्वामित्व की भावना जगाने का संदेश दिया गया है।

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    विद्यार्थियों ने कहानी से सीख ली कि विद्यालय की संपत्ति की रक्षा करना उनका कर्तव्य है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। दैनिक जागरण की ओर से आयोजित संस्कारशाला की कहानी ‘परिसर और संपत्ति के प्रति सम्मान’ वाचन का आयोजन शनिवार को विकास इंटर कालेज परमानंदपुर में किया गया। प्रधानाचार्य डा. अशोक कुमार सिंह ने इस मार्मिक कहानी को सुनाया और बच्चों को इसका मर्म भी समझाया।

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    इस कहानी में संदेश दिया गया है कि किशोर उम्र में भी सभी को कुछ न कुछ जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। साथ ही विद्यार्थियों के मन में स्कूल की संपत्ति को लेकर स्वामित्व का भावना जगाना होगा तभी उसकी सुरक्षा के लिए भी चिंता होगी।

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    विद्यार्थियों ने संस्कारशाला की इस कहानी से उन्हें बहुत अच्छी सीख मिल है। सभी ने ध्यान लगाकर कहानी सुनी और सवाल पूछकर इससे जुड़ी जिज्ञासाओं को दूर किया। शिक्षकों ने भी संस्कारशाला की कहानी के अर्थ को समझाया। हिंदी के शिक्षक दिनेश कुमार ने कहानी के पात्र के बारे में बच्चों को बताया।

    इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हम जिस प्रकार अपने घर की वस्तुओं को संभालते और सुरक्षित रखते हैं उसी प्रकार स्कूल की संपत्ति की रक्षा करें।

    • शिवम प्रजापति, कक्षा-12

     विद्यालय की सुविधाएं भी हमारे शुल्क से बढ़ती है। इसलिए इसे अपना समझ कर इसकी सुरक्षा करनी चाहिए। ना कि यहां की वस्तुओं को क्षति पहुंचानी चाहिए।

    • ऋतज पाठक, कक्षा-11

    कहानी ने हमें सिखाया है कि हमें स्कूल या देश की संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। ऐसा कर हम अपने आपको समाज का अच्छा नागरिक साबित कर सकते हैं।

    • - आयुष मौर्या, कक्षा-10

    अपनी शक्ति का हमें कभी भी गलत उपयोग नहीं करना चाहिए। बल्कि देश व समाज की रक्षा में खपाना चाहिए। स्कूल की संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

    •  रुद्र प्रताप सिंह, कक्षा-9

    विद्यालय की वस्तु की हिफाजत करना हमारी भी जिम्मेदारी है। स्कूल की वस्तुओं में शुल्क के रूप में हमारे माता-पिता का पैसा भी लगा है। इसलिए रक्षा करनी चाहिए।

    • - प्रसून दत्त द्विवेदी, कक्षा-8

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